Home राजनीति भारतीय होने के नाते पाकी दुर्गति जहाँ खुशी दे रही है

भारतीय होने के नाते पाकी दुर्गति जहाँ खुशी दे रही है

by रंजना सिंह
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भारतीय होने के नाते पाकी दुर्गति जहाँ खुशी दे रही है,वहीं मनुष्यता ने नाते एक गहरा कचोट मन को खरोंच रहा है। गठन के दिन से प्रत्येक उन्नीस वर्ष में पाकिस्तान की जनसंख्या दुगुनी हो जा रही है।यूँ तो दक्षिण एशिया में अफगानिस्तान सर्वाधिक जन्मदर वाला देश है,पर जन्मदर विस्फोट में बांग्लादेश भी पूरी जिम्मेदारी से अपनी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।इन देशों में औसतन 4 से 5 बच्चे का योगदान प्रत्येक दम्पति अपने देश की जनसंख्या वृद्धि में देता है।

यदि यह जनसंख्या रचनात्मक कार्यों में संलग्न होकर श्रम शक्ति रूप में जुड़ता जाता तो ये देश कहाँ से कहाँ पहुँच सकते थे।किंतु कैसा दुर्भाग्य है कि संख्या बढ़ाकर शरियास्तान बसाने के पागलपन में अभावग्रस्तों की अपार भीड़ धरती पर ये बढ़ाते जा रहे हैं।देश की बड़ी आबादी के पास समुचित भोजन नहीं,शिक्षा नहीं,चिकित्सा नहीं,आवास नहीं…..तो अल्टीमेटली अपने दुर्गति को ही न बढ़ा रहे हैं?

ऊपर से काफिरों और विरोधियों को मिटाने के उग्र धार्मिक विश्वास के साथ अपने देश को मृत्युदर में भी इन्होंने अग्रणी रखा हुआ है। यानी भूख रोग ने न मिटाया तो धार्मिक पागलपन में स्वयं को स्वाहा कर दिया। ये लोग न जीवन का मोल जान पाते हैं न मृत्यु का।सुख क्या है,यह समझ पाना तो खैर इनके वश का ही नहीं।

शरियाप्रेमी हमारे ये पड़ोसी जिस रीति नीति से वर्षों से चल रहे हैं,कभी इन्होंने गम्भीरता से सोचा है कि आज के 2-3 दशक बाद ये कहाँ पहुँचे हुए होंगे?

जिन्हें ये अपना शत्रु मानते हैं,कभी ये गम्भीरता से चिन्तन मनन करने का सामर्थ्य पाएँगे कि इनका वास्तविक शत्रु कौन है?विध्वंसक बनकर कुछ समय तक सफलता पायी जा सकती है,परन्तु यह प्रकृति का अकाट्य नियम/न्याय है कि प्रत्येक विध्वंसक का विध्वंस होना ही होना है।

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