संकट काल में ही किसी राष्ट्र के चरित्र की वास्तविक परीक्षा होती है। धैर्य और विवेक के साथ घटनाओं के विश्लेषण की आवश्यकता है। मैंने देखा कि बहुत-से राष्ट्रीय सोच वाले मित्र-बंधु-भगिनी भी तरह-तरह के अनुमानों या थ्योरीज़ को आगे बढ़ा रहे हैं। यह उतावलापन राष्ट्रीय शक्तियों को कमज़ोर करता है। यह हमारी अधीरता ही नहीं, दुर्बलता और अदूरदर्शिता का द्योतक है।
सनद रहे इसी भारतवर्ष में एक समुदाय का बड़ा तबका ऐसे हादसों में जश्न और जलसे के मौके तलाशने लगा है, इसलिए देशभक्त, प्रबुद्ध, परिपक्व एवं संवेदनशील नागरिकों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। मत भूलिए कि राष्ट्र के लिए अपने कर्त्तव्यों का निर्वाह करते हुए प्राणों की आहुति देने वाले #जनरल_बिपिन_रावत जी ने एक बार कहा था- ”#हमारी_जंग_ढ़ाई_मोर्चों_पर_है।”