इसके कई अर्थ हो सकते हैं. इसके बेहद मासूम अर्थ हो सकते हैं, जैसे कि आपने अपने किसी परिचित को सड़क क्रॉस करते देखा और आप उसका ध्यान आकर्षित करने के लिए हल्के से हॉर्न बजा सकते हैं. यहां हॉर्न…
लेखक और लेख
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राजनीतिजाति धर्ममुद्दासामाजिकस्वामी व्यालोक
जो घरेलू आलोचक हैं, उन पर हंसी और दया दोनों आती है
by Swami Vyalokby Swami Vyalok 75 viewsजो घरेलू आलोचक हैं, उन पर हंसी और दया दोनों आती है. वे चीन की इस लाइन को रिपीट कर ‘राजनीति के सनातनीकरण’ या सनातन के राजनीतिकरण की बात कर रहे हैं, वे देश का नुकसान कर रहे हैं. वैसे,…
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सत्य घटना सुना रहा हूँ …….. पुराने जमाने की बात है । 70 के दशक की । एक वैद्य जी थे ……. नब्ज नाड़ी देख के जड़ी बूटी से इलाज करते थे । रोज़ाना 10 – 20 रु कमा लेते…
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पुष्कर अवस्थीइतिहासऐतिहासिकसाहित्य लेख
राष्ट्रवाद व हिंदुत्व दर्शन के श्रीमुख : वीर सावरकर
by पुष्कर अवस्थी 56 viewsभारत माता के सर्वोत्तम सुपुत्रो में से एक, वीर विनायक दामोदर सावरकर जी का जन्म दिवस है, जिनको वर्तमान की पीढ़ी, ‘वीर सावरकर’ के नाम से जानती है। सावरकर जी उन स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों में से है, जिनके योगदान…
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जाति धर्मईश्वर भक्तिचलचित्रदेवेन्द्र सिकरवारप्रेरणादायकमुद्दालेखक के विचार
आदिपुरुष_पर_आपत्तियां_व_मेरा_दृष्टिकोण
by देवेन्द्र सिकरवार 191 views1)राम जी की मूँछें:- अच्छा तो नहीं लगता लेकिन या तो क्लीन शेव दिखाते या दाढ़ीमूँछ दोंनों जो अरण्यवासी होने का प्रतीक होती। 2)सीताजी के वस्त्र:- उस युग में कोई ब्लाउज नहीं थे अतः उत्तरासँग ओढ़े या कंचुकी पहने दिखाना…
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राजनीतिअजीत सिंहमुद्दालेखक के विचारसामाजिक
जिनगी भर एक टैंकर भर दारू पी के भी Anand Sharma…
by Ajit Singhby Ajit Singh 173 viewsजिनगी भर एक टैंकर भर दारू पी के भी Anand Sharma के लीभड़ किडनी फेफड़ा का एक्को Pubic Hair नहीं उखड़ा पर लौकी का जूस सिर्फ एक घूंट पी लेने से मरते मरते बचे । 41 साल के Cardiologist, Cardiac…
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चित्र में दिख रहे दरवाजे का खंडहर कोई सामान्य दरवाजा नहीं है। कभी इस दरवाजे से छः से साढ़े छः फीट लंबे, सुंदर व कठोर शरीर वाले ऐसे भयानक योद्धा निकलते थे जिनकी ख्याति संसार भर में फैली हुई थी।…
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एक राजा राममोहन राय वह हैं जो अपने विवाह का सारा खर्च अकालपीड़ितों को भोजन कराने में खर्च कर देते हैं तो एक राजा राममोहनराय वह भी हैं जो अपनी माता को लाख रोने गिड़गिड़ाने पर भी तीर्थयात्रा पर नहीं…
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मुद्दादेवेन्द्र सिकरवारप्रेरणादायकसच्ची कहानियांसाहित्य लेख
झकझकिया_का_गंगावतरण
by देवेन्द्र सिकरवार 118 viewsआजकल एक तथाकथित ‘मूलनिवासी विद्वान’ राजेन्द्र सिंह का बड़े जोरों से रंग चढ़ा हुआ है इसलिये हमारा भाई चींटे को रेवड़ी की तर्ज पर सीना फुलाकर ‘ही ही ही’ करते हुए अक्सर पूछता हुआ पाया जाता है कि अगर ब्राह्मी…
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नयाअवनीश पी ऍन शर्माइतिहासमुद्दाराजनीति
राजदण्ड हमारी स्वतंत्रता का अभिन्न अंग
by Awanish P. N. Sharma 151 viewsसेंगोल (राजदण्ड) हमारी स्वतंत्रता का अभिन्न अंग था लेकिन कांग्रेसी सत्ता के मनरेगा मजदूर वामपंथियों ने इसे एक संग्रहालय के कोने में ‘नेहरू जी के चलने की छड़ी’ के रूप में चित्रित किया। ऐसा भी नहीं है कि नेहरू नहीं…