जब से पुतिन ने यूक्रेन पर जनसंहार करना शुरू किया है, तब से एक बहुत बड़ी मूर्खता हम बहुत सारे भारतीयों में सर चढ़ कर बोलने लगी है। लोग अपने अंदर की नीच हिंसक कुंठा को महानता के रूप में महिमामंडित करने के लिए यह कहते हैं कि भारत का साथ सोवियत संघ ने दिया था इसलिए आज भारत पुतिन का विरोध नहीं कर सकता है।
दरअसल इन मूर्खों को यह नहीं पता है कि सोवियत संघ के प्रमुख फाउंडर्स में रूस व यूक्रेन थे। यूक्रेन भी सोवियत संघ था। यदि सोवियत संघ ने भारत का साथ दिया तो इसका मतलब यह है कि भारत का साथ रूस व यूक्रेन दोनों ने ही दिया था। लेकिन जब खुद की मानसिकता ही बीमार हो, जानकारियां नहीं हों तो नीचता को भी महानता के रूप में महिमामंडित किया ही जाता है। ऑब्जेक्टिविटी के लिए अंदर की ईमानदारी चाहिए होती है।
जिन लोगों को सोवियत संघ का साहित्य पढ़ने की रुचि होगी उन्होंने नीचे दिए गए कुछ नाम तो जरूर ही सुने होंगे। इनमें से कई के असल नाम तो कुछ और थे, लेकिन हम उनके रसियन अनुवादित नामों को जानते हैं। मैंने अपने जीवन में स्कूल व विश्वविद्यालयी कोर्सों से इतर 40 हजार से अधिक पुस्तकें पढ़ीं हैं, इनमें से कई हजार पुस्तकें सोवियत-संघ के लेखकों द्वारा लिखी गई पुस्तकें रही हैं। सोवियत-संघ के अनेक ऐसे लेखक हैं, जिनकी लगभग सभी पुस्तकें मैंने पढ़ रखी हैं (हिंदी या अंग्रेजी में अनुवादित रूप)।
दोस्तोयेव्स्की
चेखव
गोगोल
लेस्या/लेसिया
ओल्हा
स्त्रगत्स्की
कम से कम दोस्तोयेव्स्की, चेखव, गोगोल का नाम तो सुना ही होगा, यदि विचार, प्रगतिशीलता, चिंतन, सामाजिक व मानवीय मूल्यों इत्यादि की थोड़ी सी भी समझ होगी तो इतना तो अंदाजा होगा ही कि इन लेखकों का क्या स्तर था, आज भी इन लेखकों के लिखे को समझने की औकात अधिकतर लोगों में नहीं। यदि किसी ने इन लेखकों का नहीं सुना, तो मान लीजिए कि सोवियत-संघ साहित्य का ककहरा भी नहीं पता। ये सभी लेखक यूक्रेन के थे, लेकिन अपवाद छोड़ हममें से अधिकांश को लगता है कि ये रूस से थे।
जो लोग बात-बात में अमेरिका को ठूंस देते हैं, उन लोगों से सिर्फ यह कहना है कि यदि एक व्यक्ति हत्या करता है तो इससे किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा की जाने वाली हत्या महानता नहीं बन जाती है। हत्या हत्या होती है, हत्या नीचता होती है, कोई भी करे चाहे “क” करे या “ख” करे। यदि इतिहास में ही जाना है तो दुनिया में सबसे अधिक हत्याएं चीन व रूसी साम्राज्यों ने की हैं। सबसे अधिक जनसंहार करने वालों में चीन साम्राज्य पहले नंबर पर है।
अमेरिका तो बच्चा है इन दो साम्राज्यों द्वारा की गई हत्याओं व बर्बरताओं के सामने।
यदि आपको लगता है कि धूर्तता, बर्बरता, नीचता व जनसंहार के साथ खड़े होना है तो खड़े होइए, यह आपकी अपनी नीचता का मामला है, आपके अपने जीवन मूल्य हैं। लेकिन अपनी नीचता को महानता इत्यादि का जामा नहीं पहनाइए, इससे आप और अधिक टपोरी हो जाते हैं।