Home बाल कहानिया स्वाध्याय 2 : छोटे बच्चे भी हजारों किताबें पढ़ लेते हैं

स्वाध्याय 2 : छोटे बच्चे भी हजारों किताबें पढ़ लेते हैं

by Umrao Vivek Samajik Yayavar
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बहुत दूर जाने की जरूरत नहीं है, मैं अपने बच्चे आदि का उदाहरण दे रहा हूं, आदि की उम्र लगभग सवा-पांच वर्ष है। आप आदि के पैदा होने के दिन से परिचित हैं। आदि के प्रसव से लेकर उसके विकास व गतिविधियों की जानकारी आपको पहले दिन से होती रही है। आप जानते ही हैं कि आदि पहले दिन से किताबें पढ़ रहे हैं। किताब पढ़ने का मतलब, हम लोग किताबें पढ़ते थे और आदि किताबें देखते व सुनते थे। आदि ने चंद महीनों में ही किताबों के कवर को देखकर उनके नामों के साथ पहचनानना शुरू कर दिया था। एक-एक दिन में पच्चीस से पचास तक अलग-अलग किताबें पढ़ते थे। एक-एक किताब को बहुत-बहुत बार पढ़ा।
आदि ने लगभग 6 महीने की उम्र से चलना शुरू कर दिया था, उस समय आदि ने जो काम सबसे पहले शुरू किए थे उनमें से प्रमुख था − सहारा लेकर चलते हुए किताबों तक पहुंचना और अपनी पसंद की किताबें लेकर मेरे पास आना और मुझसे उन किताबों को पढ़ने के लिए आग्रह करना।
आदि के ननिहाल वालों ने आदि के गर्भ में आने के समय से ही किताबें उपहार के रूप में देना शुरू कर दिया था, जो आज तक जारी है। आदि के पैदा होने के पहले ही आदि की अपनी लाइब्रेरी में 50 से अधिक किताबें हो चुकी थीं। आदि जिस दिन अस्पताल से घर आए, उसी दिन से किताबें पढ़ रहे हैं। आदि के किताबें पढ़ने के चक्कर में हम लोगों को हर रोज ढेरों किताबें पढ़नीं पड़ती थीं।
आदि दूसरे बच्चों को अपनी लाइब्रेरी में से किताबें उपहार देते रहे हैं। इसके बावजूद वर्तमान में आदि की अपनी लाइब्रेरी में लगभग 500 किताबें हैं। आदि की इन किताबों में से 200 से अधिक पेजों की भी किताबें हैं। हर एक किताब को कम से कम 20—30 बार तो पढ़ ही चुके हैं।
इसके अलावा आदि हर सप्ताह कुछ कम अधिक औसतन लगभग 10 किताबें सरकारी पुस्तकालयों से लाते रहे हैं (एक हजार से अधिक किताबें)। हर सप्ताह इन किताबों को 10—20 बार तो पढ़ते ही रहे हैं। आदि जब भी अपने नानी, नाना, मौसी, मौसा, मामी, मामा इत्यादि के यहां जाते हैं तो वहां के गृह-पुस्तकालयों में से भी किताबें पढ़ते हैं। आडियो किताबें प्रतिदिन सुनते हैं, इसके लिए अलग से आदि के पास विशेष प्लेयर है।आदि अभी लगभग सवा-पांच वर्ष के हैं, लेकिन कई हजार किताबें पढ़ चुके हैं। यदि किताबों की पुनरावृत्तियों को भी किताब के रूप में गणना की जाए तो आदि अब तक बीसियों हजार किताबें पढ़ चुके हैं (छोटा बच्चा है पुनरावृत्ति को किताब के रूप में गणना करके उसको प्रोत्साहित किया जा सकता है, उसके अध्ययन की प्रवृत्ति का सम्मान किया जा सकता है)।
आदि खेलते हैं, कूदते हैं, दिन में लगभग एक घंटा टीवी/मोबाइल देखते हैं, प्लेग्राउंड जाते हैं, पार्क जाते हैं, संगीत सीखते हैं, पियानो सीखते हैं, चित्रकारी करते हैं, तैराकी सीखते हैं, विभिन्न प्रकार के प्रयोग करते हैं, सब्जियां व फल काट लेते हैं, केक बनाना जानते हैं, कुकीज बनाना जानते हैं, जंगलों में कैंपिंग के लिए जाते हैं, और भी काफी कुछ गतिविधियां करते हैं। यह सब गतिविधियां करते हुए भी, आदि अब तक कई हजार किताबें भी पढ़ चुके हैं। जबकि अभी तक एक दिन के लिए भी ऐसे स्कूल नहीं गए हैं जहां कापी किताब लेकर जाना होता हो या कोई पाठ्यक्रम/सिलैबस हो या होमवर्क या क्लासवर्क इत्यादि हो। मतलब यह कि आदि अपनी स्वेच्छा से किताबें पढ़ते हैं। कभी-कभी तो पूरा-पूरा दिन किताबें पढ़ते हैं, एक के बाद एक किताब पढ़ते ही रहते हैं, सुबह से शाम तक यही करते हैं।
कैनबरा में स्कूलों में बच्चों को कोर्स के अलावा किताबें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। हर एक स्कूल में अनेक स्तर वाले पुस्तकालय होते हैं। बच्चे कोर्स के बाहर की किताबें पढ़ें, इसके लिए छात्रों के लिए पुस्तक पढ़ने के अभियान आयोजित किए जाते हैं। कोर्स के अलावा कितनी विविधता के साथ कितनी किताबों का अध्ययन किया गया, इस आधार पर भी छात्रों का मूल्यांकन होता है। आशा है कि आपके आशीर्वाद व प्रोत्साहन से आदि 18 वर्ष की आयु तक पहुंचने के पहले ही कोर्स के अलावा दसियों बीसियों हजार किताबें पढ़ चुके होंगे (यहां पुनरावृत्ति को किताब की संख्या के रूप में गणना नहीं कर रहा)। आदि के अपने पुस्तकालय में ही अनेक हजार किताबें हो चुकी होगीं। चूंकि छोटे बच्चे भी हजारों किताबें पढ़ लेते हैं। इसलिए वयस्क तो पढ़ ही सकते हैं, बशर्ते अध्ययन में रुचि हो, प्राथमिकता हो, मानसिकता हो, जिज्ञासा हो, ज्ञान की ईमानदार भूख हो।
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विवेक
“सामाजिक यायावर”

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