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बनारस में संकट मोचन मन्दिर की स्थापना

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बनारस में संकट मोचन मन्दिर का स्थापना एवं निर्माण गोस्वामी तुलसीदास जी ने किया था … उस समय के मुग़ल बादशाह अकबर ने गोस्वामी जी को पकड़ के फतहपुर सिकरी के कारागार में डाल दिया था … गोस्वामी जी ने ४० दिन तक लगातार हनुमान चालीसा का पाठ किया …. चलीसवें दिन हज़ारों बन्दरों के झुण्ड ने हमला कर दिया … फतहपुर सिकरी के किले, कारागार और एक एक घर में बन्दरों ने लोगों को काटना नोचना शुरू कर दिया …. लोगों के गुहार पर अकबर को गोस्वामी जी के चरणों में गिरना पड़ा और उनको छोड़ना पड़ा …
गोस्वामी जी ने बनारस के तुलसी घाट पर रामचरितमानस लिखना शुरू किया …. बनारस के पण्डों और ब्राह्मणों ने गोस्वामी की न केवल आलोचना किया बल्कि उनको तरह तरह से प्रताड़ित किया … आखिर में तंग आकर गोस्वामी जी ने बनारस छोड़ दिया और अयोध्या आकर अवधी में रामचरितमानस ग्रन्थ को लिखा … आसान लोकल भाषा में लिखा ये ग्रन्थ लोगों के जिह्वा पर चढ़ गया … आज कोई ऐसा नहीं जिसको इस ग्रन्थ के सैकड़ों दोहे बरबस ही न याद हों ..
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इस नए युग में जब काशी विश्वनाथ मन्दिर का जीर्णोद्धार हो रहा है तो फिर से काशी के कुछ पाखण्डी तरह तरह के मिथ्या बातें फैला के लोगों को दिग्भ्रमित कर रहे हैं ….. toolkit के पैसा पकड़े कुछ तथाकथित हिंदुवादी और राष्ट्रवादी पत्रकार भी इन पाखंडियों के झुण्ड में शामिल होकर भ्रम फैला रहे हैं ….
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गोस्वामी जी के साथ छल प्रपंच और प्रताड़ना करने वाले बनारस के पाखण्डी और पाखंडाचार्य लोगों का गैंग बनारस में सदा सक्रिय रहा है ….. इस काल में भी सक्रिय हैं ….. इस डिजिटल युग में इन सबका documentation भी आसान है कि जब काशी विश्वनाथ मन्दिर का जीर्णोद्धार हो रहा था तब इनकी भूमिका क्या रही …

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