पड़ोस में लूलू माल खुला है. इतनी भीड़ रहती है, हाइवे तक जाम रहता है, लगता है सब फ़्री बँट रहा हो. बीच में हिमाचल गया था, अभूतपूर्व भीड़. जमाने थे गोवा मानसून में ख़ाली रहता था, इस बार मानसून में भी गोवा के अच्छे होटल फ़ुल हैं. भारत से अमेरिका जाना हो, महीने भर बाद की टिकट डेढ़ लाख के पड़ रही है जो तीन वर्ष पूर्व एक लाख की थी. अभूत पूर्व भीड़ सब जगह.

बस एक वर्ष पूर्व लग रहा था दुनिया समाप्त हो जाएगी. भीड़ छोड़िए लोग अपनों की परछाई से डर रहे थे. थैंक्स तो साइंस एंड वैक्सीन कि मनुष्य ने आधुनिक मानवता की सबसे ख़तरनाक बीमारी पर इतनी आसानी से इतने अल्प समय में विजय पा ली.

अक्सर कुछ लोग यह बोलते मिल जाएँगे कि यह सब बीमारियाँ, महामारी पालूशन आदि सब आधुनिक जीवन और विज्ञान की वजह से हैं. हक़ीक़त यह है कि विज्ञान और टेक्नॉलजी ने मानवीय जीवन सुगम किया, अन्यथा बस सौ वर्ष पूर्व भारत में ही औसत आयु चालीस वर्ष भी नहीं होती थी. लोगों के आठ दस बच्चे इस लिए होते थे कि कोई ठिकाना नहीं होता था कि पचीस वर्ष पश्चात कितने बचेंगे. आज साधन सम्पन्न लोग एक दो बच्चे पर ही स्टाप कर देते हैं क्योंकि विज्ञान ने सक्षम किया, काँफ़िडेंस रहता है कि एक का अच्छे से लालन पालन हो जाएगा.

निहसंदेह मानव जीवन के आगे नित नए नए चैलेंज आते रहेंगे. कुछ विज्ञान और तकनीक की वजह से भी समस्याएँ आएँगी. लेकिन इन सबका समाधान विज्ञान ही देता आया है और आगे भी देता रहेगा.
आज हम पुनः महामारी से स्वतंत्र होकर अच्छा जीवन जी रहे हैं तो इसके लिए हमें विज्ञान और तकनीक का आभारी होना चाहिए और भविष्य के लिए भी ध्यान रखना चाहिए कि वर्तमान जीवन को सुगम और सुरक्षित विज्ञान ही रखती है.

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