आमिक्रान ने धीमे धीमे अपने पैंर भारत में बढ़ाना आरम्भ कर दिया है.
विदेशों में बसे रिश्तेदारों से जो समझ आ रहा है वह यह है कि आमिक्रान के प्रकोप से बचना मुश्किल है. अच्छी बात यह है कि सिंप्टमस बहुत हल्के हैं. फैल तेज़ी से रहा है, पर है हल्का.
पर यह अभी पश्चिम की रिपोर्ट है. भारत जैसे देश में महामारी क्या रख लेगी कोई नहीं जानता. डेल्टा वैरिएँट के भारत के काग़ज़ी आँकड़े अब चाहे जो कहें, लोग भले ही भूल गए हों वह समय, पर अपनी याददाश्त पर हल्का सा ज़ोर देंगे तो याद आ जाएगा वह तबाही का माहौल. भारत में समस्या बीमारी से ज़्यादा प्रशाशन और इलाज होता है. यहाँ बीमारी से कम लोग मरते हैं, अस्पताल की लापरवाही से ज़्यादा मरते हैं. यहाँ अभी यह हो जाए कि आमिक्रान में विक्स लगाने से राहत मिलती है, यक़ीन मानिए विक्स की डब्बी मार्केट से ग़ायब हो जाएगी, जो भाग्यवान होंगे उन्हें मंत्री जी की सिफ़ारिश से हज़ार रुपए की मिल जाएगी. बीमारी ज़्यादा फैली तो मंत्री जी भी न पाएँगे.
तो अभी सब कुछ अंधेरे में है, एक महीने में चीजें ज़्यादा क्लीयर हो जाएँगी. तब तक अपना, अपने परिवार का वैसे ही ध्यान रखें जैसा 2021 एप्रिल में रख रहे थे. सजग रहें, भीड़ में जाने से परहेज़ करें, मास्क पहने, वैक्सीनेटेड रहें. होना होगा, तब भी हो जाएगा और जैसा दिख रहा है होगा ही. पर तीव्रता कम रहेगी.
दूसरों की मृत्यु के आँकड़े ऐनलायज़ करना आसान होता है, जब तक इसकी गिरफ़्त में अपने न आएँ. अब मौक़ा आ गया है कुछ समय सजग रहने का.