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अंधा युग : मशहूर नाटक

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धर्मवीर भारती के मशहूर नाटक अंधा युग के एक दृश्य की याद आ गई है। दुर्योधन मारा जा चुका है । युद्ध का आंखों देखा हाल सुनाने वाले संजय चुप हो गए हैं । धृतराष्ट्र और गांधारी परेशान हैं संजय के चुप हो जाने से । वह युद्ध का हाल जानने को बेताब हैं । पर कोई कुछ बता नहीं रहा । धृतराष्ट्र को दुर्योधन के विजय की सूचना की आकांक्षा है । कि तभी एक ब्राह्मण उन के महल से गुज़रते हुए जय हो , जय हो ! बोलता जा रहा है । धृतराष्ट्र उस ब्राह्मण को बुलवा भेजते हैं । जय हो !

 

कहते हुए ब्राह्मण , धृतराष्ट्र के पास पहुंचता है । मारे ख़ुशी के धृतराष्ट्र उस ब्राह्मण को तमाम उपहारों से लाद देता है । चकित ब्राह्मण पूछता है , ‘ आख़िर इतने उपहार किस लिए राजन ? ‘ धृतराष्ट्र बताता है कि , ‘ आप दुर्योधन के विजय की ख़बर लाए हैं , इस लिए ।’ ब्राह्मण हतप्रभ होते हुए बताता है कि , ‘ लेकिन दुर्योधन तो युद्ध में मारा गया !’ धृतराष्ट्र ने कहा कि , ‘ तुम जय हो ! किस लिए कह रहे थे ? ‘ ब्राह्मण ने बताया कि , ‘ मैं तो सब की जय जयकार करता ही रहता हूं । पर दुर्योधन तो युद्ध में मारा गया हैं । ‘ धृतराष्ट्र ने कहा , ‘ लेकिन मुझे तो किसी ने बताया नहीं । संजय ने भी नहीं । ‘ ब्राह्मण ने कहा , ‘ हो सकता है लोग आप से डरते हों या आप को यह अप्रिय समाचार नहीं देना चाहते हों । ‘ ब्राह्मण बोला , ‘ लेकिन मैं ब्राह्मण हूं , झूठ नहीं बोल सकता । आप अपने उपहार वापस ले लें। क्यों कि दुर्योधन तो मारा गया है । ‘ लेकिन धृतराष्ट्र अपने उपहार वापस नहीं लेता । ब्राह्मण के बताने के बावजूद धृतराष्ट्र को दुर्योधन के विजयी होने और जीवित रहने की आस पुत्र मोह में बनी रहती है । लेकिन वह ब्राह्मण उसे फिर बड़ी निर्ममता से बताता है कि दुर्योधन मारा गया। और उपहार छोड़ कर चल देता है ।

 

 

लगता है पुत्र मोह से शापित सोनिया गांधी को किसी ब्राह्मण ने सच-सच बता दिया है कि राहुल गांधी के भरोसे सत्ता वापस नहीं मिल सकती। तो उन्हों ने प्रियंका वाड्रा को नेपथ्य से निकाल कर मुख्य रंगमंच पर उपस्थित कर दिया है । राजीव गांधी की हत्या के बाद से ही प्रियंका गांधी की मांग कांग्रेसी करते रहे हैं । लेकिन पुत्र मोह से शापित सोनिया गांधी ने राहुल जैसे नाकारा और नशेड़ी व्यक्ति को कांग्रेस में सर्वदा आगे बढ़ाया और अंततः कांग्रेस का अध्यक्ष बना कर कांग्रेस की ऐसी-तैसी करवा दी है । राहुल गांधी खुद तो लतीफा थे ही , कांग्रेस को भी लतीफ़ा बनाने में लग गए । देर से ही सही सोनिया और उन के सलाहकारों ने प्रियंका वाड्रा को कांग्रेस की राजनीति में उपस्थित कर बढ़िया काम किया है । कांग्रेसियों की जैसे बांछें खिल गई हैं । 2019 में नहीं , न सही , 2024 में प्रियंका कांग्रेस के लिए निश्चित रूप से कुछ बढ़िया कर सकती हैं ।

 

राहुल गांधी को रिप्लेस भी कर सकती हैं प्रियंका । इस लिए भी कि प्रियंका हर मामले में राहुल से मच बेटर हैं । वैसे आज अमेठी में प्रियंका के कांग्रेस में आमद पर टिप्पणी करते हुए राहुल गांधी का उड़ा हुआ चेहरा एक साथ बहुत कुछ कह गया है । कांग्रेसी भी प्रियंका में इंदिरा गांधी की छवि देखते हुए बता ही रहे हैं कि प्रियंका के आने से कांग्रेस में नई ऊर्जा आ गई है । सही बात है । इस में कोई दो राय नहीं है । बस देखना यही है कि कहीं तमाम मामलों में फंसे प्रियंका के पति राबर्ट वाड्रा अपने भ्रष्टाचार के लपेटे में प्रियंका को भी ले कर हम तो डूबेंगे सनम , तुम को भी ले डूबेंगे को चरितार्थ न कर बैठें । रही बात परिवारवाद आदि की तो अब यह सभी राजनीतिक दलों की बीमारी है । कोई एक भी इस से बरी नहीं है । तो इस बिंदु पर बात करना बेमानी , बेमतलब है ।

 

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