Home अमित सिंघल सिविल सर्विस दिवस पर प्रधानमंत्री जी के विचार – भाग 2

सिविल सर्विस दिवस पर प्रधानमंत्री जी के विचार – भाग 2

by अमित सिंघल
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श्व में एकमात्र हिंदू समाज परिवर्तनशील है: प्रधानमंत्री मोदी।
सिविल सर्विस दिवस पर प्रधानमंत्री जी के विचार – भाग 2
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि भारत की महान संस्कृति की यह विशेषता है कि हमारा देश राज व्यवस्थाओ या सिंहासनों से नहीं बना है; ना ही उनकी बपौती रहा है। ये देश सदियों से, हजारों वर्ष के लंबे कालखंड से जनभागीदारी, जन शक्ति की तपस्या का परिणाम है।
पीढ़ी दर पीढ़ी के योगदान से, समय की जो भी आवश्यकताएं थीं उनको पूरा करते हुए, उन परिवर्तनों को स्वीकार करते हुए हम एक जीवंत समाज हैं जिसने कालबाह्य (out-of-date) परंपरा को स्वयं तोड़–फोड़ त्याग दिया है। हम आंखे बंद करके उसको पकड़कर के जीने वाले लोग नहीं हैं। समयानुकूल परिवर्तन करने वाले लोग हैं।
मैंने अमेरिका के राजनयिकों से एक चर्चा में कहा कि दुनिया के अंदर कोई भी समाज आस्तिक हो, नास्तिक हो, इस धर्म को मानता हो, उस धर्म को मानता हो, लेकिन मृत्यु के बाद की उसकी जो मान्यता है। उसके विषय में वो ज्यादा बदलाव करने का साहस नहीं करता है। वो वैज्ञानिक है के नहीं है, उपयुक्त है कि नहीं है। समय रहते उसे छोड़ना चाहिए नही चाहिए। उसमें वो साहस नहीं करता है।
मैंने कहा हिंदू एक ऐसा समाज है कि जो कभी मृत्यु के बाद गंगा के तट पर अगर लकड़ी में उसका शरीर नहीं जलता था तो उसको लगता था कि मेरा अंतिम कार्य पूर्णता से नहीं हुआ है। वही व्यक्ति आज इलेक्ट्रिक श्मशान भूमि तक चला गया, उसको कोई संकोच नहीं आया। हिंदू समाज की परिवर्तनशीलता की एक बहुत बड़ी ताकत का इससे बड़ा कोई सबूत नहीं हो सकता।
विश्व का कितना ही आधुनिक समाज हो, मृत्यु के बाद उसकी जो धारणाएं हैं, उसको बदलने का सामर्थ्य नहीं होता है। हम उस समाज के लोग हैं कि हम मृत्यु की बाद की व्यवस्थाओं में भी अगर आधुनिकता की जरूरत पड़ी तो उसको स्वीकार करने के लिए तैयार होते हैं।
इसलिए मैं कहता हूं हमारा देश नित्य नूतन, नित्य परिवर्तनशील को स्वीकारने के सामर्थ्य वाली एक सामाजिक व्यवस्था का परिणाम है।
आज उस महान परंपरा को गति देना हमारे जिम्मे हैं। क्या हम उसे गति देने का काम कर रहे हैं? फाइल को ही गति देने से जिंदगी बदलती नहीं है, हमें प्रशासनिक व्यवस्था के तहत पूरे सामाजिक जीवन का नेतृत्व देना है, ये हमारा दायित्व बन जाता है और वो सिर्फ पॉलिटिकल लीडर का काम नहीं होता है। हर क्षेत्र में बैठे हुए सिविल सर्विस के कर्मियों को लीडरशिप देनी होगी।
तब जाकर के हम परिवर्तन ला सकते हैं।
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प्रधानमंत्री मोदी के इन विचारो को ध्यान से पढ़िए और इशारे में कही गयी बात को समझिए। भारत किन राज व्यवस्थाओ की बपौती नहीं है? कौन सा समाज कट्टरपंथी है? लिखने की आवश्यकता नहीं है; बस मनन कीजिए।
जारी रहेगा…

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