अखिलेश यादव और शीशी में शराब
अखिलेश यादव ने धुर शराबियों की तरह सफाई देते हुए अभी एक चैनल को इंटरव्यू में बताया है कि उन की जेब में कांच की बोतल है ज़रुर पर इस में गरम पानी है। लगातार बोलते रहने के कारण गरम पानी पीना ज़रुरी होता है। सोचिए कि आस्ट्रेलिया से इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री लिए यह पूर्व मुख्य मंत्री कितना सादा और सरल है कि थर्मस आदि की लक्ज़री नहीं पालता , गरम पानी के लिए। ख़ुद अपनी जेब में कांच की बोतल लिए घूमता है। अच्छा कांच की बोतल में पानी भला कितनी देर गरम रहता है ? हां , अखिलेश यादव ने अपनी शर्म और झेंप मिटाते हुए इंटरव्यू में यह भी बताया है कि योगी जी के लिए इसी कांच की बोतल में वह दूध भिजवा देंगे। वैसे अखिलेश यादव को कोई यह भी बता दे कि मादक द्रव्य अब प्लास्टिक की बोतल में भी आते हैं। ग़ौरतलब है कि अखिलेश यादव जिस जगह खड़े हैं , इस फ़ोटो में यह लखनऊ का जे पी इंटरनेशनल सेंटर है। यहां उन की क्या किसी भी की कोई रैली आदि नहीं हो सकती। कभी भी। बाक़ी तो अहमद फ़राज़ का एक शेर जैसे अखिलेश यादव के लिए ही मौजू है :
मय-कदे में क्या तकल्लुफ़ मय-कशी में क्या हिजाब
बज़्म-ए-साक़ी में अदब आदाब मत देखा करो।
जो भी हो इत्र के क़ारोबार में रक़म भी है , नशा भी है। आख़िर अरबों रुपए डूबे हैं तो ग़म ग़लत करना तो बनता ही है। फिकर नाट टोटी यादव , फिकर नाट ! वैसे गुलज़ार निर्देशित एक फ़िल्म है आंधी। कमलेश्वर लिखित उपन्यास काली आंधी पर आधारित है। इस में एक राजनीतिक कार्यकर्ता की भूमिका ओमप्रकाश ने निभाई है। वह होमियोपैथी दवा की शीशी में शराब रखता है और सार्वजनिक रुप से दवा बता कर दो खुराक , तीन खुराक पीता रहता है। अब तो कोल्ड ड्रिंक वगैरह कई सारे सार्वजनिक रास्ते हैं। पर टोटी , टाइल पर जब इत्र चढ़ कर बोलता है तो जेब में गरम पानी की बोतल आ जाना सहज संभाव्य है।
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