बलात्कार के आरोपी खुर्शीद अनवर की आत्महत्या के बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों का एक बड़ा समूह मीडिया ट्रायल के आरोप के साथ लुटियन दिल्ली में सक्रिय हो गया था। उन दिनों आरफा खानम शेरवानी और उर्मिलेश दोनों ही कथित गोदी मीडिया का हिस्सा होते थे। दोनों ने ही खुर्शीद की याद में मीडिया ट्रायल पर एक—एक कार्यक्रम किया था। प्रेस क्लब में पत्रकार दीपक शर्मा, शोहिनी घोष, सीमा मुस्तफा, डा पुरुषोत्तम अग्रवाल जैसे लोग खुर्शीद के पक्ष में इकट्ठे हुए थे।
उसके बाद इस गिरोह को कभी मीडिया ट्रायल का ख्याल नहीं आया। 2014 के बाद इस गिरोह के सदस्य खुद कई—कई बार मीडिया ट्रायल करते हुए पाए गए। इस गिरोह को दलित चिन्तक चन्द्रभान प्रसाद ने क्या खूब पहचाना? उन्होंने बताया था कि किस तरह जेएनयू से छ़ात्र और छात्राओं की टोली नर्मदा बचाओ आंदोलन के सपोर्ट के लिए जाती थी। और यह सपोर्टर जब लौटते वक्त वहां से अपना टेन्ट समेटते थे तो उस टेन्ट में दर्जनों इस्तेमाल किए गए कंडोम के पैकेट मिला करते थे।
इस टिप्पणी को कंडोम के इस्तेमाल पर ना माना जाए। दुर्घटना से सावधानी हमेशा भली होती है। वास्तव में यह टिप्पणी लिबरल मूवमेन्ट की दशा और दिशा पर है। खुर्शीद मामले को बेहद करीब से समझने वाले और बूंद का हिस्सा रहे अहमर से मेरी सात साल पहले इस पूरे मामले पर बात हुई थी। इस बातचीत को एक बार जरूर सुनिए। जिससे आप इस ‘लिबरल मूवमेन्ट’ के सच को थोड़ा करीब से जान पाए…