वह विभोर है साधना के इस द्वार पर उपस्थित हो कर। हिमालय सा शिखर , शिखर की अनुभूति में गदगद है। साधना के स्वर का एक साधक आज अचानक साधु-साधु बोलने लगता है। ध्यान अब सरल हो गया है। जिस…
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दयानन्द पांडे
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समय की दीवार पर लिखी इबारत बताती है कि मोदी मैजिक बस स्वाहा होना ही चाहता है। भाजपा का सूर्य आधा डूब चुका है। पूरा भी डूबने में अब बहुत देर नहीं है। नरेंद्र मोदी और भाजपा के लिए लगातार…
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जिस दिन लोग देश को अपना घर समझ लेंगे , अपनी संपत्ति समझ लेंगे , अपनी धरोहर समझ लेंगे , उलटी , पुलटी बातें करना बंद कर देंगे । सेक्य्यूलरिज्म के ठेकेदारों से अगर आज कह दिया जाए कि दो-दो…
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इतिहासदयानंद पांडेयदयानन्द पांडेराजनीतिसाहित्य लेख
लोग नाथूराम गोडसे को भूल नहीं पाते
by दयानंद पांडेय 366 viewsकुछ लोग हैं जो नाथूराम गोडसे को भूल नहीं पाते कि वह गांधी का हत्यारा था । मैं भी नहीं भूल पाता हूं। गांधी के उस हत्यारे के प्रति मेरे मन भी गुस्सा फूटता है । इस लिए यह भूलने…