अमेरिका मे एक परिचित के मुहल्ले वाले फेसबुक ग्रुप मे किसी ने पोस्ट डाली कि उनके एक परिचित का उनकी बीबी से झगड़ा हो गया है। बीबी ने उन्हें और बच्चों को घर से निकाल दिया है। उनके पास रहने खाने की समस्या है। फिलहाल वह कार मे रह रहे हैं।
आनन फानन मे पोस्ट पर ढेरों कमेन्ट होने लगे। एक ने अपना ट्रेलर उपलब्ध करा दिया। साथ मे माइक्रोवेव फ्रिज भी आ गया। ट्रेलर मे dish टीवी आदि तो था ही। सबने कपड़े और अन्य आवश्यकता वाली चीजों का इंतजाम कर दिया। फिर किसी ने कमेन्ट किया कि खाने की समस्या होगी, अभी बच्चों को स्कूल मे खाना मिल रहा होगा, क्रिसमस मे छुट्टियों मे क्या खाएंगे। इतना खाने का सामान पहुँच गया कि उनका फ्रिज और ट्रेलर भर गए। फिर किसी ने कमेन्ट किया कि क्रिसमस मे वो बच्चे क्या बिना गिफ्ट के रहेंगे? थोक के भाव मे गिफ्ट पहुँच गए। फिर यह हुआ कि अब गिफ्ट / खाने का सामान न भेज जाए, ऐम्पल पहुँच गया है। तो लोगों ने कैश पैसे भेजने आरंभ कर दिए। लोगों ने हिसाब लगाना आरंभ किया क्रिसमस मे चैरिटी करते हैं तो उसका कुछ हिस्सा इस परिवार को ही दे दिया जाए। कुछ लोगों ने तो अपने क्रिसमस सीजन का मिशन ही बना लिया कि इस परिवार की क्रिसमस अन्य से कम नहीं होनी चाहिए।
निःसंदेह इस तरह से जीवन नहीं कट सकता। बुरा वक्त सबका और किसी का भी कभी भी आ सकता है। पर जब समाज आपको बिना व्यक्तिगत जाने हुवे आपकी इस हद तक मदद करता है कि आपके बुरे दिन भी सामान्य दिन की तरह ही व्यतीत हों, तो लोग जल्दी ही उन बुरे दिनों से निकल आते हैं। और बाहर निकल अपने समाज और देश के प्रति इतने कृतज्ञ रहते हैं जो अकल्पनीय होता है। तय बात है एकाध महीने मे यह परिवार इस संकट से उबर जाएगा, पर इस एक महीने मे लोगों ने डिगनिफ़ायड तरीके से बगैर प्रश्न लगाए जो मदद की उसे यह कभी न भूल पाएंगे।