Home अमित सिंघल रूस-उक्रैन युद्ध एवम रूस पर व्यापारिक प्रतिबंध

रूस-उक्रैन युद्ध एवम रूस पर व्यापारिक प्रतिबंध

अमित सिंघल

by अमित सिंघल
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निसंदेह रूस-उक्रैन युद्ध – साथ ही रूस पर व्यापारिक प्रतिबंधों – के कारण भारत में मंहगाई बढ़ेगी। आम सहमति है कि पेट्रोल-डीजल-गैस के दाम बढ़ जाएंगे।
लेकिन खाद्य तेल की कीमतों में भी उछाल आने की सम्भावना है।
अभी तक केवल सरसो का तेल मंहगा बिक रहा था; वह भी इसलिए क्योकि भारत के किसानो को सरसो बीज का 8000 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है। राजस्थान में यह दाम जनवरी में 8300 रुपये पहुंच गया था।
भारत बड़ी मात्रा में सोयाबीन एवं सूरजमुखी के तेल का आयात रूस एवं उक्रैन से करता है। नवंबर 2021 से जनवरी 2022 के तीन महीनो के दौरान भारत ने इन दो राष्ट्रों से लगभग 7 लाख टन तेल का आयत किया था जिसकी सप्लाई अब अनिश्चित हो गयी है। इनमे से भी लगभग 6.91 लाख टन केवल सूरजमुखी का तेल था जिसका आयत भारत में केवल इन दोनों देशो से होता है। सोयाबीन तेल का बड़ा भाग फिर भी अर्जेंटीना एवं ब्राज़ील से मिल जाता है।
एकाएक अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सूरजमुखी तेल की कमी से खाद्य तेलों के दाम में तेजी आएगी जिससे भारत भी अछूता नहीं रहेगा।
लेकिन भारत को एक लाभ भी होने वाला है।
विश्व का एक चौथाई गेंहू का उत्पादन रूस एवं उक्रैन में होता है और यह दोनों देश गेंहू के टॉप एक्सपोर्टर है । युद्ध से कारण गेंहू की सप्लाई में भारी कमी आने की संभावना है।
पिछले वर्ष मार्च में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गेहूं का भाव लगभग ₹18000 (244 डॉलर) प्रति टन था, जब कि भारत में एमएसपी खरीद वाले गेहूं का भाव ₹19750 (270 डॉलर) प्रति टन था।
भारत ने अप्रैल-दिसंबर 2021 के दौरान कुल 50 लाख टन गेंहू का निर्यात किया था; वह भी औसतन 285 डॉलर (₹21400) प्रति टन के भाव पर। अनुमान है कि यह गेंहू मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश जैसे प्रांतो से निर्यात किया जा रहा है क्योकि कीटनाशकों एवं खाद के भारी प्रयोग के कारण पंजाब का गेंहू अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा नहीं उतरता।
दूसरे शब्दों में, इस वर्ष गेंहू के उत्पादकों की चांदी होने वाली है। अनुमान है कि यह दाम 300 डॉलर (₹22500) तक पहुंच जाएगा। गोदामों में सरकारी खरीद के गेंहू रखने की जगह नहीं है; आशा है कि इस वर्ष निर्यात से गेंहू का स्टॉक खप जाएगा। साथ ही पंजाब का गेंहू भी निर्यात हो सकता है।
लेकिन पंजाब जैसे प्रांतो में गेंहू केवल सरकारी मंडी में ही बेचा जा सकता है। अतः पंजाब में आढ़तियों की चांदी हो जायेगी, जबकि किसानो को MSP पर ही संतोष करना पड़ेगा।

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