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उम्मीद की किरण को अशेष

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उम्मीद की किरण को अशेष शुभकामनाएं…
19 नवम्बर 2005 को इंडियन ऑयल के ईमानदार नौजवान अधिकारी मंजूनाथ को उत्तरप्रदेश के लखीमपुर में भ्रष्ट और दबंग पेट्रोल पम्प मालिक ने अपने गुर्गों के साथ निर्ममतापूर्वक कत्ल कर दिया था। मंजूनाथ की हत्या से पूरे देश में क्षोभ और आक्रोश की लहर दौड़ गयी थी। लेकिन उत्तरप्रदेश के एक सीमावर्ती जनपद में जाकर धन सम्पत्ति और जबरदस्त राजनीतिक वर्चस्व वाले हत्यारों के खिलाफ कोलार (कर्नाटक) के निवासी मंजूनाथ के केस की सशक्त पैरवी करने वाला कोई नहीं था। उनके परिजनों की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं थी। पूरी दुनिया में रह रहे मंजूनाथ के सहपाठी मित्रों ने एक समूह बनाकर यह सुनिश्चित करने का प्रयास अवश्य किया था कि संसाधनों का अभाव ना हो। किन्तु जमीनी स्तर पर उन दबंगों के खिलाफ केस की नियमित पैरवी उनके बस की नहीं थी। पहले उन्होंने दिल्ली के कुछ फाइव स्टार अधिवक्ताओं को नियुक्त किया था। पर बहुत जल्दी ही मंजूनाथ के उन मित्रों को यह समझ में आ गया था कि दिल्ली के ये नामी गिरामी सफेद हाथी किसी काम के नहीं हैं। ऐसे में मंजूनाथ को न्याय दिलाने की ठानकर केस की कमान पहले से ही सम्भाल रहे लखनऊ के तीन नौजवान और तेज तर्रार अधिवक्ताओं की टीम को ही मंजूनाथ के उन मित्रों ने यह दायित्व सौंप दिया था। उस टीम ने मंजूनाथ के हत्यारों को दंड दिलाने के लिए अथक परिश्रम किया था और 17 महीनेे बाद 26 मार्च 2007 को मंजूनाथ की हत्या के मुख्य अभियुक्त को सत्र न्यायालय ने सज़ा ए मौत तथा उसके 7 साथियों को आजीवन कारावास का दंड दिया था। उन हत्यारों को हाईकोर्ट से यही राहत मिल सकी थी कि मुख्य अभियुक्त की सज़ा ए मौत आजीवन कारावास में परिवर्तित हो गयी थी।
मंजूनाथ के हत्यारों को उनके अंजाम तक पहुंचाने वाली उस त्रिसदस्यीय टीम के एक प्रमुख सदस्य मेरे अनुज तुल्य भाई Prashant Singh Atal भी थे। 2009 में वरुण गांधी पर मायावती सरकार ने जब रासुका थोप दी थी तब भी वरुण गांधी को न्यायिक राहत दिलाने में दिल्ली के पंचतारा अधिवक्ताओं की नामी गिरामी टीम को मिली असफलता के बाद कमान अपनी टीम के साथ अटल बाबू ने सम्भाली थी, वरुण गांधी को राहत दिलाने में सफल रहे थे। राम मन्दिर को लेकर चल रहे अयोध्या विवाद में राम मंदिर के पक्ष में कानूनी अखाड़े में जूझ रही अधिवक्ताओं की टीम के भी प्रमुख सदस्य रहे हैं अटल बाबू। विधिक संघर्ष में मिली ऐसी विशिष्ट सफलताओं की यह श्रृंखला काफी लम्बी है। उत्तरप्रदेश बार काउंसिल के इतिहास में सबसे कम आयु में सदस्य बनने के पश्चात उत्तरप्रदेश बार काउंसिल के सह चेयरमैन बने प्रशांत सिंह “अटल” को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 30 अक्टूबर को उत्तरप्रदेश सरकार का चीफ स्टैंडिंग काउंसिल (मुख्य स्थायी अधिवक्ता)-प्रथम नियुक्त किया गया है।
प्रशांत सिंह “अटल” तेज़ी से महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को सम्भाल रही नौजवान पीढ़ी के वह महत्वपूर्ण सदस्य हैं जिसकी प्रथमिकताओं की सूची में अपने हितों के साथ ही साथ ऐसे काम भी हैं जिनका लक्ष्य केवल जनहित समाजहित और देशहित ही है।
अतः देशहित जनहित के लिए उम्मीद की एक चमकती हुई किरण प्रतिभाशाली ऊर्जावान नौजवान अधिवक्ता प्रशान्त सिंह “अटल” को भावी जीवन की असंख्य अशेष शुभकामनाएं…

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