Home आर ऍम यादव ( राज्याध्यक्ष) Yashwant Pandey जी की यह एक ताजा पोस्ट
Yashwant Pandey जी की यह एक ताजा पोस्ट है, उसपर आई कुछ मार्मिक टिप्पणियाँ भी यहाँ दे रहा हूँ।
साल 2016 … मैंने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था … अब खुद का कुछ करना था … कुछ कंपनियों से जॉब ऑफर भी आई हुई थी … हिंदुस्तान के बाहर भी दो तीन कंपनियों से जॉब ऑफर आई थी … एक सज्जन ने तो यहां तक कहा … आप अफ्रीका आओ … एक महीना यहां रह कर देखो … मैं टिकट भेज देता हूं … अगर अच्छा लगे तो कंटिन्यू करने करना … और अच्छा ना लगे तो वापस इंडिया चले जाना … मैंने उन्हें इस विश्वास के लिए धन्यवाद दिया … और उनका ऑफर विनम्रता पूर्वक मना कर दिया … साथ ही यह भी कहा … अगर आप मेरी मदद करना चाहते हैं … तो मुझे कुछ आर्डर दीजिए … मैं बेस्ट क्वालिटी मैटेरियल्स… बेस्ट प्राइस पर आपके लिए ढुंढ कर भिजवा दूंगा …
उन्होंने कहा … बहुत अच्छा … आप मेरे लिए एक कंटेनर ग्रेनाइट भिजवा दो … आगे बढ़कर उन्होंने कहा … प्रोफॉर्मा इन्वॉयस भेज दो मैं आपको पेमेंट करवा देता हूं … मैं बहुत खुश था … पहला एक्सपोर्ट्स ऑर्डर मिला था … मैं अपने कनेक्शन में ग्रेनाइट प्रोसेसर्स ढूंढने लगा … पता चला जयपुर में मेरे कंपनी के पुराने डीलर … जो मेरे अच्छे मित्रों में एक थे … उनकी ग्रेनाइट्स प्रोसेसिंग यूनिट भी है … वह मेरे करीबी मित्रों में एक थे … हम लोग साल में दो बार पांच – सात दिन के लिए आउटिंग पर भी जाते थे … उनसे फोन पर बात किया … उनका कहना था … चिंता की कोई बात नहीं है … आप तो घर के आदमी हो … कभी भी आ जाओ … कंटेनर लोड करवा दूंगा … माल हमेशा रेडी रहता है … मैं खुश हो गया … मुझे लगा गोद में बच्चा और नगर में ढिंढोरा … इतने बढ़िया कनेक्शन है हम तो धमाल कर सकते हैं …
मैं जयपुर पहुंचा … अपने पार्टनर के साथ मित्र के दुकान पर पहुंचा … उन्होंने हमें बहुत तवज्जो दिया … और कहा ग्रेनाइट का काम उनके बड़े भाई संभालते हैं … हम उनसे जाकर फैक्ट्री में मिल लें … प्रोडक्ट भी देखने को मिलेगा … और जो भी जानकारी चाहिए वह सब उपलब्ध हो जाएगा … उन्होंने हमारे सामने फोन करके अपने बड़े भाई को हमारे बारे में बताया … और यह भी कहा हम उनकी फैक्ट्री आ रहे हैं … उनकी फैक्ट्री विश्वकर्मा इंडस्ट्रियल एरिया में थी … मैं और मेरे पार्टनर उनकी फैक्ट्री पहुंचे … बड़े भाई साहब ने बड़ी गर्मजोशी के साथ हमारा स्वागत किया … हल्की बारिश हो रही थी …. मौसम सुहाना हो चुका था … गरमा गरम समोसा और कॉफी का इंतजाम किया गया …
थोड़ी देर इधर उधर की बातें होने के बाद मैंने उन्हें पूरी कहानी बताइ … और कहा मुझे अच्छी क्वालिटी का ग्रेनाइटस चाहिए … और यह मेरा पहला एक्सपोर्ट्स होगा … मैं चाहता हूं … क्लाइंट संतुष्ट हो और परमानेंट बने … उन्होंने मेरी बातों को गौर से सुना चश्मे के पीछे झांकते उनकी आंखों में चमक उठी …
खिड़की से छोटे-छोटे पत्थरों के ढेर की ओर इशारा करते हुए कहा … यह सब आप अफ्रीका भेज दीजिए … वहां बहुत डिमांड है … मेरे पास चार पांच कंटेनर माल पड़ा हुआ है … मैं आपको अच्छे प्राइस में दे दूंगा … मैं चकरा गया … इसको मलबे को कोई क्यों इंपोर्ट करेगा … मेरे मना करने पर वे थोड़े निराश हुए … और ग्रेनाइट स्लैब्स दिखाने के लिए वेयरहाउस में पहुंचे … मैं ग्रेनाइट स्लैब्स का फोटो लेकर उनसे प्राइस पूछ रहा था … लगभग 20 कलर और डिजाइन के ग्रेनाइट स्लैब्स और उनके प्राइस मैंने अपने बायर को भेजा … उनका कॉल आया और उनका कहना था … जो प्राइज है मुझे वेंडर दे रहा है … वह प्राइस बहुत अधिक है … वे अफ्रीका में इस प्राइस पर बेच रहे हैं … वास्तव में प्राइसेस दोगुना से भी ज्यादा है … आप कहीं और ट्राई करो … जब मैंने मित्र के बड़े भाई से बात करी तो वह गरम हो गए … और कहने लगे 30 साल से ग्रेनाइट के बिजनेस में हूं … आप मुझ पर आरोप लगा रहे हो … अधिक प्राइस लेने का …
खैर उनसे क्षमा मांगते हुए मैं और मेरे पार्टनर बाहर निकले … वह पीछे से बड़बड़ा रहे थे … कहां-कहां से दिन खोटा करने के लिए चले आते हैं … बिना मतलब के समय और पैसे दोनों ही खराब होते हैं … मेरे मित्र के बड़े भाई थे अन्यथा मैं उन्हें कॉफी और समोसे का पैसे दे देता … मैं बहुत अपमानित महसूस कर रहा था … उस दिन से निर्णय ले लिया … किसी भी नए वेंडर से मिलते वक्त उनका पानी भी नहीं पीना … जयपुर से निकलकर हम किशनगढ़ पहुंचे … वहां तीन-चार लोगों से मिला … उन्हें यह बताया कि मुझे घर के लिए ग्रेनाइट लेना है … मित्र के भाई साहब से आधा दाम उन्होंने कोट किया … एक फैक्ट्री में आर्डर फाइनल किया … प्रोसेसर ने 15 दिन का समय मांगा एडवांस के बाद … हमनें एडवांस पेमेंट की … 12 दिन के बाद प्रोसेसर का फोन आया … आपका मटेरियल रेडी है … मेरे पार्टनर ने प्रॉपर एक्सपोर्ट पैकिंग करवा कर … कंटेनर लोड करवाया …
लगभग 1 महीने में कंटेनर मेरे बायर के वेयरहाउस में था … ऑफलोड करते हीं उन्होंने फोन किया … आपने एक्सीलेंट क्वालिटी मैटेरियल एक्सीलेंट पैकिंग मैटेरियल मैं पैक करके भेजा है … बहुत-बहुत धन्यवाद … जल्दी ही दूसरा कंटेनर का आर्डर दूंगा …
टिप्पणी १ दोस्ती और बिज़नेस अलग अलग..
टिप्पणी २ बहुत कॉमन बात है। जान पहचान में ज्यादा चूना लगता है।
टिप्पणी ३ हमारे यहाँ एक जोक काफी प्रचलन में है…
एक दुकानदार से कोई पूछता है कि आपका काम कैसे चल रहा है, तो दुकानदार जवाब देता है… “आज तो बहुत बेकार काम है, क्योंकि आज कोई रिश्तेदार या जानकार ग्राहक नहीं आया.”
यानि रिश्तेदार या जानकार की आप जितनी भी जेब काट लो, वो भरोसा होने के कारण बारगेनिंग नहीं करते… इसीलिए उनसे प्रॉफिट ज्यादा लिया जा सकता है.
टिप्पणी ४ रिश्तेदारी व जानपहचान में बिज़नेस करने में अनेक दिक्कतें हैं। सबसे बड़ी दिक्कत सम्बंध बिगड़ जाने की होती है
मेरी टिप्पणी
सेक्युलर था तब ये पाया थी विधर्मियों के साथ कि वे गणित बहुत अच्छा लगाते हैं। आप को अपने भाईबंद के पास ले जानेवाला आप का परिचित और जिसके पास जा रहा है वो भी। अगर आप में लॉंग टर्म फायदा दिखाई दे रहा हो तो बिल्कुल अव्वल दर्जे का माल देंगे और इतना काम दाम देंगे कि आप दूसरों से पूरा बिजनस स्विच कर के इनको देंगे। बाद में आप को तबीयत से हलाल किया जाएगा।
आप अगर एक ही टाइम के ग्राहक लगे तो वहीं काटने की कोशिश होगी।

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