Home आर ऐ -ऍम यादव ( राज्याध्यक्ष) Atlas Shrugged में नायक को एक ब्यूरोक्रेट

Atlas Shrugged में नायक को एक ब्यूरोक्रेट

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Atlas Shrugged में नायक को एक ब्यूरोक्रेट कहता है कि हम कानून ही ऐसे बनाएंगे कि उन्हें तोड़े बिना जीवित रहना ही मुश्किल बन जाएगा। फिर आप से जब कानून का उल्लंघन होगा तो आप कानून की नजर में गुनहगार होंगे, और फिर आप को जैसे चाहे नचाना हमारे लिए आसान होगा। आप इस बात को जितना जल्दी समझ लें, हमारे बीच संवाद सुलभ होगा।
Atlas Shrugged का नायक एक बडा और नामचीन उद्यमी होता है तो उससे एक बाबू अपनी केबिन में वन टू वन इतनी खुलकर बात करें यह समझ में आता है। और यूं भी तो यह उपन्यास है, तो लेखिका ने यह बात लिखने की छूट ली यह हम समझ सकते हैं। पर क्या यह वास्तव नहीं ? क्या हम ऐसी ही स्थिति से रोज दो चार नहीं हो रहे ? एक अमेरिकन लेख पढ़ा था जहाँ लेखक ने लिखा था कि घर से ऑफिस जाने तक के समय में एक औसत अमेरिकन नागरिक द्वारा कितने कानून तोड़े जाते हैं। पुलिस कुछ कहती या करती नहीं क्योंकि हर किसी को हर उल्लंघन के लिए सजा देने लगे तो शहर में बचेगा कौन ? लेकिन कानून बने हुए तो हैं और जब सही समय आता है तो जिस व्यक्ति को औकात में लाना होता है उसपर ऐसे ही किसी कानून की गाज गिराई जाती है।
और ये कानून बहुतही शांति से बनाए जाते हैं और बहुतही निरापद और जनहित साधक लगते हैं जब उन्हें बनाने के लिए दलीलें दी जाती हैं। उन्हें पास कराने में बहुत चर्चाएँ भी नहीं होती क्योंकि वे उतने महत्व के लगते भी नहीं – उस समय। काफी इन्टरेस्टिंग था वो लेख, मिल जाए दुबारा तो अवश्य साझा करूंगा।
यहाँ इतनी भूमिका लिखने का कारण है रतलाम में मंदिर के पुजारी जी पर हुई कारवाई। कैसे कानून आप को चोर, गुनहगार ठहराता है यह समझिए। अब यह तर्क, कानून की तरफ से करूंगा, ताकि आप खेल को समझें कि क्या होता है।
// कानून की नजर में उन्होंने नियम का उल्लंघन किया है। उन्होंने भले ही गुल्लक में चढ़ाई रकम को नहीं उठाया, लेकिन वे मंदिर के वेतनभोगी सेवक हैं और नियम के तहत भक्त से कुछ लेने का उन्हें अधिकार नहीं। भक्त, मंदिर में आया है, उनसे मिलने नहीं। अत: भक्त को जो भी देवता को अर्पण करना है, मंदिर की व्यवस्था में लगे गुल्लक में ही डालना चाहिए। वस्तु हो तो मंदिर के कार्यालय में जा कर रसीद लेनी चाहिए, पुजारी को देना भक्त की गलती है और पुजारी का गुनाह है क्योंकि सेवाशर्तों के अनुसार पुजारी को पता है कि उनको भक्त से दान नहीं लेना है; भक्त मंदिर में आया है, पुजारी से मिलने नहीं//
बात समाप्त। अब कोई बिना इमोशनल हुए इसका खंडन कर दिखाएँ।
इसलिए कानूनों पर नजर रखनी चाहिए। कब कौनसा कानून आप को आप के घर में ही चोर करार देगा कह नहीं सकते।
यह एक मराठी नाट्यगीत है, अंग्रेजों के जमाने का, तब इसपर पाबंदी थी । अनुवाद मेरी क्षमता से परे है।

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