Home लेखक और लेखअजीत सिंह एक फौजी अफसर की सत्य कथा

एक फौजी अफसर की सत्य कथा

by Ajit Singh
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भारतीय सेना की एक टुकड़ी सियाचिन ग्लेशियर पे ज़रूरी साजोसामान की एक खेप अपने कन्धों पे लाद एक अग्रिम चौकी पे जा रही थी। चेतक हेलीकाप्टर एक सीमा से आगे नहीं जा पाते। उस से आगे हमारे फौजी भाई सामान कंधे पे ढो के ले जाते हैं। 6 फौजी आपस में एक रस्सी से बँधे चले जा रहे थे। इलाका खतरनाक था। बर्फ की पतली परत के नीचे crevasse थे। बर्फीले प्रदेशों में crevasse एक पतली गहरी खाई होती है जिसमे अक्सर पर्वतारोही और फौजी गिर जाते हैं। crevasse बहुत ज़्यादा गहरे और संकरे होते हैं। उनमे गिरने पे मृत्यु अवश्यम्भावी होती है।
6 फौजियों का दल मंथर गति से पाँव जमाता चला जा रहा था। तभी सबसे आखिर में चल रहे जवान के पैरों तले बर्फ टूटी और वो एक गहरी crevasse में धंसता चला गया। बाकी के 5 लोग जो उसकी रस्सी से बँधे थे वो भी उसके साथ खीचते चले गए। सबने अपने axe बर्फ में धंसा के fall को रोकने की कोशिश की पर सफलता न मिली। पूरी टीम धीरे धीरे उस crevasse में समाने का ख़तरा पैदा हो गया। सबसे आगे चल रहा अफसर चीखा…
जल्दी से रस्सी काट…..
क्या? रस्सी काट दूँ?
अबे रस्सी काट नहीं तो सब जाएंगे crevasse में।
5 वे जवान ने चाकू निकाला और रस्सी काट दी।
crevasse में गिरा फौजी उसके अंदर समा गया।
बाहर बचे 5 ।
अफसर ने कमान सम्हाली। वो ऊपर से चिल्लाया? कहाँ हो?
अंदर से आवाज़ आई। लगभग 20 मीटर नीचे एक जगह आ के फ़ंस गया हूँ….
बिलकुल हिलना नहीं… कोई हरकत न करना….
बिलकुल शांत रहना। घबराना मत। हम आ रहे हैं।
अफसर ने सबसे पहले walkie talkie पे rescue के लिए message भेजा। फिर बाकी बचे अपने 4 साथियों के साथ crevasse में से rescue की तैयारी करने लगा। कुछ देर में एक चेतक helicopter रेस्क्यू टीम को drop कर वापस लौट गया। उनके पास सिर्फ 2 घंटे थे। 2 घंटे के अंदर rescue टीम तो वापस airlift न किया तो सबकी जान खतरे में पड़ जायेगी। किन्ही तकनीकी कारणों से सियाचीन में एक निश्चित समय के बाद चेतक की उड़ान संभव नहीं हो पाती।
rescue टीम का एक आदमी पूरी तैयारी से crevasse में उतरा। नीचे फँसे 30 वर्षीय हवलदार को ढाँढ़स बंधाया। उसकी छाती से harness बाँधी। अब इतनी सुरक्षा तो हो गयी कि victim और ज़्यादा गहराई में नहीं जाएगा।
उसने ऊपर rescue टीम को निर्देश दिया…. खींचो….
8 आदमियों ने जोर लगा के खींचा…. जवान टस से मस न हुआ। हिला तक नहीं।
जोर लगाओ…. और जोर से…. खींचो….
कोई फायदा नहीं।
माजरा क्या है। ये खीच क्यों नहीं रहा।
विक्टिम पिछले 45 मिनट से एक जगह बिना हिलेडुले चुपचाप पड़ा था। और उस तंग सकरी crevasse की दीवारों से यूँ चिपक गया था मानो बर्फ की ट्रे फ्रीजर की सतह से चिपक जाती है।
rescue टीम ने axe से बर्फ काटने का फैसला किया। axe नीचे उतारी। बर्फ इतनी सख्त थी फौलाद की माफिक कि कटती न थी। ऊपर से crevasse की दीवारें इतनी संकरी कि axe चलाने भर जगह नहीं। समय तेज़ी से भाग रहा था।
टीम लीडर ने पूरी टीम को crevasse में उतरने का आदेश दिया।
हम चाकू से बर्फ को खुरचने की कोशिश करेंगे। पूरी टीम अपनी जान पे खेल के crevasse में उतर गयी।
हमारे पास सिर्फ आधा घंटा है। सबने मिल के victim के इर्दगिर्द जमी बर्फ खुरचने की कोशिश की। समय तेज़ी से भागा जा रहा था।
टीम leader चीखा….. ऊपर चलो…..
खींचो… …. खींचो…
जोर लगाओ…. खींचो……..
विक्टिम इंच भर न हिला….
rescue टीम को वापस ले जाने के लिए chopper आ गया था…..
हमें वापस जाना होगा…..
pilot बोला…… चलो….. जल्दी करो…….
सर…. बस एक last try….
OK…… last try…. सिर्फ 5 मिनट…..
आखिरी कोशिश में भी कोई सफलता न मिली……
पायलट चीख रहा है…. चलो…. जल्दी करो…. चलो… जल्दी….
लाचार टीम वापस चल पड़ी……..
अब victim के पास सिर्फ वो captain बचा था।
जवान….. हिम्मत नहीं हारना।
साहब मुझे बचा लो…… मेरे बच्चे बहुत छोटे हैं अभी…..
उनकी चिंता मत करो।
देश उनका ख़याल रखेगा।
जवान ने अफसर को कस के पकड़ लिया।
साहब मुझे छोड़ के मत जाइए।
मुझे जाना पडेगा।
I am proud of you…. Jai Hind…… तुम्हारी तकलीफ आधे घंटे में ख़त्म हो जायेगी।
साब…. मुझे छोड़ के मत जाओ…..
मजबूर अफसर उसे वहाँ उस अँधेरी ठंडी कब्रगाह में अकेला छोड़ ऊपर लौट गया।
चलो……
अभी दस कदम भी न गए होंगे की अफसर बोला ……रुको ।
मैं बस 5 मिनट में आया ।
वो वापस उस crevasse में उतरने लगा ।
उसके 4 साथी वहाँ ऊपर उसका इंतज़ार कर रहे थे ।
10 मिनट बाद वो वापस ऊपर लौटा ।
सबने अपने शस्त्र उलटे कर शहीद जवान को salute किया ।
शहीद अब भी वहीं उसी crevasse में चिर समाधि में है ।
वो रस्सी अब भी उसके गले पे कसी हुई है ।
Ajit Singh जी

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