990 में भारत में लाइफ़ इक्स्पेक्टन्सी 57 वर्ष थी अर्थात् भारत में जन्म लेने वाले एक औसत व्यक्ति की आयु 57 साल होती थी. जैसे जैसे ग्रोथ हुई, लोगों का खान पान, रहन सहन, मेडिकल सुविधाएँ अच्छी हुईं, लाइफ़ इक्स्पेक्टन्सी बढ़ने लगी जो वर्तमान में लगभग 69 वर्ष है.
यह अभी भी विकसित देशों और विकास शील देश जैसे चाइना आदि के मुक़ाबले बहुत कम है पर इसमें तेज़ी से सुधार हो रहा है. साथ ही अमेरिका जैसे देश जो अन्य सभी मायनों में काफ़ी विकसित हो चुके हैं तो अब उनका इकमात्र उद्देश्य यह है कि कैसे आयु बढ़ाई जाए. आप यक़ीन मानिए आपके बच्चे जब तक मिडल एज में आएँगे पश्चिम में लाइफ़ इक्स्पेक्टन्सी नब्बे वर्ष और भारत की भी लाइफ़ इक्स्पेक्टन्सी अस्सी प्लस होगी.
आज से पचीस वर्ष पूर्व था पचीस साल में विवाह, 58 में रिटायरमेंट और 65 क्रॉस कर गए तो फ़िर बोनस लाइफ़. वर्तमान भारत में तीस साल में विवाह, साठ में रेटायअर्मेंट कॉमन है. अमेरिका जैसे देशों में रिटायरमेंट एज बढ़ते बढ़ते अब 67 साल पहुँच गई है.
तो आप यह तय मान कर चलिए कि आज पैदा हो रहे बच्चों को सत्तर साल की एज तक काम करना होगा. यहाँ तक कि जो आज अठारह बीस के हैं उन्हें भी कम से कम 65 तक कार्य करना होगा.
कल तक जो शिक्षा पर्याप्त थी वह आने वाले कल में पर्याप्त नहीं होगी. कल तक लोग एक काम में नौकरी आरम्भ करते थे और ज़िंदगी भर करते रहते थे. अब हर दस वर्ष में टेक्नॉलजी बदल रही है. पचीस साल बाद हर पाँच साल में बदलेगी.
डिग्री और स्किल परिभाषाएँ बदल गई हैं. अपने बच्चों को केवल अंडरग्रेड पर ही मत रोकें. कम से कम मास्टर्ज़ ज़रूर कराएँ, हो सके तो phd भी कराएँ. निहसंदेह इसके बाद भी उन्हें लगातार अपने को अपग्रेड रखना पड़ेगा पर अभी भी आने वाले भविष्य में पहला दरवाजा डिग्री खोलती है और फ़िर उसके बाद तो आपकी स्किल ही पूँछी जाती है. समय के साथ STEM की डिमांड और बढ़ेगी. विकसित देशों को देखते रहें जो वहाँ आज हो रहा है बीस साल बाद भारत में भी वही होगा, वैसी ही जॉब, वैसी ही डिमैंड्ज़ होंगी. यदि सम्भव हो तो STEM (साइंस, टेक्नॉलजी, इंजीनियरिंग, मैथ) पर फ़ोकस रखें क्योंकि सबसे ज़्यादा डिमांड / पैसा इसी फ़ील्ड में है और रहेगा.
Do not settle for average, go for Top.