भारत विभाजन के असली जिम्मेदार कौन?
डॉ इसरार अहमद, पाकिस्तान के एक प्रभावी वक्ता थे। मेडिकल डॉक्टर भी थे, प्रैक्टिस भी करते थे लेकिन उनकी पहचान इस्लामी विद्वान की है। काफी कुछ किताबें लिखी हैं, इंग्लिश में भी हैं लेकिन सभी इस्लाम पर हैं।
उनका यह भाषण “हिंदुस्थान के मुसलमानों का हाल और उसके जिम्मेदार” सुनने लायक है। इसलिए सुनने लायक है कि एक वक्ता कितना प्रभावी हो सकता है। सत्य पता न हो तो व्यक्ति आसानी से हालांकि सत्य का उनकी बातों से बिल्कुल भी कोई संबंध नहीं है, लेकिन …. जाने दीजिए, बाकी आप समझदार हैं।
डॉ इसरार अहमद के फैन यहाँ भी बहुत हैं, और उनके चले जाने को १२ साल हो गए फिर भी हैं। उनकी निष्ठाएँ पाकिस्तान पर नहीं हैं लेकिन भारत के प्रति उनकी और हमारी निष्ठा में एक बहुत बडा अंतर पाया जाता है। उनकी निष्ठा भारत से नहीं बल्कि उस विचारधार पर है जिसके चलते उनके पूर्वजों ने भारत का विभाजन कराया।
डॉ इसरार अहमद अपने इस भाषण में सुरुआत में ही (1 मिनट 20 सेकंड से 1 मिनट 50 सेकंड तक) खुलकर कह देते हैं कि भारत के मुसलमानों ने पाकिस्तान बनाया और दुनिया में ऐसा और कोई भी मुल्क नहीं जो इस तरह बनाया गया हो। फिर कहते हैं कि इस लक्ष्य को साधने के लिए करोड़ों इमानवालों ने जानें दी और हजारों लड़कियां सिक्खों के पास रह गई, पाकिस्तान आ न सकीं !
वैसे पाकिस्तान में यह भी सरकारी तौर पर पढ़ाया जाता रहा कि पाकिस्तान मोहम्मद कासिम के समय से था और हिंदुओं ने 1947 में अंग्रेजों के सहारे उसका बंटवारा कर दिया था और उसे फिर से जोड़ना पाकिस्तान के मोमिनीन पर कर्ज है।
दुनिया भर का अरबों रूपया कर्ज खाए बैठे हैं लेकिन कर्ज किसको मानते हैं ? जो देश उनका कभी था ही नहीं उसपर सत्ता चलाने को।
अंधविश्वास की ताकत क्या होती है किसी को समझना हो तो यह एक अच्छा उदाहरण है। वैसे डॉ इसरार अहमद मेडिकल डॉक्टर थे, दवाइयाँ देकर ही उपचार करते होंगे, फिर भी अंधविश्वास का जोर देखें। सायकोलॉजी तो समझते थे ही, भले ही खुद सायकीयट्रिस्ट के लायक केस हों।