यूक्रेन मे ढेरों भारतीय फंसे हैं, उनके साथ सबकी सहानुभूति है।
पर यह क्लैसिक इग्ज़ैम्पल है कैसे हम भारतीय समय से चेतते नहीं, वार्निंगस इग्नोर करते हैं और फिर अंत मे अकस्मात जाग्रत हो चाहते हैं सरकार आकर हमें बचा ले अभी तुरंत।
वैसे आपको उत्कंठा होगी, बाकी देश कैसे हैंडल कर रहे हैं। अमेरिका ने महीने भर पहले अपने नागरिकों को वार्निंग इशू की थे कि युद्ध हो सकता है यूक्रेन से निकल लो – जाहिर सी बात है गए अपने खर्च पर हो तो आओगे भी अपने ही खर्च पर। दस बारह दिन पूर्व अमेरिका ने अपने मिलिटरी जहाज भेज अपने दूतावास कर्मी आदि भी बुलवा लिए। मे बी एकाध प्रतिशत अमेरिकन हम लोगों जैसी जींस वाले होंगे जो अभी तक नहीं गए। उनका क्या। कुछ नहीं। अमेरिका ने बोल दिया कि तुम जानो तुम्हारा काम जाने। सरकार कोई ईवैक्यवैशन फिलहाल नहीं करेगी। आगे होगा यह कि दूतावास इन नागरिकों के संपर्क मे रहेगा। अगल बगल के देशों से कहीं न कहीं कोई न कोई प्राइवेट प्लैन उड़ रहा होगा, जिसकी सूचना इन्हें दे दी जाएगी – जाहिर बात है एक का टिकट सौ का मिलेगा। पैसा खर्च करो, न हो तो लोन दे दिया जाएगा, प्राइवेट हवाई जहाज से आ जाओ, जिंदगी भर लोन चुकता करना। सबसे अंत मे हो सकता है एकाध स्पेशल फ्लाइट चालू करवा दी जाएँ जिसमें सारा खर्च यात्रियों की जेब से ही जाएगा। आ जाओ वापस।
और यह लाजिकल भी है।
करोना काल के दौरान यूक्रेन आदि देशों मे जब कक्षाएं ऑफलाइन आरंभ हुई, तब चूंकि सामान्य फ्लाइट नहीं चल रही थीं तो वहाँ के कालेजों ने विशेष प्राइवेट प्लैन चलवाए जिससे कि छात्र यूक्रेन जा सकें। जाहिर सी बात है ज्यादा पैसा लगा पर पैसा पैरेंट्स ने ही दिया। अभी आपात काल है। जिसे जहां जैसे जीतने पैसे से मौका लगे आ जाए।
अब चूंकि फंस गए हैं, भले ही लाख गलती रही हो पर हैं अपने ही नागरिक। भारत सरकार से यह उम्मीद रहेगी कि समस्या का राजनैतिक हल निकालते हुवे इन नागरिकों को यूक्रेन से किसी दूसरे देश बाई रोड ले जाने का तरीका निकलवाए। यदि सरकार ऐसा कर लेती है तो यह सरकार की सहृदयता और तारीफ होगी।
बाकी इस प्रक्रिया मे रोड का खर्च / हवाई यात्रा का खर्च संबंधित लोगों से ही लेना चाहिए। और मुझे नहीं लगता किसी पैरेंट को इसमे कोई समस्या होगी। इस व्यक्त पैंतीस हजार के बदले साढ़े तीन लाख लग जाएँ, पर सभी यही चाहेंगे कि रास्ता निकल आए और घर वापसी हो।
आगे से भी विदेश मे हों या घर से बाहर इतनी समझ अवश्य रखनी चाहिए कि ऐसी स्थितियाँ हों उससे पहले ही या तो घर वापस हो लो या फिर संयम रखो।