पूर्व में भी और आज भी, कुछ लोगों का मानना है कि AI से हमारे महानायकों का चित्रण शास्त्र विरुद्ध है। ऐसे तथाकथित शास्त्रवादी कठमुल्लावाद और शास्त्रों की ओट में धर्म की मठाधीशी थोपने को अब कोई भी स्वीकार नहीं…
लेखक और लेख
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बचपन में एक बार एक सहपाठी से हिंसक युद्ध हो गया। मैं शरीर से कमजोर जरूर था पर भयंकर जिद्दी और युयुत्सु प्रवृत्ति जन्मजात थी। हाथ-पैर कमजोर होने से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि मेरे सबसे बड़े हथियार…
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राजनीतिअपराधऐतिहासिकदेवेन्द्र सिकरवारमुद्दाविदेश
इजरायल ने शानदार दांव खेला
by देवेन्द्र सिकरवार 34 viewsइजरायल ने शानदार दांव खेला है। उसने एलान किया है कि अगर गाजा के लोग हमास चीफ याह्या सिनवार की लाश उन्हें सौंप दें तो वह यह अभियान रोक देगा। एलान के चौबीस घंटे भी नहीं हुए कि हमास के…
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राजनीतिअपराधऐतिहासिकमुद्दाविदेशसतीश चंद्र मिश्रा
गाजा में इजराइल क्यों बजा रहा फिलिस्तीन का बाजा?
by सतीश चंद्र मिश्रा 39 viewsगाजा में इजराइल क्यों बजा रहा फिलिस्तीन का बाजा.? इसका जवाब जानने के लिए कहानी पड़ोसी पाकिस्तान से शुरू करना पड़ेगी। तो सबसे पहले जिक्र पड़ोसी की जूताखोरी का। सबसे पहले 1948 फिर 1965 फिर 1971, फिर 1999 में भारत…
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नयादेवेन्द्र सिकरवारमुद्दारोजगारलेखक के विचारसामाजिक
कारपोरेट_द्वारा_सत्ता_हथियाने_के_प्रयास_शुरू
by देवेन्द्र सिकरवार 30 viewsमैंने पहले भी कहा था और फिर कह रहा हूँ कि अब मानवता के सम्मुख सबसे बड़ा खतरा कार्पोरेट्स बनने जा रहे हैं। पहले नारायणमूर्ति ने ‘उपदेश’ दिया कि युवाओं को हफ्ते में #सत्तर_घंटे काम करना चाहिए यानि दस घंटे…
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ईश्वर भक्तिजाति धर्मदेवेन्द्र सिकरवारलेखक के विचारसामाजिक
श्रीराम : सर्वश्रेष्ठ_योद्धा_श्रेष्ठतम_जनरल_दूरदृष्टा_राजनेता
by देवेन्द्र सिकरवार 47 viewsभारत में प्रायः महान व्यक्तित्वों को दैवीय रूप में प्रदर्शित करने की परंपरा रही है जिससे उनका पुण्यस्मरण तो स्थाई हो जाता है लेकिन उनके महान लौकिक कार्य ढंक जाते हैं। श्रीराम भी इस राष्ट्र के ऐसे ही महानायक हैं।…
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एक बार मेरे पिता ने मुझे बहुत डांटा था जब एक बार एक शरारती बिल्ली को कमरे में घेरकर उसकी संटी से पिटाई की। उनका कहना था कि एक छोटा सा रास्ता बिल्ली के लिए ऐसा छोड़ना चाहिए जो उसे…
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राजीव मिश्राखेल खिलाडीलेखक के विचारसामाजिक
खेलों का राष्ट्रीय जीवन में महत्व
by राजीव मिश्राby राजीव मिश्रा 61 viewsखेलों का राष्ट्रीय जीवन में बहुत महत्व है, लेकिन यह महत्व समय के साथ बदलता रहता है. एक समय था जब पाकिस्तान के विरुद्ध एक मैच जीतना राष्ट्रीय गर्व का क्षण दिखाई देता था. 2003 के वर्ल्ड कप में पाकिस्तान…
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मुद्दाअजीत सिंहसामाजिकहास्य व्यंग
जब एक मक्खी Coffee के कप में गिर जाती है. . .
by Ajit Singhby Ajit Singh 31 viewsजब एक मक्खी Coffee के कप में गिर जाती है. . . इटालियन – कप फेंकता है, तोड़ देता है और गुस्से में चला जाता है। जर्मन – कप को सावधानीपूर्वक धोता है, उसे कीटाणुरहित करता है और एक नया…
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स्वामी व्यालोकईश्वर भक्तिलेखक के विचारसामाजिक
तू अपनी माँ में श्रद्धा खोता है…मेरे आँचल से स्वयं को दूर करता है।
by Swami Vyalokby Swami Vyalok 61 viewsपूजा खत्म हुई, पर बैठा ही रहा। माँ की आँखों में आँखें डाल निहारता रहा। झपकी सी लग गयी। शायद निद्रा और जागरण के बीच की संधि थी। तभी सुगंधित समीर से मन थोड़ा सा जागा। पायल की आवाज और…