Home विषयलेखक के विचार क्या महान ईश्वर केवल दयालु है …

क्या महान ईश्वर केवल दयालु है …

Madhulika Shachi

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अक्सर लोग कहते मिलेंगे, ईश्वर बहुत दयालु है । वो बुरे लोगों और पापियों को भी क्षमा कर देता है। इसके अलावा धर्म दर्शन में एक सवाल भी उठाया जाता है कि “यदि ईश्वर दयालु है तो इस दुनियां में इतना दुख, शोषण, भुखमरी आदि क्यों है।” कुछ वामपंथी इसी आधार पर हिन्दू धर्म को कोसते भी है, क्योंकि उनका मानना है कि हिन्दू धर्म में ईश्वर दयालु नही है। वह प्रतिशोध लेता है, क्रूर है …
खासकर इस बात को ईसाइयत ने खूब प्रचारित किया कि “ईश्वर मानवों को उनके पापों से बचाने के लिए स्वयं अपने पुत्र की बलि देता है।”….
मैं इसे नही मानता हूं, इसका कारण है आप जिस ईश्वर की बात करते हैं वह झूठा है। ईश्वर से आपका क्या मतलब है, यह बहुत मायने रखता है … सनातन धर्म का ईश्वर पूरी तरह से विज्ञान है …
वह महान ईश्वर या अनन्त ऊर्जा, इस ब्रह्मांड को नियमों से चलाती है, इस ब्रह्मांड में सब कुछ नियम आधारित हैं। ईश्वर ने जब इस ब्रह्मांड का निर्माण किया था तब उसमें निर्माणकारी और विनाशकारी सभी शक्तियां थी …
जीवन और मृत्यु, निर्माण और विनाश, सब कुछ नियम आधारित है …
एक ओर पृथ्वी पर हरे भरे घास के मैदानों का निर्माण होता है तो दूसरी ओर भूकंप और ज्वालामुखी के रूप में वह महान ऊर्जा विनाश का तांडव भी करती है …
वेदों से लेकर उपनिषदों में हर जगह बताया गया है कि वह महान ईश्वर ही सभी तत्वों में विद्धमान है चाहे वह बुराई हो या अच्छाई ….अब कुछ लोग कहेंगे कि तब वह ईश्वर नही है बल्कि विज्ञान है और तब ईश्वर करता क्या है
तो ईश्वर न्याय करता है, जीवों के कर्मों का फल देता है, प्रकृति में संतुलन रखता है, भगवान श्रीकृष्ण गीता में स्वयं कहते हैं “मैं कुछ नही करता हूँ जो करते हो तुम ही करते हो, मैं तुम्हारे कर्मों का फल देता हूँ।”
और यदि ईश्वर केवल दयालु हो जाए और न्याय की जगह अन्याय करने लगे, तब वह ईश्वर कैसे रह सकता है …
जो हमें विनाश लगता है वह उस महान ऊर्जा के लिए नियमों का संचालन हैं।
जैसे यदि बाढ़, चक्रवात, ज्वालामुखी से लोग मर सकते हैं तो हम कहेंगे कि ईश्वर क्रूर है लेकिन दूसरे नजरिए से यह निर्माण भी है। इनसे नए भूभाग बनते हैं, मैदानों का निर्माण होता है।
इसी प्रकार कुछ लोग कहते हैं कि शेर, बाघ आदि हिंसक जानवर है, क्या ईश्वर को हिरणों पर प्रेम नही आता है?
तो यह समझिए यदि शेर, बाघ, चीता आदि नही होंगे तो हिरण, चीतल जेब्रा आदि भी नही बचेगें। पूरा पर्यावरण तबाह हो जाएगा … क्योंकि ये शाकाहारी जीव मांसाहारी जीवों से ज्यादा होते हैं और जल्दी बढ़ते हैं …
ये जीव जिस घास के मैदानों पर जीवित रहते हैं। बिना मांसाहारी जीवों के इनकी संख्या इतनी बढ़ जाएगी कि ये सारी घास को खाकर शीघ्रता से खत्म करने लगेंगे, परिणामस्वरूप इनके लिए भोजन और जल दोनों ही समाप्त हो जाएंगे और ये स्वयं मरने लगेंगे …
पूरा पर्यावरण विज्ञान गड़बड़ हो जाएगा, मांसाहारी जीव इनकी संख्या को नियंत्रित करके पूरे ईकोसिस्टम में संतुलन बनाए रखते हैं … इस पर बहुत रिसर्च हुआ है।
यह पूरा विज्ञान है और यही ईश्वर है जो प्रकृति को नियमों से संचालित करता है।
और सबसे बड़ी बात इस ब्रह्मांड में विकास की विजय होती है, कमजोर जातियां हमेशा मिट जाती है उनके स्थान पर नई जातियां आती है यही ईश्वर का नियम है।
अतः ईश्वर केवल नियमों और न्याय से इस ब्रह्मांड का संचालन करता है और कर्मों के आधार पर फल देता है।
सिर्फ प्रेम नही करता है
मधुलिका शची की वाल से ध्रुव का संरचना

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