मैं जब उन्नीस साल का था तब आखिरी बार गोरखपुर खाद कारखाने को चलते देखा… अब पचास साल का होने पर उसी गोरखपुर खाद कारखाने को दोबारा चलते देख रहा हूँ। किसने बर्बाद किये गोरखपुर खाद कारखाने और किसानों के ये 31 साल?
केवल पाँच साल पहले 2017 तक पूर्वांचल और गोरखपुर मेडिकल कालेज… दशकों से जापानी बुखार (इंसेफेलाइटिस) के हाथों मरते बच्चों, अपाहिज होते बच्चों की गिनती करता रहा। आज उन गिनतियों को भूल एम्स, जिले-जिले मेडिकल कालेज, आईसीएमआर लैब और उनकी सुविधाएं गिन रहा है।
कैसे केवल 5 सालों में रुकी हजारों बच्चों की मौतें?
30 से अधिक सालों तक इसी इंसेफेलाइटिस और तमाम अन्य संक्रामक बीमारियों के संपूर्ण खात्मे के लिए स्थायी समाधान के टूटे सपने देखता गोरखपुर और पूर्वांचल आज इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) का रीजनल रिसर्च सेंटर देख रहा है।
किसने पूरा किया 30 से अधिक सालों के अपने बच्चों के जीवन बच जाने के उस सपने को? आज पूर्वांचल.. गोरखपुर मेडिकल कालेज, एम्स और आईसीएमआर सेंटर तीनों मिलाकर उपलब्ध एमबीबीएस और पीजी की केवल 5 साल पहले के मुकाबले तीन गुनी ज्यादा सीटें देख रहा है।
गोरखपुर और पूर्वांचल की इस खाद और स्वास्थ उपलब्धियों का विषय क्या है? खेती और बच्चों, नागरिकों का अच्छा स्वास्थ्य ही न! ईश्वर देश-प्रदेश की किसानी और जवानी दोनों को स्वस्थ रखने के उपाय करने वालों का भला करे।