Home विषयजाति धर्म देशप्रेम : चलते-चलते
देशप्रेम का अर्थ है कि देश के लोगों के सकून, आराम, विकास, उन्नति व अभय इत्यादि लिए ईमानदार व प्रतिबद्ध होना। देश का मतलब देश के लोग होते हैं। देश कोई वस्तु नहीं होता है, देश लोगों से होता है, लोग नहीं तो देश नहीं।
देशप्रेम का रास्ता केवल और केवल देश के लोगों के बेहतर स्वास्थ्य, बेहतर शिक्षा, बेहतर नागरिक सुविधाओं, बेहतर रोजगार, बेहतर आर्थिक अवसरों, सामाजिक-न्याय इत्यादि-इत्यादि से होकर जाता है।
जिन देशों में व्यवस्था-तंत्र आम लोगों का शोषण करके, दमन करके, धोखा देकर, बेवकूफ बनाकर सत्ता का भोग करता है। उन देशों में धर्म व नस्ल आधारित नफरत व बटवारा तथा दूसरे देशों के प्रति घृणा इत्यादि को देशप्रेम के रूप में प्रायोजित व महिमामंडित किया जाता है। लोगों को एक दूसरे से बांट दिया जाता है, एक दूसरे के प्रति नफरत व संशय से भर दिया जाता है। ताकि लोग नशे में डूबे रहें। बीच-बीच में तथाकथित व दिखावटी व बेढंगा विकास इत्यादि का चखना भी देते रहा जाता है, ताकि चटपनापन भी बना रहे और नशे का तड़का बढ़िया से बना रहे, लोगों को मजेदार लगता रहे।
शुद्ध पेयजल तक तो उपलब्ध रहता नहीं। लोगों की गाढ़ी कमाई का बंदरबाट व्यापारी, नेता, नौकरशाह व मीडिया वाले करते रहते हैं। भ्रष्टाचार में नीचे से ऊपर तक का पूरा सरकारी तंत्र आकंठ डूबा रहता है वह भी छिछोरी बेशर्मी के साथ। जो भ्रष्टाचार में जितना भी हिस्सा पाता है वह अपने से कम वाले को हिकारत से देखता है। भ्रष्टाचार केवल सरकारी तंत्र तक ही सीमित नहीं रहता है, हर स्तर पर व्याप्त होता चला जाता है।
लेकिन दूसरे धर्मों व नस्लों से नफरत करने को, दूसरे देशों को रातदिन गरियाने को ही देशप्रेम की कसौटी मान लिया जाता है। जो ऐसा नहीं करे वह देश-विरोधी मान लिया जाता है भले ही वह देश के लोगों के लिए अपनी जीवनी ऊर्जा लगाता रहे। मूर्खों व टपोरियों की जमातों में ऐसा ही होता है।
चलते-चलते
देशप्रेम संतानप्रेम जैसा होता है। जैसे आप अपनी संतान से प्रेम करते हैं तो आप अपनी संतान से प्रेम करते हैं, उसके लिए जीते हैं, उसके लिए संघर्ष करते हैं, उसके लिए खुद तकलीफ झेलकर उसकी खुशी चाहते हैं, उसकी शिक्षा, उसके स्वास्थ्य इत्यादि के लिए अपना जीवन लगाते हैं। संतानप्रेम के नाम पर आप केवल अपने पड़ोसियों की संतानों व पड़ोसियों से नफरत करने गाली-गलौच करते रहने को ही अपनी संतान के लिए अपना प्रेम नहीं मानते हैं। आप अपनी संतान के लिए जीते हैं।
केवल पैसा कमाने को संतानप्रेम नहीं माना जाता है। केवल फीस देने को संतानप्रेम नहीं माना जाता है, केवल कपड़े पहनाने, भोजन देने इत्यादि को संतानप्रेम नहीं माना जाता है। संतान के सुख-दुख को समझना, उसके साथ संवाद करना, उसके साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करना, उत्तरदायित्व महसूस करते हुए जीना, उन्नति के लिए खुशी-खुशी अपना सर्वस्व लगा देना इत्यादि-इत्यादि संतानप्रेम के आधारभूत तत्व होते हैं।
इसी तरह देशप्रेम का मतलब केवल टैक्स देना नहीं है, केवल दूसरे धर्मों व देशों से नफरत करना गाली-गलौच करना नहीं है। देशप्रेम का मतलब अपने देश के लोगों से प्रेम करना, सुख-दुख समझना, संवाद करना, प्रेमपूर्ण व्यवहार करना, उत्तरदायित्व महसूस करते हुए जीना, उन्नति के लिए खुशी-खुशी अपना सर्वस्व लगा देना इत्यादि-इत्यादि है।
आप ईमानदारी से अपने अंदर झांकर खुद का मूल्यांकन करें। मैं तो दावे से ठोंककर गर्व के साथ कहता हूं कि मैं कर्म व भाव व विचार से देशप्रेमी हूं।
मैं तो ऐसा होने के लिए देश की सरकार से एक पैसा भी नहीं लेता हूं, न ही चुनाव लड़ता हूं, न ही किसी पुरस्कार के लिए आवेदन करता हूं न ही कोई सेटिंग करता हूं। मतलब बदले में कुछ नहीं चाहता हूं। यहां तक कि देशप्रेमी होने के लिए खोखले व ढोंगी देशप्रेमियों से प्रमाणपत्र भी नहीं चाहता हूं। जो लोग असली देशप्रेमी हैं, वे तो देशप्रेम का सही मायने समझते भी हैं और प्रमाणिकता के साथ जीते भी हैं।
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