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द मिशन: भारत और धर्मान्तरण

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आज धर्मांतरण एक विभीषिका बन कर हिन्दू समाज के सामने आगया है। इतिहास में इस्लाम द्वारा धर्मांतरण, तलवार की जोर पर किया सामने दिखता है जहाँ मनुष्य का जीवन उसके इस्लाम कबूलने पर निर्भर करता था लेकिन ईसाई धर्म में यह मनुष्य के विश्वास और उसकी आत्मा की हत्या कर के किया जाता रहा है। आज भारत का  हिन्दू समाज, इस विभिषका से जो गुजर रहा है वह पिछले ४० सालो से यही के लोगो ने मृगमरीचिका में पाला हुआ है। यह ईसाईयों द्वारा धर्मांतरण को “सेवा भाव” के नाम पर भारत के ही रजिनैतिक तंत्र के प्रश्रय में बुद्धजीवियों के संरक्षण में बेचा गया है। 

सोनिया गांधी जब तक सत्ता में राजिनैतिक शक्ति रही थी तब कर वेटिकन के पोप का यह कार्य, भारत में कार्य करने वाले मिशनरीज “गरीब और लाचार की सेवा” के नाम बेधड़क कर रहे थे। इसी काल की ही उत्पत्ति कोलकोता में काम करनी वाली टेरेसा थी जिसको मदर टेरेसा नाम का एक ब्रांड तैयार कर के यहाँ के लोगो को बेचा गया है। अब जब वेटिकन की अनिाधिकारिक राजदूत सोनिया का प्रताप अस्त हो चला है तब टेरेसा ऐसी क्रूर महिला को संत के नाम पर बेचने की तैयारी चल रही है। मेरी कभी वेटिकन के पोप पर कभी कोई आस्था नही रही है क्यूंकि पोप के इतिहास से मैं खूब अच्छी तरह परचित हूँ लेकिन 1987 में एक फिल्म The Mission देखने के बाद यह और अच्छी तरह समझ में आगया की  वेटिकन का कैथोलिक जगत का धर्मगुरु पोप, विशुद्ध रूप से राजिनैतिक व्यक्ति होता है जो अपना कैथोलिक सम्राज्य, पाश्चात्य जगत की गोरी चमड़ी के उद्देश्यों के लिए काम करता है। जिस फिल्म का मैंने जिक्र किया है उसके निर्देशक Rolland Joff और मुख्य भूमिका निभाने वाले Robert de Nero और Jeremy Irons है।

यह फिल्म 1750 के आस पास की कहानी कहती है जो दक्षिण अमेरिकी उपमहाद्वीप के उत्तर पूर्वी अर्जेंटीना और पश्चिमी पारागुए में हुयी घटना को 

बयान करती है। वह इलाका, गूरानी लोगो का था जो आदिवासी थे लेकिन उस इलाके में स्पेनिश राज्य था। उस काल में जहाँ वेटिकन का पोप, योरप से पादरियों को, स्पेन के सम्राज्य के संरक्षण में, इन आदिवासियों को ईसाई बनाने के लिए भेजता था, वही योरप से आये लोग इन गूरानी लोगो को, जंगल से पकड़ कर, प्लांटेशन में काम करने के लिए, गुलाम बना कर बेचते थे। यह सब चर्च और वेटिकन की मौन स्वीकृति से होता था। कहानी का एक किरदार जेसुइस्ट पादरी फादर गेब्रियल(Jermey Iron) है जो गूरानी  लोगो के बीच जाकर विश्वास जीतता है और जंगल में अपना मिशन बनाता है और दूसरा किरदार एक गुलाम व्यवसायी रोड्रिगो मेंडोज़ा (Robert De Niro) है।  

एक दिन मेडेज़ा से अपने सौतेले भाई की हत्या हो जाती है और वह विषाद में आकर, शहर आये हुए फादर गेब्रियल से हत्या के अपराधबोध से मुक्ति दिलाने की विनती करता है। फादर गेब्रियल, मंडोज़ा से प्रयाश्चित स्वरूप उसके साथ जंगल में बने मिशन में गूरानी आदिवासियों के बीच काम करने को 

कहता है और मंडोज़ा उसके साथ जंगल में चला जाता है। धीरे धीरे मंडोज़ा को गूरानी लोग स्वीकार कर लेते है और गूरानी लोगो के साथ वो हिल मिल जाता था। फिर एक दिन फादर गेब्रियल उसको संकल्प कराकर अपनी ही तरह जेसुइस्ट बना देता है।  उनका मिशन फलता फूलता रहता है तभी 1750  में पोप की मध्यस्ता में, स्पेन और पुर्तगाल के बीच, दक्षिण अमेरिकी उपमहाद्वीप को बांटने के लिए एक समझौता होता है, जिसे इतिहास में ‘मेड्रिड समझौता’ के नाम से जाना  जाता है। इस समझौते के अनुसार जिस इलाके में फादर गेब्रियल का मिशन होता है, वह पुर्तगाल के हिस्से में आता है। इस बटवारे से पुर्तगाल के लिए एक समस्या आजाती है, उनके यहां, गुलामी कानून थी और उनके उद्देश्यों में एक उद्देश्य, गूरानी लोगो को गुलाम बनाने का भी था। लेकिन वहां जेसुसिस्ट के मिशन होने के कारण, पुर्तगाल उसमे सफल नही हो पारहा था। इस समस्या के निदान के लिए पोप, वाटिकन से एक कार्डिनल अल्टामिरनो को, यह आदेश के साथ, दक्षिण अमेरिका भेजते है की वह वहां जाकर, योरप में कैथोलिक चर्च  के हितो को देखते हुए, किस मिशन को चलने दिया जाये और कौन सा बंद किया जाये, इसका निर्णय करे।

कार्डिनल अल्टामिरनो, स्पेन के गवर्नर काबेज़ा और पुर्तगाल के गवर्नर डॉन हंटर से बात करते है और फिर पुर्तगाल सम्राज्य की नाराजगी से होने वाले नुकसान और योरप में कैथोलिक चर्च की टूटने के डर से, जेसुइस्ट मिशन को बंद करने का निर्णय लेते है। जब चर्च के द्वारा लिए गए निर्णय को बताने के लिए कार्डिनल उस मिशन में जाते है तो वह देखते है की वहां अच्छी खासी बस्ती और काफी गूरानी लोग ईसाई धर्म अपना चुके है। कार्डिनल, फादर गेब्रियल और मंडोज़ा को आदेश देते है की वह लोग मिशन बंद कर दे और गूरानी लोगो को सलाह देते है की वह लोग वापस जंगल में चले जाए। जब गूरानी लोग कार्डिनल से, अपने को ईसाई बताते हुए, कारण पूछते है तो कार्डिनल उनसे कहता है , “यह प्रभु येशु की इच्छा है और उनको यही करना चाहिए’। 

फादर गेब्रियल और मंडोज़ा दोनों कार्डिनल की बात मानने से मना आकर देते है और वो दोनों गूरानी लोगो के साथ कब्ज़ा लेने आने वालो से लड़ने का फैसला करते है।  1756  में स्पेन और पुर्तगाल की मिलजुली 3000 सैनिको की सेना मिशन पर आक्रमण करती है और उस क्षेत्र के 7 जेसुसिट मिशनों पर कब्जा कर लेते है। इसमें फादर गैबरियल और मंडोज़ा के साथ 1511 गूरानी लोग मार डाले जाते है। 

फिल्म के आखिरी सीन में कार्डिनल  अल्टामिरनो और पुर्तगीज़ गवर्नर डॉन हंटर, आपस में इस सब को लेकर बात करते है, जिसमे डॉन हंटर कहता है,” हम सब को दुनिया के हिसाब से काम करना चाहिए और दुनिया यही है.” जिसके जवाब में कार्डिनल अल्टामिरनो कहते है,” नही, यह दुनिया ऐसी बनी है क्योंकि यह मैंने बनाई है।” यह जो 1750 के काल में सदूर दक्षिण अमेरिकी उपमहाद्वीप में, गूरानी लोगो के साथ जो सत्य था वही आज भी भारत के लोगो के लिए सत्य है।  वेटिकन के पोप और उनका ईसाई धर्म आज भी पाश्चात्य दुनिया के गोरी चमड़ी वालो के ही स्वार्थ की रक्षा करता है और उसका येशु मसीह या वर्जिन मेरी या अध्यात्म से कोई मतलब नही है। ईसाई धर्म चर्च द्वारा, येशु के मरने के 200 साल बाद पैदा हुआ है।

 भारत या किसी भी राष्ट्र का निवासी जो सफेद चमड़ी का नही है वह ईसाई चर्च के लिए गूरानी है।

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