मैं जब-जब इस गीत को सुनता हूँ, आशा, उत्साह एवं सकारात्मकता से भर उठता हूँ। जिस तंत्र व व्यवस्था में मेरे आराध्य श्रीराम का ही ठौर नहीं था, उसमें मेरा क्या होता! ओह, आतताईयों और विधर्मियों ने मेरे राम को ही आश्रय से निकाल दिया था, और उसके पैरोकार न जाने कैसी-कैसी बकलोली करते थे! कोई कहता स्कूल खोल दो, कोई कहता अस्पताल खोल दो, और तो और कोई ऐसी नीचता पर उतर आता कि कहता शौचालय बनवा दो! क्या यही लोग मक्का के मस्ज़िद और वैटिकन के चर्च के लिए कभी ऐसी बात कह सकते थे! ओह, ऐसे कर्णकटु एवं हृदय-विदारक शब्दों से कलेजा छलनी करवाने तथा सैकड़ों वर्षों की संघर्ष-साधना के बाद आँखों ने यह नयनाभिराम दृश्य और हृदय ने यह सुख देखा-पाया है। राम का मंदिर अयोध्या में नहीं तो और कहाँ होगा, कहाँ होना चाहिए? पर जालिमों और वोट के सौदागरों ने रोकने के लिए क्या कुछ नहीं किया!
हे मेरे राम, आपका मुकुट भीजता रहा, आप ठिठुरते-सिकुड़ते रहे, आपको आपकी ही जन्मभूमि से बेदख़ल कर वे ढिठाई और निर्लज्जता से पूछते रहे, प्रमाण क्या है और हम बेबस आँसू बहाते रहे, अपमान पर अपमान सहते रहे, जिसने हमारी पलकों की कोरों से ये आँसू पोछें, किए जाते रहे छल और अपमान के स्थान पर भव्य निर्माण प्रारंभ कराया, गर्व और स्वाभिमान से ‘जय श्रीराम’ का अभय घोष करने का साहस और संकल्प दिया, उसे भला हम कैसे भूल जाएँ!
योगी-मोदी हैं तो आस्था भी अक्षुण्ण व निर्भीक है और विकास भी पटरी पर है। काशी-अयोध्या से लेकर देश के सभी धार्मिक-सांस्कृतिक स्थलों का कायाकल्प हो रहा है, ऐसा जैसा न भूतो न भविष्यति। अतः आएँगें तो योगी ही! विश्वास और संकल्प बनाए रखें। कोई संशय-संभ्रम न पालें, क्या कभी आपने सोचा था कि #राम_मंदिर का हमारा-आपका सदियों पुराना सपना साकार होगा? पर हुआ न!
आस्था, विश्वास और संकल्प में बहुत बड़ी शक्ति होती है। उसे बस कम न होने दें! और अपना-अपना गिलहरी योगदान देते रहें! उससे यदि समुद्र पार किया जा सकता है तो क्या कंसों-रावणों-शकुनियों के अभेद्य किलों एवं व्यूहों को नहीं भेदा जा सकता! अवश्य भेदा जा सकता है!
वे जातीय अस्मिताओं को उभारकर, हमें खंड-खंडकर अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं! पर हम और उल्लू नहीं बनेंगें, उनके झाँसे में नहीं आएँगें! जाति तो तब बचेगी न जब हमारा धर्म शेष बचेगा! विश्वास न हो तो एक बार पाकिस्तान-बांग्लादेश-कश्मीर-केरल-पश्चिम बंगाल को याद भर कर लें! वहाँ के हिंदुओं-सनातनियों की दशा देख लें। और हाँ, इन जातिवादियों से एक बार अवश्य पूछें, तुमने अपने कुल-खानदान-परिवार से बाहर कितनों को तारा-उबारा, कितनों के वारे-न्यारे किए?
विश्वास रखें, उनकी हार और राम-कृष्ण के सेवकों-अनुयायियों की विजय निश्चित है! #जय_हो,#विजय_हो!