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चर्चिल का एक प्रसिद्ध वक्तव्य है

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चर्चिल का एक प्रसिद्ध वक्तव्य है – इधर हिन्दू अपने तर्कों को धार देता है उधर मुस्लिम अपनी तलवारों को. आज यह बात खालिस्तानियों के बारे में उतनी ही सच है. खालसा का पूरी तरह इस्लामीकरण हो गया है. हिंसा सत्ता की एक सफल तकनीक है और आप सत्ता के भूखे लोगों को सिर्फ उससे अधिक प्रतिहिंसा से रोक सकते हैं, तर्कों से कन्विंस नहीं कर सकते.
हमने यह सिद्ध कर दिया कि खालिस्तानियों की हरकतें अमानवीय हैं, यह स्थापित कर दिया कि आज का खालसा पंथ हमारे गुरुओं के मार्ग से भटक गया है, इसमें कोई शंका नहीं छोड़ी है कि यह किसान आंदोलन नहीं है बल्कि यह एक देशद्रोही साजिश है… So What?
सुन कौन रहा है? इधर हमने दो महीने इस बहस में बिताए कि ब्राह्मण जन्म से श्रेष्ठ है या नहीं, शूद्र का क्या स्थान है…उन्होंने लखीमपुर खीरी में एक ब्राह्मण को पीट पीट कर मार डाला, इधर सिन्धु बॉर्डर पर एक दलित की नृशंस हत्या करने में उनके हाथ नहीं काँपे. पूरा मुद्दा ही एक दिन में साफ करके रख दिया…चाहे उधर काश्मीर हो या इधर पंजाब…आपका ब्राह्मण होना या दलित होना कोई मायने नहीं रखता…सिर्फ हिन्दू होना ही आपको वाजिब-उल-कत्ल बनाने के लिए काफी है.
पंजाब आज पेट्रोल में भींगा हुआ पुआल का ढेर है. दिल्ली वे सिर्फ माचिस की तीली लाने गए हैं. उधर दिल्ली में सरकार एक कदम उठाए तो इधर पंजाब में मार काट शुरू करें. पंजाब के हिन्दू आज वैसे ही वाजिब-उल-कत्ल हैं जैसे 1947 में पश्चिमी पंजाब के हिन्दू (और सिख) थे. जो काम जिहादियों ने अधूरा छोड़ दिया था वह खालिस्तानियों के हिस्से आया है. प्रश्न यह है कि पंजाब की 30% हिन्दू जनसंख्या की तैयारी क्या है? उनका थ्रेट परसेप्शन कितना है?
इधर हम अपने तर्क पैने कर रहे हैं, उधर वो अपनी तलवारें.

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