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ब्रांड और ब्रांड अंबेसडर की ताक़त

by Nitin Tripathi
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TV पर शाहरुख़ खान आते हैं अजय देवगन के साथ दो रुपए वाला पान मसाला बेंचते हुवे. मुझे मालूम है शाहरुख़ खान ऐसे दस मसाला वालों को ख़रीद लें. मैं ब्रांड शाहरुख़ का कोई फ़ैन भी नहीं. पर मुझे और इस ब्रांड के मालिक को मालूम है जब शाहरुख़ स्क्रीन पर ये मसाला खाते हैं तो सवा अरब के भारत में पचीस करोड़ यह मानते हैं कि वाक़ई शाहरुख़ यह खाते हैं और वह bhi यह ज़हर खाने लगते हैं.
यह होती है ब्रांड और ब्रांड अंबेसडर की ताक़त.
भारत में नेहरू परिवार ने दसियों साल ब्रांड गांधी पर खर्च किया है. एक समझदार व्यवसाई होते हुवे मैं व्यक्तिगत गांधी से असहमत हूँ तो भी मुझे पता है एज आ ब्रांड गांधी दुनिया के सबसे बड़े ब्रांड हैं. आप खरबों खर्च कर इस ब्रांड को मिटाएँ इससे बेहतर है गांधी ब्रांड पर क़ब्ज़ा कर अपना प्रोडक्ट बेंचे. मुझे मोदी जी इस लिए और पसंद हैं कि उन्मे इतनी बेसिक समझ है कि उन्हें पता है किसे मिटाना है और किसके ब्रांड नेम को यूज़ करना है.
गांधी को गाली देना बहुत आसान है, उनके जैसा ब्रांड बनना मुश्किल. दुकान सजी है, गांधी ब्रांड पर क़ब्ज़ा कर उसे अपने फ़ेवर में यूज़ करना बेहतर है तुलना में कि गांधी को गाली दी जाए.
हमारा उद्देश्य होना चाहिए कि हम विपक्ष से गांधी सुभाष नेहरू सब छीन लें और उन्हें ब्रांड लेस बना दें, उनके ब्रांड अंबेसडर राहुल गांधी बना दें बाक़ी सब को अपनी टीम में शामिल कर लें.

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