सुबह जब स्त्रियाँ शौच क्रिया को गयी तभी उन्होंने भोर के अंधेरे में देखा कि एक व्यक्ति जमीन पर पड़ा हुआ है । महिलाओं ने कोसते हुए कहा लगता है कि फिर कोई मदिरा पीकर बेसुध होकर जमीन पर पसर गया है । जब धीरे धीरे अंधेरा छँटा तो देखा गया कि एक व्यक्ति जिसके सिर पर शिखा थी और कांधे पर जनेऊ था कोई व्रती ब्राह्मण जान पड़ता था वह मृत पड़ा हुआ है।
लोगों ने पहचान लिया कि ये लाश किसकी थी.? घर वाले रोने बिलखने लगे । एक पंडित जी मन ही मन बहुत व्यथित थे जिसके कारण उनकी सांस जोर जोर से फुल रही थी फिर उन्होंने अपने एकलौते पुत्र को बुलाया और बोले : बेटा एक राज की बात बता रहे हैं इसे किसी को बताना मत लेकिन अपनी पीढ़ी दर पीढ़ी इसे बताते रहना, तो सुनो…
जब मैं और दयाराम (काल्पनिक नाम) भोर में किसी कार्य वश महात्मा जी की कुटिया के बगल से गुजर रहे थे तभी हमने देखा कि दो डाकू टाइप के लोग महात्मा की कुटिया में प्रवेश कर रहे थे। थोड़ी देर बाद धुंआ वहां से निकलने लगा , यह देखकर हम दोनों ने जोर से आवाज़ दिया : कौन है..?
हमारी आवाज़ सुनकर दोनों ही भाग गए और जब हम सबने अंदर जाकर देखा तो पता चला कि महात्मा की लिखी किताब जल रही है , हमने जल्दी से उसे बुझाने का प्रयत्न किया ।
तभी वो डाकू कुछ और लोगों के साथ आ धमके तो हम लोग भाग लिए पर दयाराम पकड़े गए क्योंकि पैर में बताश होने वजह से भागने में असमर्थ थे।
पंडित जी के पुत्र बोले ; इसका मतलब दयाराम का कत्ल हुआ था ..? लेकिन बाबू जी वो तो सांप के काटने से मरे थे ।
पंडित जी : वही तो समझ नहीं आ रहा मुझे ..? पर याद रखो झोपड़ी में जो डाकू गए थे उसमें हमारे ही जाति के लोगों का हाथ है उन्हें भेजने में।
जब महिला रिसर्चर को पंडित जी के वंशज यह इतिहास बता रहे थे तो महिला ने उनसे प्रश्न पूछा : लेकिन पंडित जी एक बात बताईये …कहानी तो ये है कि महात्मा जब जीवित थे तभी उनकी किताब को चुराने कुछ लोग गए थे पर जब उन्होंने धनुष बाण लिए दो राजकुमारों को रखवाली करते देखा तो भाग लिए। मुख्य बात यह है कि आपने उन महात्मा का जिक्र किया ही नहीं..!!!
पंडित जी : क्योंकि महात्मा उस वक़्त जीवित थे ही नहीं । यह कहानी बनाई गई कि डाकू आये थे जो भगवान को देखते ही भाग लिए । इस कहानी का घाल मेल यह भी है कि इसे कभी महात्मा के जीवित रहते हुए की घटना बताया जाता है तो कभी मृत्यु के बाद पर वास्तव में सच्चाई कुछ और है .।
महिला रिसर्चर : ok , फिर उस ग्रंथ का क्या हुआ ..?
पंडित जी : लूट की घटना की खबर आमेर के राजा के पास पहुंच चुकी थी ,उन्होंने तत्काल एक टुकड़ी भेजकर उस किताब को अपने यहां मंगवा लिया।
महिला रिसर्चर : आपकी बातों पर कैसे यकीन यकीन किया जाय पंडित जी ..? यदि आमेर के राजा ने उस किताब को अपने पास मंगवा लिया होता तो इस बात का जिक्र कहीं न कहीं जरूर होता और यह भी जिक्र होता कि किताब जलाई गई थी पर ऐसा कहीं भी जिक्र नहीं है ।
पंडित जी ; इसके कई कारण हो सकते हैं क्योंकि किताब आधी जल ही चुकी थी , अगर यह सच्चाई बताई जाती तो लोगों की आस्था किताब के प्रति कम हो सकती थी ।
हो सकता है कि किताब में जिस लय से बातें लिखी हुई थी उसी लय से पुनः लिखवाकर किताब को पुनः पूर्ण किया गया हो या यह भी हो सकता है कि महात्मा जी तो सबको रोज अपनी किताब में लिखी बाते पढ़कर सुनाते थे उन्हीं में से किसी ने लिखा हो जिसे यह कंठस्थ रही हो..?
महिला रिसर्चर : आप पढ़े लिखे बुजुर्ग व्यक्ति हैं , ऊपर से व्याकरणाचार्य भी हैं पर आपको पता होगा कि ” हो सकता है ” शब्द का महत्व बहुत अधिक नहीं है जबतक कि आपके पास कोई प्रूफ न हो ..
पंडित जी : देखो बिटिया …तुम्हें पता नहीं है जब मेरे पर परदादा ने यह बात अपने पुत्र को बताई उसके कुछ दिन बाद ही एक ऊंचे टीले से सिर के बलपर गिरने से उनकी मौत हो गयी जो कि वास्तव में हत्या थी। ये बात मुझे मेरे पिता जी ने बताई है वो कभी झूठ नहीं बोलेंगे।
महिला रिसर्चर : आप झूठ नहीं बोलेंगे मुझे यह पता है लेकिन यह सच है इसे मैं कैसे मान सकती हूँ, यदि आपके पर परदादा ने उस समय कोई विरोध किया होता, आमेर के राजा से न्याय मांगा होता तो शायद यह बात भी इतिहास के किसी पन्ने पर होता और तब बहस करने में आसानी होती।
पंडित जी : देखो , आपने मुझसे पूछा था कि कुछ ऐसा बताओ जो बहुत कम लोग जानते हैं , तो मैंने यह बात बता दी ..अब आप इसे झूठ समझो या सच मेरा यह काम नहीं है।
महिला रिसर्चर : ठीक है…!! तो क्या मैं उसे किसी पत्रिका के अंक में छपवा दूँ आपके नाम के साथ ..?
पंडित जी : नहीं ..! नहीं..! मैं इन विवादों में नहीं पड़ना चाहता , मैं सरकारी नौकरी में हूँ पर हाँ मैं इसपर कभी खुल कर जरूर बोलूँगा ..
महिला रिसर्चर ; एक बात कहूँ पंडित जी ..! चुप रहिये यदि आपके पास कोई सबूत नहीं है तो …..जब भी बोलियेगा सबूत के साथ, खैर कुछ और बात बताईये जो जानने लायक हो
पंडित जी : अभी हमारा चित्त स्थिर नहीं है फिर कभी
आप मेरा नंबर रख लीजिए ,

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