पं.अटल बिहारी वाजपेयी जब भारत रत्न को मिले तब भारत रत्न भी उनको पाकर धन्य हुआ। एक बार पंडित जी से किसी ने आकर कहा कि आपके पास ओजस्वी भाषण की जो अद्भुत कला है उसका मैं कायल हूँ। इस पर पंडित अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि इसमें मेरा कोई योगदान हैं। मेरे यह सारे गुण और संस्कार मेरे पुरुखों की देन हैं।
भारत माँ के सच्चे सपूत, राष्ट्र पुरुष, राष्ट्र मार्गदर्शक और सच्चे देशभक्त वाजपेयी जी भारत की राजनीति में मूल्यों और आदर्शों को स्थापित करने वाले राजनेता के तौर पर युगों युगों तक याद किए जाएंगे।
मेरे लिए वाजपेयी जी उन आदर्श पुरुषों में से एक हैं और रहेंगे जिनको हरदम सनातन गौरव बोध रहा और जिन्होंने हरदम अपने हिन्दू होने पर गर्व और गौरव महसूस किया।
राष्ट्रहित को सदा सर्वोपरि रखने वाले वाजपेयी जी के बारे में लोग कहते हैं कि सब कवि सम्मेलन के मंचो पर पंडित जी हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय नामक कविता पढ़ते थे तो ऐसा लगता था मानो रोम रोम झंकृत हो गया हो!
मुझे उनकी एक कविता स्वतंत्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा बहुत प्रिय है उनकी ही कविता से आज उनको श्रद्धासुमन अर्पित करता हूँ
एक नहीं, दो नहीं, करो बीसों समझौते
पर स्वतंत्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा।
अगणित बलिदानों से अर्जित यह स्वतंत्रता
त्याग, तेज, तप, बल से रक्षित यह स्वतंत्रता
प्राणों से भी प्रियतर यह स्वतंत्रता।
इसे मिटाने की साजिश करने वालों से
कह दो चिनगारी का खेल बुरा होता है
औरों के घर आग लगाने का जो सपना
वह अपने ही घर में सदा खरा होता है।
अपने ही हाथों तुम अपनी कब्र न खोदो
अपने पैरों आप कुल्हाड़ी नहीं चलाओ
ओ नादान पड़ोसी अपनी आंखें खोलो
आजादी अनमोल न इसका मोल लगाओ।
पर तुम क्या जानो आजादी क्या होती है
तुम्हें मुफ्त में मिली न कीमत गई चुकाई
अंगरेजों के बल पर दो टुकड़े पाए हैं
मां को खंडित करते तुमको लाज न आई।
अमेरिकी शस्त्रों से अपनी आजादी को
दुनिया में कायम रख लोगे, यह मत समझो
दस-बीस अरब डॉलर लेकर आने वाली
बरबादी से तुम बच लोगे, यह मत समझो।
धमकी, जेहाद के नारों से, हथियारों से
कश्मीर कभी हथिया लोगे, यह मत समझो
हमलों से, अत्याचारों से, संहारों से
भारत का भाल झुका लोगे, यह मत समझो।
जब तक गंगा की धार, सिंधु में ज्वार
अग्नि में जलन, सूर्य में तपन शेष
स्वातंत्र्य समर की वेदी पर अर्पित होंगे
अगणित जीवन, यौवन अशेष।
अमेरिका क्या संसार भले ही हो विरुद्ध
काश्मीर पर भारत का ध्वज नहीं झुकेगा,
एक नहीं, दो नहीं, करो बीसों समझौते
पर स्वतंत्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा।