वैसे तो मैं एक तथाकथित खान, जो टेररिस्ट (नहीं) है के बेटे नशेड़ी खान के ड्रग्स के सेवन पर पोस्ट्स ही पढ़ता और लाइक करता रहा था, पर आज आउटलुक का कवर और रिपोर्ट देख के थोड़ा लिखने का भी मन करा।
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प्रिंट और वाइअर जैसी वेब पोर्टल से आती खबरों की निष्पक्षता पर संदेह अब मज़ाक़ है। उसी कड़ी में आउटलुक का जुड़ जाना?!
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यकीनन खान जो टेररिस्ट (नहीं) है, अभी हताश और व्यग्र हुआ पड़ा है, तभी वो पैसा पानी की तरह बहा रहा है। आप समझ सकते होंगे एक पुरे आउटलुक के एडिशन को अपने प्रचार में बदल सकने की क़ीमत!
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उसको ये भी पता है कि वाइअर और प्रिण्ट सरीखे पोर्टल्ज़ को लोग सिर्फ़ मज़े के लिये पढ़ते हैं- सीरियसली कोई नहीं लेता। तभी आज आप आउटलुक देख रहे हैं- कोई दो मत नहीं कल आप वीक वगेरह भी बिकी देखें!
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याद करें जब अमिताभ बच्चन की आर्थिक स्थिति ख़राब हुई थी- फ़िल्में भी पिट रही थीं तब भारतीय मीडिया ने उसे चुका हुआ घोषित कर दिया था। एक आर्टिकल तक नहीं। कोई लाइम लाइट नहीं। प्रितिश नंदी ने लिखा था:, “ Amitabh is finished !”
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दूसरी ओर इसने पत्रकारों के साथ कैसा और क्या क्या किया है ये जग जाहिर है। उसने करियर की शुरूआत में ही मीडिया ऑफिस में घुस कर मारपीट की है। और तो और, बहुत पुरानी ख़बर नहीं है, पर और हाल ही में जब वो सरोगेसी वाला सीन हुआ, मुंबई मिरर में जिस फ़ीमेल जर्नलिस्ट ने खबर चला दी, उसको घर बुलाया खाना खिला के बेचारी को एक कमरे में लॉक रखा पूरा दिन कि जब तक तू बतायेगी नहीं ये खबर किसने दी तू यहीं रहेगी। उसके हसबैण्ड और बाकी मीडिया ने ले दे के मामला सलटाया।
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फिर भी मीडिया का यूँ पलक पाँवड़े बिछाना? जमा नहीं। पैसा ही नहीं, D कनेक्शन भी काम कर रहा है- निस्संदेह! न्यूज़ चैनल्स में ऑल्रेडी अलजज़ीरा ड्रग्स को छिपा कर मुस्लिम ऐंगल दिखा रहा है, जबकि क़तर में ड्रग के साथ पकड़े जाने पर क्या सजा होती है- सबको पता है। कोई शंका नहीं कल को BBC, CNN भी हकले के बचाव में आयें!