गांधी पर सवाल नहीं, नेहरू पर सवाल नहीं, अंबेडकर पर सवाल नहीं, पेरियार पर सवाल नहीं। ऐसे एकाध नाम और, जिन पर सवाल नहीं, प्रश्न नहीं। गाली-गोफ्ता का तो खैर, साले सवाल ही गुम जाएंगे फिर।
सावरकर को गाली जायज, हेडगेवार को भद्दी गालियां स्वागत-योग्य, गोलवलकर से लेकर वाजपेयी तक की मौत के बाद खाट खड़ी कर देने का मौका। मौका-मौका, चौका ही चौका….
राम को भरे बाजार गाली स्वागत योग्य, मनुस्मृति जलाना क्रांतिकारी कदम, उसकी सेल्फी इंकलाब, दुर्गा को वेश्या बताना मने सबल्टर्न इतिहास को जिंदा करना, असुर जाति को एससी बताकर ब्राह्मणों को यूरेशिया भेजना अति क्रांतिकारी..अति क्रांतिकारी..।
मुहम्मद की सच्चाई बता देना, मने ईशनिंदा। यह लिख देना कि 56 साल के एक बुजुर्ग ने 9 साल की बच्ची से शारीरिक संबंध बनाए, यह स्थापित तथ्य है, इस पर पूरे देश में दंगे भड़क जाना।
माई लॉर्डशिप…आप समझ पा रहे हैं कि आप जनता को किस बात के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
कल को कुछ हो जाए, तो हमें न कहिएगा…