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फ्रांस में स्कूल टीचर की गला रेतकर हत्या

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1. फ्रांस में स्कूल टीचर की गला रेतकर हत्या करने की घटना को मुनव्वर राना ने जायज ठहराया था।

2. किसान आंदोलन पर मुन्नवर राना ने शेर लिखा जिसमें संसद को गिरा कर खेत बनाने की बात कही।

3. CAA-NRC प्रोटेस्ट के दौरान मुनव्वर राना ने कहा था कि उन्हें योगी के राज में डर लगने लगा है।

4. अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद मुनव्वर राना ने कहा कि इस मामले में हिंदुओं का पक्ष लिया गया।

5. मुनव्वर राना ने कोरोना वॉरियर्स के सम्मान में सेना के इस्तेमाल पर सवाल उठाते हुए सीधे जनरल बिपिन रावत को कठघरे में खड़ा कर दिया था।

6. संबित पात्रा के एक बात के जवाब में मुनव्वर राना ने कहा था कि देश में 35 करोड़ इंसान और 100 करोड़ जानवर रहते हैं।

7. मुनव्वर राना ने कोविड के दौरान एक शेर लिखा ‘जो भी ये सुनता है हैरान हुआ जाता है, अब कोरोना भी मुसलमान हुआ जाता है।

8. मुनव्वर राना ने देश की नौटंकी कला का प्रतिष्ठित चेहरा रहीं गुलाब बाई पर भी बेहद छिछली छींटाकशी की थी।

9. कवि आलोक श्रीवास्तव ने पहले एक कविता लिखी –

“बाबूजी गुजरे..आपस में सब चीजें तकसीम हुईं।

मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से आई अम्मा।’

मुनव्वर राना ने बाद में इन लाइनों पर डकैती डालते हुए लिखा –

‘किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई।

मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई।”
10. मुनव्वर राना ने पहले अवार्ड वापस करने को कायरता कहा और फिर अपने लोगों के ही निशाने पर आ जाने पर एक चैनेल पर अवार्ड वापस कर आए। ओशो कहते थे कि लोकप्रियता ‘ईश्वर का वरदान’ है, ये सबको नहीं मिलता। गौतम अडानी इतने पैसे वाले हैं लेकिन अगर वो हमारे साथ किसी जगह पर खड़े होंगे तो शायद हम उन्हें पहचान भी ना पाए लेकिन कुमार विश्वास और मुनव्वर राना ऐसे नाम हैं जिन्हें अधिकतर लोग पहचान लेंगे। मुझे लगता है पिछले 6 सालों में अगर एक व्यक्ति जिसने अपनी सारी विश्वसनीयता, प्रसिद्धि, प्यार और इस वरदान को खोया है, वो मुनव्वर राना हैं।
माँ पर शायरी लिखने वाले और दो बेटियों के पिता मुनव्वर राना उस वक्त बहुत छोटे, बेबस, लाचार और झूठे नजर आते हैं जब वो चिल्ला के कहते हैं कि ‘रंजन गोगई जितने कम दाम में बिके, उतने में हिंदुस्तान की एक ‘वेश्या’ भी नहीं बिकती है। वो मुनव्वर राना जो योगी जी के कपड़ों पर आपत्ति करते वक्त बेहद उत्तेजित रहते हैं वो अपनी बेटी के बयान ‘पहले हम मुसलमान हैं और उसके बाद कुछ और हैं’ पर बोलते हुए असहाय हो जाते हैं।
स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने लिखा था कि व्यक्ति दो ही उम्र में असली और सच्चा होता है – पहला जब वो बच्चा होता है, दूसरा जब वो बूढ़ा होता है। अगर स्वामी जी की बात को आधार बना कर कहूँ तो वो नकली मुनव्वर राना जिन्हें देश ने इज्जत दी थी, वो खत्म हो चुके हैं। अब तो वो असली मुनव्वर राना हैं जिन्हें हिन्दू से, भारत से, सरकार से, भाई से, भतीजे से, जवान से, मेहमान से सबसे चिढ़ है। बाकी पकंज पलाश जी ने मुन्नवर राना के लिए एक शेर लिखा है, वो ही इस लेख का सार है – ख़ुद की इज्ज़त को लूटना साहब कोई सीखे तो आपसे सीखे’ ..

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