Home विषयजाति धर्म मैं एक सिख हूँ ! : मुझसे कौन कौन डरता है?

मैं एक सिख हूँ ! : मुझसे कौन कौन डरता है?

860 views
कल फेसबुक पर एक मित्र ने प्रश्न पुछा – मैं इक सिख हूँ, ईमानदारी से बताना मुझसे किसे किसे डर लगता है अब ?
मैं कल से ही इस प्रश्न को सोच रहा हूँ … मैं सोच रहा हूँ कि इस प्रश्न की आवश्यकता ही क्यों आन पड़ी … आपको जानते हैं, आपसे गले मिले हैं, आपके और हमारे विचार भी एक हैं .. बस एक फिजिकल अंतर है कि आप सिक्खी वेश भूषा में हैं जिसपर कभी ध्यान भी न गया क्योंकि ये तो आम है … आप जैसे ही अनेकों मित्र हैं, अध्यापक, प्रोफेसर, इंजीनियर, वैज्ञानिक आदि हैं जिनसे प्रगाढ़ सम्बन्ध हैं … हमारे मोहल्ले में ही तीन परिवार हैं … कभी कोई ऐसा प्रश्न ही नहीं कि हम इन सबसे या ये लोग हमसे डरें …
ऐसे ही फेसबुक पे बिलाल भी हैं .. मैं क्यों डरूं इनसे .. मिलने वालों में अनेकों ऐसे मुस्लिम मित्र अध्यापक, प्रोफेसर, इंजीनियर, वैज्ञानिक आदि हैं, मोहल्ले में ही चार घर हैं … … इधर भी कोई ऐसा प्रश्न ही नहीं कि हम इन सबसे या ये लोग हमसे डरें …
.
यहाँ अब प्रश्न है कि ये डर का प्रश्न क्यों बनता है क्योंकि शायद अब मुझे भी डर लगेगा … परन्तु मैं प्रश्न पूछने वाले मित्र से नहीं डरता हूँ … मुझे इन जानने वालों से क्या डर …लेकिन डर तो लगता है अब … 2000 – 2003 के बीच तीन वर्ष मोहाली में रहे .. आस पास का कोई गुरुद्वारा नहीं छोड़ा जहाँ गए न हों .. लेकिन अब जाने में डर लगना शुरू हो गया है …. अब शायद जाने का मन भी न बने … सरहिंद, चमकौर, फतेहगढ़, अमृतसर, पटना साहिब, नांदेड़ साहिब और अन्य गुरुद्वारों के पवन भूमि का सम्मान तो न कभी कम था न होगा … गुरु लोग तो घर में भी विद्यमान है … परन्तु अब वहाँ के करता धर्ता और वहाँ थे स्वयंभू ठेकेदार अपने आचरण से लोगों को वहां आने से डर का वातावरण बना चुके हैं ….
.
इस डिजिटल युग में शहर ही नहीं दूर गाँवों में बैठे लोगों ने देखा कुछ लोगों का आचरण CAA के प्रदर्शन के समय .. लोगों को देखा इन कुछ लोगों द्वारा इस वर्ष लाल किले पर 26 जनवरी के दिन देश का अपमान करते हुए … लोगों ने देखा इन कुछ लोगों का आचरण नंगी तलवार लेकर बस पे हमला करते हुए … इन कुछ लोगों का आचरण और कर्म देखा है सिंघू बॉर्डर पर … लोगों ने देखा है कि कनाडा – अमेरिका – इंग्लैंड से कैसे कैसे बोल वाले वीडियो आए है इन दो वर्षों में … लोगों ने देखा है कि उनके ही समर्थन में आए एक अकेले असहाय गरीब दलित की हत्या बाद लाश लटका के वीरता का बखान करने वालों को … लोगों ने देख लिया है कैसे एक विक्षिप्त जिसको अपना नाम पता तक नहीं मालूम उनको मार कर वीरता बखान करने वालों को …
यहाँ तक तो लोगों ने देखा …. लेकिन उन्होंने देखा और सुना कि इस सब के होने के बाद भारत के दुश्मन पाकिस्तान के बाजवा और इमरान को भाई बनाने वाले नवजोत “गिध्धू” को … एक मुख्यमन्त्री को – एक प्रान्त के मुखिया को जो एक चवन्नी छाप कठपुतला है … हजारों ऐसे वीडियो और पोस्ट इन कुकृत्य को मान्यता देने की बहादुरी की डींग हाँकने वाले को …
लोगों में डर नहीं है .. लोग डर नहीं रहे … लोग अवाक हैं .. लोग एक कौम को गर्त में जाते देख रहे हैं … लोग इस पर दुःखी हैं .. लोग इस पर लानते भेज रहे हैं … तो प्रश्न है कि डर किससे …
डर है उससे जिसको जानते नहीं … डर है गुरूद्वारे जाने पर अनजान लोगों से … डर है राह चलते दो अनजान सिक्ख लोग मिल जाने से .. क्योंकि ये लोग पता नहीं कहाँ से आकर क्या कर बैठे …. हमारे के लिए जो जानकार है वो दूसरों के लिए अनजान है … तो हमारे जानने वाले से वो अनजान डरेगा .. किसी और के जानने वाले से मैं डरूँगा …
ये धीरे धीरे एक आपसी अविश्वास का एक ऐसा वातावरण बना देगा जिससे कौम के प्रतिष्ठा को न केवल ठेंस पहुँचेगा परन्तु वो धीरे धीरे आसमानी किताब वाले पागलों का स्तर छू लेगा … जहाँ से नैतिक और सामाजिक पतन की शुरुवात हो जाती है … ऐसी स्थिति आने से सबको डरना चाहिए …

Related Articles

Leave a Comment