घर के पास व्यस्त चौराहे पर, पिछले एक सप्ताह से मुनादी की जा रही है-
सावधान! सावधान!! सावधान!!!
यदि कोई व्यक्ति सादे वर्दी में आकर, अपने को पुलिस वाला या पुलिस का अधिकारी बताकर आपको लूटना चाहता हों… तो आप तुरन्त अपने निकटतम पुलिस स्टेशन को फोन करके सूचित करें।
सावधान! सावधान!! सावधान!!!
मित्रों! अब मैं आपको उपरोक्त के संगत एक संस्मरण साझा करता हूं।
एक बार मेरे कार में से कुछ बदबू उठने लगी। मेरे साथ, कार में बैठने वालों ने मुझे आगाह किया कि मेरी कार में उठ रही बदबू ने उन्हें कार में बैठना दूभर कर रखा है। उन्होंने मुझे यह भी इत्तला किया कि मेरी गाड़ी में कोई चूहा मरा पड़ा है।
मैंने भी अपनी पहुंच तथा अधिकतम सामर्थ्य के हिसाब से चूहे के मृत शरीर को ढूंढ़ने का हर संभव प्रयास किया लेकिन चूहे का मृत शरीर मेरे पहुंच के बाहर निकला। सो मैंने अपनी गाड़ी, गैराज में टिका देने में ही समझदारी समझी।
मैकेनिक गाड़ी खोलते ही बोला- ” आपके AC में मरा चूहा है”
मैंने कहा- ” निकाल दो। “
मैकेनिक- ” भैया! 2500 है AC के डैश बोर्ड खोलने का चार्ज “
सच कहूं!! कोई मेरे पेट पर पिस्तौल लगाकर मेरे एक लाख लूट लेता! इस त्रासदी को अपुन रो-गा.. गा-बजा सह लेता . लेकिन चूहे के तीन दिन की लाश उठाने के पच्चीस सौ!!!!
यह तो हद की आखिरी किस्त है साहब!
मित्रों! यह बात और घटना मेरे जीवन के लिए सबसे स्तब्ध करने वाली थी।
खैर! पच्चीस सौ और मन ही मन पच्चीस हज़ार लानत-मलामत उगलने के बाद मैंने भी हामी भर दी ।
अब जब, मैकेनिक द्वारा.. चिमटे से, तीन दिन पूर्व, मृत..चूहे को उसकी पूंछ पकड़कर निकाला गया… उस वक्त मैं वहां से हटकर बहुत दूर चला गया।
वजह तो आप समझ ही गये होंगे।
मित्रों! कभी-कभी निदान का मूल्य इतना अधिक होता है कि हमारी समस्या ही प्रेमिका बन जाती है।
मेरे बहुत से जानने वाले, डाक्टर के पास इसलिए नहीं जाते कि उनका रोग ठीक होगा या नहीं!! लेकिन उनका परिवार सड़क पर आ जायेगा। इससे तो बेहतर है.. थोड़ा लिथड़ के..थोड़ा भचक कर चलना…उठना.. बैठना…और मुंह ढककर खांस लेना।