भारत में अब तक लगभग 34 करोड़ करोना के टीके लगाए जा चुके हैं. देखा जाए तो कुल जनसंख्या के लगभग 25% टीके लग चुके हैं.
वहीं भारत के पड़ोसी देशों जैसे बंगला देश, पाकिस्तान में बमुश्किल पाँच प्रतिशत, ढेरों विकसित देशों तक में इतने प्रतिशत वैक्सिनेशन नहीं हुआ. वहीं अगर नम्बर की बात की जाए तो इतने लोगों को किसी देश में टीका नहीं लगा.
यक़ीन मानिए दूसरी वेव जो कहा जाता है युवाओं का काल बन आई इसमें लाखों बुजुर्गों की जान इसी टीके ने बचाई. आगे भी अब जबकि युवाओं को टीके लग गए हैं तो इन पर भी करोना की तीव्रता कम होगी.
भारत की इस सफलता के पीछे सबसे बड़ा हाथ है भारत सरकार और भारत के उन वैज्ञानिकों का जिन्होंने पूर्ण स्वदेशी covaxin टीका भारत में बना दिया. कल्पना मात्र से डर लगता है कि आज हमारे पास यह टीका ना होता तो क्या हाल होता..
कोई और देश होता तो इन वैज्ञानिकों को और इस कम्पनी को जनता सर पर बिठा कर रखती. अभी हाल ही में विम्बलडन के दौरान आक्स्फ़र्ड वैक्सीन के वैज्ञानिक को सबने खड़े होकर ताली बजा अभिवादन किया. चीन ने तो हद कर दी, अपने वैज्ञानिकों के लिए नोबल माँग रहा है. और हम – हमारे यहाँ एक नेता बोलता है यह भाजपा की वैक्सीन है न लगवाना. दूसरा अफ़वाह फैलाता है इसमें मांस मिला हुआ है. जितने नेता और समर्थक उतनी अफ़वाहें.
हम शर्मिंदा है कि हम इन वैज्ञानिकों को वह सम्मान ना दे पाए जिसके वह हक़दार हैं. Ajit Singh दद्दा की सलाह है कि जैसे पिछले करोना काल में ताली थाली बजाने वाला कार्यक्रम हुआ था, वैसे ही एक नियत समय एक ऐसा कार्यक्रम फ़िक्स कर कुछ ऐसा कर इन वैज्ञानिकों और covaxin बनाने
वाली कम्पनी भारत बायोटेक को धन्यवाद प्रेषित किया जाए.यह विचार यदि पसंद आए तो आगे बढ़ाएँ और इस दिशा में जनमत बनाएँ.