Home लेखक और लेखअजीत सिंह एक मित्र हैं अवध नारायण द्विवेदी

एक मित्र हैं अवध नारायण द्विवेदी

by Ajit Singh
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एक मित्र हैं अवध नारायण द्विवेदी

उन्होंने एक घुमक्कड़ी ग्रुप में एक टिप्पणी नुमा पोस्ट कर दी । कुल जमा 3 लाइन की ।
महंगी Air Lines में यात्रा कर महंगे होटल में रुकने वाले को घुमक्कड़ कहना घुमक्कड़ी के प्रति अन्याय है ।
ऐसा ही कुछ भाव है उनकी पोस्ट का ।
उसपे पाठकों ने अलग अलग प्रतिक्रिया दी है ।
दरअसल लेखक घुमक्कड़ और Tourist को define करना चाह रहा था , जिसे सिर्फ 3 लाइन की पोस्ट में स्पष्ट नही किया जा सकता ।
पहले से planning करके , Train Flight में seat बुक करा के , Hotel book करके , Travel agent से Itinerary बनवा के , package ले के 4 दिन की यात्रा Tourism है ।
घुमक्कड़ इतनी planning नही करता ।
उसका तो अचानक मूड बनता है और वो बैग में दो जोड़ी कपड़े और Brush paste साबुन डाल के निकल लेता है ।
मैंने तो आजीवन वो घुमक्कड़ी की है जिसमे स्टेशन पहुंच गए ।
जो ट्रेन दिखी उसमे लटक लिये और गंतव्य तक जा पहुंचे ।
उन दिनों Google नही था सो अपना सहारा तो भ्रमण संगी जैसी किताबें थीं जिनमे देश के एक एक छोटे बड़े सभी पर्यटक स्थलों का विस्तृत ब्यौरा होता था ।
Tourist साल दो साल में एक बार घूमने निकलता है ।
आपकी बीबी बेचारी दिन रात घर मे पिस रही । उसे 3 साल में एक बार 4 दिन को घुमाने निकले हो तो थोड़े पैसे खर्च लेने चाहिये । वो बेचारी कौन रोज़ाना निकल रही घर से । सो उसे फुलटू luxury Tour कराओ ।
घुमक्कड़ आदमी महीने में 15 दिन घुमक्कड़ी करता है । साल में 30 – 40 tour मारता है । उसका समय घर मे कम सड़क रेल में ज़्यादा बीतता है । वो Luxury afford ही नही कर सकता ।
घूमते घूमते उसके ज़िन्दगी के Basic फंडे clear हो जाते हैं ।
वो offbeat places पे जाता है जहां luxury नही बल्कि Basic जरूरतें ही बमुश्किल पूरी होती हैं ।
घुमक्कड़ी में रात बेरात ऐसी ऐसी जगहों पे रुकना पड़ जाता है जहां bed बिस्तर तक नही मिलता , Bed मिल गया तो Washroom Toilets नही मिलते …… खुले में शौच जाना पड़ता है ……. बकरी के दूध की चाय भी बड़ी मुश्किल से नसीब होती है ……. ये घुमक्कड़ी है ।
ज़िन्दगी में घुमक्कड़ी से बड़ी कोई Education नही ।
Tourism में सीखने को कुछ नही होता । न कोई अनुभव होता ।
घुमक्कड़ी आपको जीना सिखा देती है । जीवन मे हर परिस्थिति , कठिन से कठिन जीवन जीने के लिये तैयार कर देती है ।
सबसे पहले खुद , फिर अपनी पत्नी को घुमक्कड़ी कराओ ।
शादी होते ही पहले एक दो साल जम के घुमक्कड़ी करो ।
पहला हनीमून trip ही घुमक्कड़ी style में मार दो ।
उसी तरह अपने बच्चों के साथ एकदम bare minimum में 5- 7 trip मारो ।
अगर शुरुआत में ही असल जीवन से परिचय हो जाये तो फिर ज़िन्दगी का शेष सफर बड़ी आसानी से कट जाता है ।
अगर आपको Bare Minimum , कम से कम , न्यूनतम में न सिर्फ Survive करना बल्कि Enjoy करना आता है तो आपको जीवन मे कभी कष्ट न होगा ।
घुमक्कड़ी भी एक Skill है ।
इसमें महारथ हासिल कीजिये ।

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