Home लेखक और लेखअवनीश पी ऍन शर्मा आदरणीय प्रधानमंत्री जी

आदरणीय प्रधानमंत्री जी

by Awanish P. N. Sharma
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तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के निर्णय पर देश को संबोधित करते हुए इस वापसी का दुख आपके चेहरे पर साफ था। आज आपकी वाणी आपके हृदय के साथ नहीं थी।
आपने कहा भी… हम समझा नहीं पाये। आपने कहीं भी यह नहीं कहा कि ये कृषि सुधार के तीनों कानून गलत थे। ऐसा कह कर आपने अपने उन करोड़ों मतदाताओं के साथ ही अभिव्यक्ति के मंचों पर आपकी नीतियों, निर्णयों का समर्थन करने वाले लाखों जनमानस को सही सिद्ध किया इसका आपको धन्यवाद।
इस निर्णय पर आप समझा नहीं पाए तो गलत आप, आपकी पार्टी, देश भर के सभी पार्टी पदाधिकारी, आपकी सरकार, आपकी पार्टी की राज्य सरकारें, मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक एवं सभी निर्वाचित जनप्रतिनिधि हैं। उन्हें आप, आपकी पार्टी और आपकी सरकारें क्या दण्ड देती हैं यह समय बताएगा लेकिन यह प्रश्न तो उठेगा ही कि इस विफलता के दोषियों को दण्डित क्यों न किया जाना चाहिए!
रही इस निर्णय पर देश के विपक्षी पार्टियों की कथित जीत सहित विधायिका और लोकतंत्र की कथित जीत की.. तो ये तीनों कृषि कानून संसद के दोनों सदनों से पास हैं और वह भी “निर्विरोध” पारित हुए हैं। इसका अर्थ हुआ देश की किसी भी पार्टी ने संसद में इन कृषि कानूनों का विरोध नहीं किया। इस लिए यह निर्णय भाजपा सहित सभी राजनीतिक पार्टियों की हार है, संसद के दोनों सदनों की हार है और इस तरह लोकतंत्र की हार है।
अतः इस पूरे घटनाक्रम में देश के बचे-खुचे राजनैतिक विपक्ष, प्रधानमंत्री से घृणा के स्तर तक विरोध रखने वाले आजन्म रुदालियों के पास खुश होने का कोई राजनैतिक-नैतिक अधिकार नहीं है।
बाकी आप समझा न सके.. तो ये आपकी कामकाजी विफलता है। समझा पाने के लिए आपकी सरकार ने बीते एक साल में क्या और कैसे प्रयास किये, कितने किये ये सब भी गुण-दोष विवेचन के विषय हुए। क्योंकि कथित किसान प्रतिनिधियों से बातचीत बन्द होने के बाद से आपकी सरकार के औपचारिक-अनौपचारिक प्रयास की कोई जानकारी न रही देश को.. ठीक उसी तरह अचानक सुधार संबंधी कानूनों की वापसी की घोषणा से पहले।
प्रधानमंत्री जी, आपने बुझे मन और खुले दिल से अपनी और अपनी सरकार की गलती इस विषय पर मानी यह आपकी संवेदनशीलता के साथ व्यवहारिकता की निशानी है। काम में, निर्णय में गलतियों का हो जाना.. कोई बड़ी बात नहीं। समय पर सुधार बेहतर निर्णय होता ही है।
लेकिन आपके द्वारा कानून वापसी की घोषणा करते हुए संबोधन में एक बात आपत्तिजनक है। वह शब्द “कुछ”।
आपने कहा… हम कुछ लोगों को समझा नहीं पाए! इस निर्णय की वापसी इन “कुछ” लोगों के न समझने से हुई यह क्या और कैसी बात हुई भला! इसकी गंभीरता का अंदाजा आपको कैसे न हुआ! यह कैसे संभव हुआ!! या यह आपकी तरफ से दिया गया कोई संकेत है!! फिलहाल इसे समझना बेहद कठिन है।
उन “कुछ” को समझाने के लिए आपकी यदि कोई विशेष कार्ययोजना हो तो वह भविष्य बताएगा ही और इसके लिए आप पर विश्वास भी है। लेकिन बीते एक साल के दौरान देश भर के किसान और जनमानस जब उन “कुछ” की पहचान अलगाववादी खालिस्तानी मानसिकताओं सहित मंडी माफियाओं, आढ़तियों और समस्त राजनीतिक विरोधियों, राष्ट्र विरोधी देशी-विदेशी शक्तियों के रूप में कर चुके थे तो कानूनों की वापसी का यह निर्णय किसके हित मे किया आपने!
कानून गलत नहीं इसलिए इन “कुछ” के बारे में देश के जनमानस और किसानों की राय और पहचान बिल्कुल सही थी और है, लेकिन आप इन कुछ के पक्ष में क्यों यह एक सवाल है जिसका उत्तर आपको देना बनता है।
साथ ही ये कानून सही होने के बावजूद वापस हो रहे तो किसानों के हित और कृषि सुधारों पर आप और आपकी सरकार अब आगे क्या करेगी यह भी बताना आपका धर्म है।
यह सही है कि आपके निर्णय के नेपथ्य के कारण आज अनुत्तरित हैं और आने वाले दिनों में हल होंगे लेकिन तब तक प्रश्न बहुत हैं, होते रहेंगे, होते रहने चाहिए लेकिन प्रधानमंत्री जी कृषि सुधारों के इन कानूनों को अपने समर्थन और इसके विरोधियों के बारे में अपनी सही राय रखने और आज भी उस पर कायम रहने के सन्तोष के साथ आपके इस फैसले से तथ्यों के आधार पर एक मतदाता और अभिव्यक्ति के सरोकारी के रूप में आज की तारीख में आज जनसामान्य में निराशा है, अप्रसन्नता है।
प्रधानमंत्री के रूप में आप चुनावों को ध्यान में रख कर फैसले नहीं लेते की आपकी छवि का हमेशा समर्थन है आपको यह जनमानस ने बार बार सिद्ध किया है। आप निरंकुश, अहंकारी नहीं है यह भी सिद्ध होता रहा है, एक बार फिर हुआ है। राजनैतिक जमीन पर आपने अपने इस निर्णय से कई सारे समीकरणों को ध्वस्त किया यह भी एक पक्ष है और महत्वपूर्ण भी जिसके नतीजे भी जल्दी ही सामने होंगे। आप और आपके राष्ट्र प्रथम संकल्प पर पूरे भरोसे के साथ ही आशा है इस विषय विशेष पर उन “कुछ” के सापेक्ष शेष हम सभी देशवासियों को भी समझा सकेंगे। क्योंकि आपकी कुल कही बात में मात्र इस “कुछ” का पाचन गरिष्ठ है क्योंकि उन कुछ को समझ हम और आप सभी रहे हैं।
आपका सदा ही शुभेक्षु..
(#अवनीश पी. एन. शर्मा)

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