ग्रीष्मकालीन अवकाश में हम जैसों के लिए खेल तथा मौज हेतु जो चुनने के विकल्प होते थे… वो बहुत मामूली हुआ करते थे। यथा- गांव/नानी के घर का भ्रमण कुछ आउटडोर-इनडोर गेम तथा किराये पर कॉमिक्स! गर्मी की छुट्टियों में…
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बाल कहानिया
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वर्षों बाद उम्र के दूसरे पड़ाव के कगार पर जाकर एक पिता को पुत्र प्राप्त हुआ लेकिन इस संसार के योगियों को संसार के कल्याण की इतनी चिंता सताती है कि एक पिता से उसका पुत्र छीनने चले आये..! अरे…
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बाल कहानियानितिन त्रिपाठीलेखक के विचारसामाजिकसाहित्य लेख
जब इच्छाएँ थीं तो पैसे नहीं थे, अब पैसे हैं तो वो इच्छाएँ न रहीं
by Nitin Tripathi 264 viewsजब इच्छाएँ थीं तो पैसे नहीं थे, अब पैसे हैं तो वो इच्छाएँ न रहीं बचपन में गाँव का मेला बहुत अट्रैक्ट करता था. वो गरम गरम चासनी से लबालब वाली जलेबी, वह पेठा, वह गन्ने का रस, वह गुड़…
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बाल कहानियाविवेक उमराओशिक्षासामाजिक
स्वाध्याय 2 : छोटे बच्चे भी हजारों किताबें पढ़ लेते हैं
by Umrao Vivek Samajik Yayavar 845 viewsबहुत दूर जाने की जरूरत नहीं है, मैं अपने बच्चे आदि का उदाहरण दे रहा हूं, आदि की उम्र लगभग सवा-पांच वर्ष है। आप आदि के पैदा होने के दिन से परिचित हैं। आदि के प्रसव से लेकर उसके विकास…