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जाती धर्म और मान्यताये

by Nitin Tripathi
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रामायण एक्सप्रेस के ड्रेस कोड मे अटेंडेंट ने भगवा कुर्ता, लाल धोती, राजस्थानी पगड़ी रुद्राक्ष माला के साथ पहनी तो काफी सारे लोगों की और संत समुदाय के एक हिस्से की भावनाएं आहत हो गईं। वजह यह कि जूठे बर्तन उठाना छोटा कार्य और छोटे कार्य करने वाला भगवा कुर्ते मे कैसे। खास बात यह कि यह न दिखा कि इस एक्सप्रेस के अटेंडेंट असली राम सेवक हैं, आरंभ मे राम दरबार की पूजा करते हैं, यात्रियों, बुजुर्गों को सस्नेह जय श्री राम कह कर अभिवादन करते हैं, उन्हें तीर्थाटन करा रहे हैं, तीर्थ यात्रा में उनकी सेवा कर रहे हैं, इससे पुण्य का कार्य हिन्दू धर्म मे कोई नहीं माना जाता। किन्हीं संत से कम नहीं कहलाएंगे इनके पुण्य – लेकिन हाँ वही सदियों जाति प्रथा वाला झूठ घमंड कि जूठे बर्तन उठाने वाला भगवा कुर्ते और रुद्राक्ष मे कैसे।
आप ऋषिकेश जाते हैं, कोई भी रुद्राक्ष माला खरीद सकता है। बेचने मे कोई रोक नहीं। इन दिनों भाजपा की सरकार है तो गली मुहल्ले के ज्यादातर छोटे मोटे नेता उनमे विशेष कर वह जो पुलिस की दलाली, ठेकेदारी करते हैं – वह भगवा मे दिखाई देते हैं, उस पर कोई रोक नहीं। सरकार के अल्प संख्यक विभाग के मंत्री हैं भाई मोहसिन रजा जी उनका घर भगवा पुता है, वह भी उचित। हज हाउस से लेकर भारतीय क्रिकेट टीम भगवा पहनती है, उस पर गर्व का अनुभव करते हैं।
पर हाँ अपने समाज के मेहनत कस लोग जो तीर्थ यात्रा करा रहे हैं राम मय होकर, वह भगवा कुर्ता / रुद्राक्ष पहन लें तो भावनाएं आहत हो गई।
यह m धर्म का usp रहा है, हर बात मे भावना आहत होना। हिन्दू धर्म जब तक वेद सम्मत है प्रोग्रेसिव है। पर जैसे ही आप m से प्रभावित होकर अपनी भावनाएं भी उन्हीं के जैसी कर लेते हैं तो यह उचित नहीं।
हिन्दू धर्म मे हम जितना शंकराचार्य का सम्मान करते हैं, उतना ही गुहराज निषाद का भी और उतना ही शबरी का भी। भक्ति के कार्य मे रामनामी ओढ़ केवट नाव पार लगाए और पंडित जी भी वैसी ही रामनामी ओढ़ मंत्र उच्चारण करें, यही सनातन धर्म है।
नौकरी और जाति के आधार पर कौन क्या पहन सकता है यह भेद भाव कम से कम मेरा सनातन धर्म नहीं। असहमति का स्वागत है।
नोट: विरोध का सम्मान करते हुवे सरकार ने ड्रेस कोड बदल दिया. सरकार जनमत से चलती है, आप ज़िद करेंगे वह कुर्ता पैजामा शेरवानी पहना देंगे. आप कहेंगे तो उन्हें जीसस की चेन पहना दी जाएगी – यक़ीन मानिए इस पर ईसाई य मुस्लिम की धार्मिक भावनाएँ आहत न होंगी वह ख़ुशी ख़ुशी अलाउ करेंगे. पर विषय वही है कि आप की भावना इस बात पर क्यों आहत हो जाती है कि छोटा कार्य करने वाले यह न पहने, वह न खाएँ, ऐसे न रहें.

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