आफ़ताब को श्रद्धा मर्डर केस में अभी फिलहाल तिहाड़ जेल नंबर 4 में रखा गया है उसका पॉलिग्राफिक टेस्ट हो चूका है और नार्को टेस्ट होना बाकी है सोमवार को जब आफ़ताब को पूछताछ के सिलसिले में पुलिस बहार लेकर गयी तो रास्ते में पुलिस की गाडी पर कुछ युवको ने हमला कर आफ़ताब को मारने की कोशिश की वो युवक खुद को हिन्दू सेना से जुड़े हुए है बता रहे है उनका कहना है की आफ़ताब ने जिस दरिंदगी से श्रद्धा की हत्या की है उसके लिए वो लोग उसके 70 टुकड़े कर देनेजब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो वो तलवारे लेकर पुलिस के ऊपर भी आक्रमक हो गए
दूसरी तरफ श्रद्धा को मारने के बाद जिस दूसरी लड़की को उसी घर में बुलाया था जिसमे उसने श्रद्धा को मार कर उसकी लाश के 35 टुकड़े किये थे उसका पता पुलिस को चल गया है पेशे से मनोचिकित्सक वो लड़की ने पुलिस को बयान दिया की आफ़ताब जब भी उससे मिलता था काफी कूल दिखता था उसकी बातो और रहने के अंदाज से यह बिलकुल भी नहीं जान पायी की उसने श्रद्धा का क़त्ल कर उसकी लाश के 35 टुकड़े उसी घर के फ्रीज़ में रखे है उसने बताया की आफ़ताब को महज पर्फुम्स का काफी शौक है और वो बहुत बड़ा चैन स्मोकर होने के साथ साथ ड्रग भी इन्हेल करता है
पुलिस को लगता है उसने घर में फर्फुम्स इसलिए रखे थे ताकि घर से बॉडी की स्मेल न आ सके आज आफ़ताब का नार्को टेस्ट हो रहा है पुलिस आफ़ताब को सुबह 7 बजे तिहाड़ से निकाल कर आंबेडकर चिकित्सालय लेकर चली गयी थी जहाँ डॉक्टर्स की निगरानी में आज दिनक 1 दिसंबर 2022 को सुबह 10 बजे से उसका नार्को टेस्ट चल रहा है
आफताब का नार्को टेस्ट कैसे होगा। और कौन करेगा। डॉक्टर नवीन अंबेडकर अस्पताल के नार्को डिपार्टमेंट के नोडल अफसर हैं। डॉ नवीन की अगुवाई में ही आफताब का पूरा नार्को टेस्ट किया जाएगा।
चूंकि नार्को टेस्ट से गुजरने वाले शख्स को होशो हवास में रहने नहीं दिया जाता है, इसीलिए सबसे पहले इंजेक्शन के जरिए उसकी रगों में बेहोशी की दवा पहुंचाई जाती है। जैसे अमूमन किसी बडे ऑपरेशन से पहले मरीज को बेहोश करने के लिए एनस्थिशिया दी जाती है। पर यहां इस बात का खास ख्याल रखा जाता है कि नार्को टेस्ट से गुजरनेवाले शख्स की सेहत, उम्र और वजन क्या है।
उसे कोई बीमारी तो नहीं है। फिर उसी हिसाब से बेहोशी की दवा की डोज तय की जाती है। डोज की मात्रा इतनी ही होनी चाहिए कि ना वो पूरी तरह बेहोश हो और ना ही पूरी तरह होश में। क्योंकि अगर वो पूरी तरह बेहोश हो गया, तो फिर सवालों के जवाब नहीं देगा। और अगर होश में ही रह गया, तो फिर झूठे जवाब ही देगा।
हालांकि दवा के असर से नार्को टेस्ट से गुजरनेवाला शख्स अक्सर गहरी नींद में जाने की कोशिश करता है। आपने देखा होगा ऐसे कई नार्को टेस्ट के दौरान इसीलिए सवाल पूछनेवाला डॉक्टर लगातार उसे थपकियां देकर जगाए रखता है।
श्रद्धा मर्डर केस की सबसे बड़ी चुनौती : एक भी चश्मदीद नहीं
श्रद्धा मर्डर केस की सबसे कमजोर कड़ी ये है कि इस केस में एक भी चश्मदीद नहीं है. यानी अब जो कुछ है या पुलिस को जो कुछ करना है वो सिर्फ और सिर्फ चंद इंसानी हड्डियों, चंद खून के कतरे और आफताब के बदलते बयानों को सामने रख कर ही करना है। ऐसे में ये जरूरी हो जाता है कि नार्को टेस्ट के दौरान आफताब कुछ ऐसे सुराग या सबूत उगल दे, जिससे उसका बच पाना नामुकिन हो जाए। इस टेस्ट के जरिए पुलिस को खास तौर पर जिन सवालों के आफताब से सच-सच जवाब चाहिए, वो सवाल ये हैं।
श्रद्धा का कत्ल किस तारीख को किया?
श्रद्धा को क्यों मारा?
श्रद्धा को कैसे मारा?
लाश के टुकडे कैसे किए?
टुकडे करने के लिए हथियार कहां से खरीदे?
टुकडों को घर में कितना वक्त तक रखा?
टुकडों को कैसे और कहां रखा?
लाश के टुकडों को कहां-कहां ठिकाने लगाए?
हथियार कहां फेंके?
कत्ल के बाद छह महीने तक क्या कुछ किया?
अगर कत्ल गुस्से में और गलती से किया तो तभी पुलिस के सामने सरेंडर क्यों नहीं किया?
मनोवैज्ञानिकों की एक टीम के साथ मिलकर केस के जांच अधिकारी और आला पुलिस अफसरों ने इन सवालों के अलावा बाकी सवालों की एक लंबी फेहरिस्त तैयार की है। लेकिन कुल मिलाकर जिन सवालों पर पुलिस का ज्यादा जोर है, वो सवाल सीधे सबूतों से जुडे हैं।
जैसे श्रद्धा की लाश के टुकडे या हड्डियां कहां-कहां हो सकती हैं? कहां कहां उसने फेंके? श्रद्धा के मोबाइल कपडे कत्ल और करते और लाश के टुकडे करते हुए खुद के पहने कपडे कहां छुपाए?
अगर नीम बेहोशी की हालत में आफताब अंजाने में सच बोल गया, तो इसमें कोई शक नहीं कि दिल्ली पुलिस के हाथ सबूतों का पूरा पुलिंदा लग जाएगा। लेकिन अगर कहीं सवालों के जवाब में अबु सलेम की तरह गाना गाने लगा तो सबूत ढूंढना, मुश्किल हो जाएगा।
ये बात पुलिस भी अच्छी तरह से जानती है। इसीलिए डॉक्टरों की जो टीम आफताब का नार्को टेस्ट करने जा रही है, उस टीम के साथ आला पुलिस अफसरों की कई मीटिंग हो चुकी है।