Home लेखक और लेखपुष्कर अवस्थी सीआईए, एफएसबी, एमआई 6, बीएनडी, मोसाद और अजीत डोभाल: दिल्ली से इस्लामाबाद वाया काबुल

सीआईए, एफएसबी, एमआई 6, बीएनडी, मोसाद और अजीत डोभाल: दिल्ली से इस्लामाबाद वाया काबुल

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मैंने 15 अगस्त 2021 को , जब तालिबान का काबुल पर बिना संघर्ष किये प्रवेश हो गया और अफगानिस्तान पर तालिबान का 20 वर्ष के अंतराल के बाद, फिर सत्ता पर बैठना सुनिश्चित हो गया था तब मैंने लिखा था अफगानिस्तान का एक चक्र पूरा हो चुका है, जो 20 वर्ष का था और उसी के साथ अफगानिस्तान का दूसरा चक्र भी प्रारम्भ हो गया जिसकी पूर्ण आहुति 2030 तक हो जाएगी।

मेरा अफगानिस्तान को केंद्रबिंदु बना, वैश्विक स्तर पर बनी योजना और अब, उसकी परिधि में, विभिन्न राष्ट्रों द्वारा खेले जाने वाली भूराजनीति को लेकर आंकलन, पूरी तरह से मध्यपूर्व एशिया, सेंट्रल एशिया और दक्षिण एशिया(भारतीय उपमहाद्वीप) में पिछले 35-40 वर्षों में हुई घटनाओं और उसके परिणामस्वरूप, उससे उभरती हुई रूपरेखा पर आधारित है। इसीलिये, मैंने अन्य लोगो की तरह, अमेरिका के अफगानिस्तान से निकलने को ‘अमेरीकी हार’ नही माना है और न ही काबुल में अफगानी सेना के समर्पण को, ‘कायरता’ माना है। यही सिर्फ नही, मैंने कई बौद्धिक लोगो की तरह, अफगानिस्तान में तालिबान के आने को, नरेंद्र मोदी जी की कूटनैतिक हार भी नही माना है। मैने, अफगानिस्तान में जो कुछ हुआ, उसे एक अच्छी पठकथा के क्लाइमेक्स को फूहड़ता से निर्देशित किए जाने से ज्यादा नही माना है। यह, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के मूलभूत निकम्मेपन और बाइडन प्रशासन पर, धरातल से दूर बैठ, वैश्विक एजेंडा चलाने वाले लिबरल डेमोक्रेट्स के प्रभाव का परिणाम है।

मेरे लिए, काबुल में जो हो गया वह नियत था इसलिए अब उसके परिणामस्वरूप, जो हो रहा है और जो होने वाला है, वह महत्वपूर्ण है। जिन लोगो को भूराजनीति में रुचि है उनके लिए एक सलाह है कि वे काबुल में जो हो रहा उससे ज्यादा अपनी वहां दृष्टि रक्खे ,जो काबुल, अफगानिस्तान के बाहर हो रहा है। मेरे लिए काबुल में तालिबान की सरकार बनवाने में सहायता व परामर्श देने, पाकिस्तान आईएसआई के प्रमुख ले.जनरल फ़ैज़ हामिद का सार्वजनिक रूप से पहुंचना, एक असामान्य बात थी। किसी भी राष्ट्र की गुप्तचर सेवा के प्रमुख की कोई भी यात्रा इस तरह सार्वजनिक नही की जाती है। ले जनरल फ़ैज़ अगस्त में, पहले भी तालिबान के नेतृत्व से मिलने गये थे और उस यात्रा को गुप्त रक्खा गया था(पाकिस्तान लौटने पर, बात सोशल मीडिया पर खुल गई थी) लेकिन इस बार वहां मीटिंग से पहले फोटो खिंचवाना और पत्रकार के प्रश्नों का उत्तर देना, लीक से हटकर था। मेरा मानना है कि ले जनरल फ़ैज़ की यह काबुल यात्रा, अमेरिका के इशारे पर या उनकी अनुमति से हुई थी लेकिन वहां इस यात्रा के बाद जो तालिबान की सरकार की घोषणा हुई है, वह अमेरिका प्रशासन की अपेक्षा के अनुसार नही हुई है। लेकिन इसका अर्थ यह नही है कि अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट, पेंटागन और सीआईए इस परिणाम से संतुष्ट नही है। मैं समझता हूँ अमेरिकी इस्टेबलिशमेंट और उनके नीतिकार, तालिबान व पाकिस्तान से इसी तरह की गुलाटी खाने की ही अपेक्षा कर रहे थे। मेरा तो यह मानना है की काबुल में बैठे तथाकथित तालिबान 2.0 का सुधारवादी होना व पाकिस्तान का अमेरिका से निष्कपट हो जाना, अमेरिकी नीतिकारों द्वारा 20-30 वर्षों में बनाई गई ‘न्यू वर्ल्ड आर्डर’ की योजना को एक दशक आगे और बढ़ा देता। इसी के साथ तालिबान की सरकार के बनते ही चीन का शिष्टमंडल भी काबुल पहुंच कर 31 मिलियन डॉलर की तत्कालीन आपात सहायता की घोषणा कर चुका है। अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन को भले ही चीन से आक्रामक कूटनीति व इतनी शीघ्र काबुल में तालिबान के साथ खड़े दिखने की आशा नही रही हो लेकिन अमेरिकी नीतिकारों को चीन से यही अपेक्षा थी। उनके द्वारा भूराजनीति का जो ताना बाना बुना गया था, वह कुछ मूलभूत परकल्पनाओ पर आधारित था और वे अब सभी फलीभूत होती दिखाई दे रही है।

अब आप लोगो को इस पृष्टभूमि में दिल्ली में पिछले 36 घण्टे में भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल से हुई विभिन्न राष्ट्रों के गुप्तचर प्रमुखों की बैठकों के महत्व को समझना चाहिए।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की बैठक, उनसे मिलने पहुंचे रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार निकोलाई पेत्रुशेव से हुई। निकोलाई, रूस की गुप्तचर संस्था एफएसबी(पूर्व में केजीबी) के प्रमुख है। यहां यह ध्यान देने योग्य बात है कि रूस के कुछ वर्षों से तालिबान के साथ संवाद स्थापित थे और जिन गिने चुने राष्ट्रों को तालिबान ने शपथग्रहण समारोह में निमंत्रित किया है, उसमे रूस भी आमंत्रित है। इस यात्रा का सीधा सम्बंध प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति पुतिन के बीच हुई, 24 अगस्त को अफगानिस्तान के संकट को लेकर फोन वार्ता से है।

अमेरिकी गुप्तचर संस्था सीआईए के प्रमुख विलियम बर्न्स मंगलवार को दिल्ली पहुंचे और उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ बैठक हुई। यही नही इससे पहले यूनाइटेड किंगडम ऑफ ब्रिटेन की सीक्रेट इंटेलिजेंस सर्विस या एमआई 6 (MI 6) के प्रमुख रिचर्ड मूर अजित डोभाल से मिले थे। कुछ सूत्र यह भी बता रहे है कि सीआईए प्रमुख बर्न्स के साथ रिचर्ड मूर भी अजीत डोभाल के साथ हुई बैठक में उपस्थित थे। अमेरिका, रूस और ब्रिटेन के गुप्तचर संस्थाओं के प्रमुखों की यात्राओं को कही भी छिपाने का प्रयास नही किया गया है और बैठक के बाद, प्रेस नोट और फोटो भी प्रकाशित किया गया है।

इन लोगो के अलावा, इजराइल की गुप्तचर संस्था मोसाद का प्रतिनिधि और जर्मनी की गुप्तचर संस्था बीएनडी(BND) के प्रमुख या उनके प्रतिनिधि के दिल्ली में अजीत डोभाल से मिलने के अपुष्ट समाचार मिल रहे है।
वैसे तो इन बैठकों की वार्ता गुप्त ही रहती है और जो कुछ प्रेस को बताया जाता है वह सिर्फ संकेत देने के लिए होते है। यहां यह महत्वपूर्ण नही है कि विभिन्न राष्ट्रों के गुप्तचर संस्थाओं के प्रमुख मिले, महत्वपूर्ण यह है कि द्वितीय विश्वयुद्ध और शीत युद्ध के बाद, इतने व्यापक स्तर पर विभिन्न प्रमुख व्यक्तिगत रूप से दिल्ली आकर मिले और इसको समाचार बनने दिया गया।
यहां यह महत्वपूर्ण है कि अन्य राष्ट्रों की गुप्तचर संस्थाओं के प्रमुख की मुलाकात, भारतीय गुप्तचर संस्था रॉ (RAW) से न हो कर, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से हुई है। मेरा मानना है कि रॉ यदि बैठक में थी भी तो उसको प्रमुखता नही दी गई है।
मेरा दृढ़ विश्वास है कि जो कुछ हो रहा है वह स्पष्ट संकेत दे रहा है कि न्यू वर्ल्ड आर्डर की परिकल्पना को लेकर जो अमेरिकी इस्टेबलिशमेंट ने 3 दशकों से योजना बनाई थी वह अब सक्रिय हो चुकी है। उसके प्रथम चरण की धुरी दिल्ली है या नही यह तो भविष्य की घटनाएं बताएंगी लेकिन इसमे कोई संदेह नही है कि उसके एक प्रमुख प्रहस्तक या संचालक दिल्ली में बैठे अजीत डोभाल है।
इन्ही घटनाओं को देख कर मेरी दृष्टि काबुल पर कम, इस्लामाबाद-रावलपिंडी पर ज्यादा रहेगी क्योंकि विदेशी गुप्तचर संस्थाओं में अजीत डोभाल को पाकिस्तान को लेकर, सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञ माना जाता है। मेरा आंकलन है कि इसी के साथ भारत पर आंतरिक व बाह्य खतरे बढ़ेंगे और भारत को न्यू वर्ल्ड आर्डर में अपना स्थान प्राप्त करने के लिए, उसकी कीमत चुकानी शुरू करनी होगी।
Post Date – Sep -09-2021

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