Home विषयकहानिया माँ का प्रसाद
तो हिम्मत हार चुकी थी कि कभी संतान का मुख भी देख पाऊंगी मगर 15 वर्ष बाद ईश्वर ने मुझे बाँझण होने के शाप से मुक्ति दिला तो दी मगर आज ऐसा लग रहा है कि नाती का मुख नहीं देख पाऊंगी.
20 बरस हो गए मगर अब भी बहू की कोख सूनी है ..!
हे विधाता ये कैसा कोप है आपका मेरे वंश पर ..!!!
मम्मी ..!!! चाय बना रही, उठ जाओ जल्दी से
आखिर कब तक सोती रहोगी..!!!!
【 कल्याणी देवी के कानों में बहू की आवाज़ तो पड़ी मगर वो अपने ही दुःख के संसार सागर में खोई रही 】
बिंदु जल्दी से कमरे में प्रवेश करते हुए बोली ; अरे मम्मी जी उठना है या नहीं…!!!! देखो तो दोपहर से शाम हो गयी और आप हो कि अभी तक कमरे में बेसुध पड़ी हो ..!!!
उठो जल्दी से,
अरे..!!! ये क्या मम्मी .
आप रो रही हो .!
मम्मी क्या हुआ बोलो …?
अंकित ने आपको कुछ कहा क्या …?
मम्मी जी मुझसे कोई गलती हो गयी क्या …!!
कल्याणी देवी ने अपने अश्रुओं को ऐसे पोंछ दिया जैसे कमल के फूल पर विराजमान ओस की बूंदें तालाब में गिर कर उस क्षुद्र सागर का हिस्सा बन जाती हैं।
कल्याणी देवी थोड़ी सी कराहते हुए उठी फिर बहू से बिना कुछ कहे ग्लास हाथ में लेकर चाय पीने लगती हैं । कल्याणी देवी ने एक नजर उठाकर अपनी बहू की तरफ देखा फिर बोली ;
क्या तुम्हें दुःख नहीं होता कि अभी तक तुम माँ नहीं बन पाई हो ..?
क्या पास पड़ोस के बच्चों को देखकर तुम्हारा जी नहीं ललचाता कि कोई तुम्हारा भी बच्चा हो जिसे तुम अपने कलेजे से लगाकर रखो..!!!!
हाँ , क्या एक बार भी जी नहीं करता ..?
बिंदु अपनी सास कल्याणी देवी के पास बैठ जाती है । उनके कंधे पर अपना सिर रखकर बड़े ही दुःखी भाव से बोली ; मम्मी …! आपसे क्या छिपा है , आप तो खुद ऐसा दर्द 15 सालों से महसूस कर चुकी हो , एक स्त्री तभी सम्पूर्ण होती है जब वो माँ बनती है ..!!
पर शायद मेरे नसीब में यह है ही नहीं..और अब तो मैं भाग्य से समझौता कर बैठी हूँ..,,,
कल्याणी देवी ने बहू के गालों पर प्यार से अपना हाथ रखकर उसे थपकी देती हुई बोली ; चिंता मत कर तू माँ जरूर बनेगी, तुझे संतान जरूर होगी.. इतना भी निराश नहीं होते..!
बिंदु अपनी सास के गले लगकर बोली ; मम्मी अब 40 वर्ष की हो चुकी हूँ मैं..! अब झूठी आशा मत दो.!
बहू आजकल दुनिया बड़ी अड्वान्स हो चुकी है , सुना है अब बच्चा विज्ञान के तरीके से भी हो सकता है ..!!! (कल्याणी देवी ने उत्सुकता से कहा)
हाँ, पर डॉक्टर ने कहा है कि मेरा माँ बनने का अब कोई चांस नहीं है, यह आप भी जानती हो और अंकित भी लेकिन फिर भी आप दूसरा निर्णय लेने को तैयार नहीं हो ..! क्या इसके बाद नाथ कुल निरवंश रह जायेगा..!
कल्याणी देवी : दूसरी शादी की बात तो मत करना , मैं इसके पक्ष के नहीं हूँ क्योंकि जोगेश्वर की पहली पत्नी का हाल देख चुकी हूँ, कैसे दूसरी शादी करने के बाद उस बेचारी की दुर्दशा हुई है। हाँ गोद लेना हो तो ले सकती हो..!!
बिंदु थोड़ा सकुचाते हुए बोली ; पर मम्मी अपना खून अपना खून होता है , वो मोह ममता कहाँ से आएगा मुझमें उस गोद लिए हुए बच्चे के प्रति ..?
कल्याणी देवी हँसते हुए बोली: अच्छा तो सौतन लाएगी , वह चल जाएगा…!! अरे जिस पुरानी सोच से प्रभावित होकर मुझे एतराज करना था उसका ढोल तू बजा रही है.!!
अरे बिंदु ..जल्दी करो यार
शादी में जाने के लिए देर हो रहा है ;
कहाँ हो…?
अंकित की आवाज़ सुनते ही बिंदु जोर से चिल्लाकर बोली ;
आयी ..!!!!!
शादी के समारोह में वरमाला रस्म होते देख बिंदु के मन में आया कि मेरा क्या ..!! मेरी तो आधी से अधिक जिंदगी बीत गयी है पर मैं अपने कुल को निरवंश नहीं रख सकती …!!
चाहे जो भी हो लेकिन मैं मम्मी जी और इनको दूसरी शादी वाली बात पर मनाकर रहूँगी ..अन्यथा अंतिम धमकी यही होगी कि मैं घर छोड़कर जा रही,
शादी समारोह के बाद रात में घर पहुंचते ही बिंदु ने हंगामा खड़ा कर दिया , आजतक बिंदु का ऐसा रूप न तो कभी अंकित ने देखा था और न ही उसकी सास ने …बिंदु हाथ सल्फास की गोली लेकर बोली : अगर अंकित ने दूसरी शादी नही की तो मैं सल्फास खाकर अपने प्राण त्याग दूँगी ..!!
बिंदु का यह पागलपन देखकर अंकित चौंक उठा और उसने जल्दी से अंकिता का हाथ मरोड़कर उसके हाथों से सल्फास की गोली छीन ली । बिंदु के बाल एकदम से बिखरे हुए थे ,ऐसा लग रहा था जैसे उसके शरीर में कोई दैव प्रवेश कर गया हो,
फिर वह क्रोध में बोली : ठीक है …!
जब कोई नहीं रहेगा घर मे तब मैं यह गोली खाऊँगी..
फिर देखती हूँ कौन रोकेगा मुझे …!!
कल्याणी देवी और अंकित बिंदु का यह रूप देखकर हक्का बक्का थे और अंत मे दोनों ने दूसरी शादी की रजामंदी दे दी। अंकित की उम्र 43 साल थी। ऐसी स्थिति में दूसरी शादी के लिए एक लड़की खोजना बड़ा ही कठिन कार्य था, आखिर कोई क्यों ऐसे घर मे अपनी बेटी का ब्याह करेगा जहाँ वो सौतन बन कर जाएगी..!!
लेकिन बिंदु ने खोज जारी रखी और अंत मे उसे उसकी दूर की मौसी की बेटी पसंद आई जो इस रिश्ते के लिए परफेक्ट थी। गरीब परिवार की लड़की है तो ज्यादा समस्या भी नहीं आएगी यह सोचकर रिश्ता पक्का हो गया।
बिंदु रश्मि का ख्याल एकदम अपनी छोटी बहन के जैसे रख रही थी और फिर एकदिन ऐसा आया जब रश्मि के गर्भ में नाथ कुल का वारिस आ गया। बिंदु और उसकी सास की खुशी का ठिकाना न रहा, मन्नतें मांगी गयी…!
रश्मि को बार बार मना करने के बाद भी वह छत पर चढ़ जाती थी। उसकी इस आदत को लेकर कई बार बिंदु ने रश्मि का डांटा भी ।
बच्चे के पैदा होने के कुछ दिन ही शेष रह गए थे।
बिंदु अपनी पड़ोसी के यहाँ बच्चा होने की खुशी में सोहर गाने गयी थी और मन ही मन उसके भीतर भी लड्डू फुट रहे थे कि बस कुछ दिन बाद मेरे यहाँ भी एक नन्हा सा प्यारा सा मुन्ना आएगा …!!!
बिंदु मन ही मन भविष्य के सुख में डूबकर खूब मुस्कुरा रही थी ।
रश्मि की सास छत पर किसी काम से चली आयी फिर वहीं अपनी पड़ोसन से बात करने में मगन हो गयी । उधर रश्मि को बाथरूम जाना था इसलिए कई बार बार अपनी सास को बुला रही थी मगर सास को लाउडस्पीकर में गाये जा रहे सोहर की आवाज़ से कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था।
रश्मि जैसे ही बाथरूम की ओर गयी वैसे ही उसका पैर फिसल गया और वह धड़ाम से पेट के बल गिर गयी । थोड़ी देर चीखने चिल्लाने के बाद रश्मि बेहोश हो गयी।
ढोलक पर थाप देते हुए एकायक बिंदु के चेहरे की खुशी उड़ गई । उसे लगा वो रो देगी अभी। बिंदु किसी दुर्घटना की आशंका करते हुए घर की ओर भागी । बिंदु ने रश्मि को खोजा तो पाया कि वो तो बाथरूम में बेहोश पड़ी है ।
बिंदु छत पर जाकर अपनी सास को कोसते हुए बोली ; अरे मम्मी ..! नाश हो गया …कर लो खूब बात..रश्मि बाथरूम में गिर गयी है।
जल्दी से सब रश्मि को लेकर हॉस्पिटल भागे ,बिंदु की अंतरात्मा उसे कोस रही थी कि हाय भगवान क्यों मैं रश्मि को छोड़कर गयी..?
हे भगवान ..! ये कैसी विपदा ला दिए..!
डॉक्टर ने बताया कि बच्चा मर गया है और रश्मि अब कभी भी माँ नहीं बन पाएगी ..!! ऑपरेशन करके बच्चा निकाला गया ताकि रश्मि की जान बचाई जा सके।
बिंदु यह सुनकर टूट गयी थी, उसकी सारी मेहनत फेल हो गयी थी, उसकी सारी आशाओं पर पानी फिर चुका था । वह हताश होकर हॉस्पिटल से बाहर निलकर एक मंदिर के स्थान पर जा पहुंची ..
मन्दिर थोड़ा आउट ऑफ सिटी था , भोर में वहां न आदमी दिख रहे थे और न ही कोई जानवर। दुःखी मन से बैठी बिंदु वहां अपने दुःख में डूबी सोच रही थी कि तभी एक महिला गहरा घूंघट किये हुए आयी पर बिंदु को देखकर घबराहट में मन्दिर के बगल कचरे के पास कुछ रखकर चली गयी।
बिंदु सीढ़ियों पर सिर टिकाए हुए बेसुध सी पड़ी रही तभी उसे किसी नवजात बच्चे के रोने की आवाज़ आयी ।
बिंदु चौंकते हुए इधर उधर देखने लगती है फिर उसे लगा कि आवाज़ उस तरफ से आ रही है और जब वो पास गई तो देखती है कि कोई नवजात शिशु को कचरे में छोड़ गया है ।
बिंदु ने झट से बच्चे को अपनी गोद में लिया और उसे सीने से लगाकर चुप कराने लगी पर बच्चा अभी भी रो रहा था, बिंदु को लगा कि शायद इसे भूंख लगी है तो वह यह जानते हुए भी कि उसके स्तनों में दूध नहीं उतरता फिर भी वह बच्चे को दूध पिलाने का नाटक करने लगी।
बिंदु को अतुल्य मातृत्व का अहसास हुआ । उसके भीतर की माँ चीख कर बोल उठी ये मेरा ही बच्चा है ,
मैं ही इसकी माँ हूँ..!
पर एकायक बिंदु के मन का शैतान बोला : मगर ये तो किसी के पाप की निशानी है..! मैं कैसे इसे अपना बच्चा मान सकती हूँ..?
पर तुरन्त ही बिंदु के हृदय में मातृत्व की गौरी जाग्रत हो उठी
फिर उसने शिशु के माथे को चूमते हुए कहा ; ये तो भगवान का प्रसाद है .!!! यही मेरे कलेजे का टुकड़ा है, यही मेरा कान्हा है .!!
बिंदु स्कूटी स्टार्ट करके सीधे हॉस्पिटल जाती है। वहां अपने पति को समझाकर बोलती है कि न तो मम्मी को बताना और न ही रश्मि को
ये राज अपने हृदय में ही रखना ,
भगवान ने प्रसाद दिया है , हमें हमारे वंश का दीपक दिया है
रश्मि के होश में आने के पहले इस बच्चे को उसके बगल रख दो
यही मेरा वंशज है ..!!!
अंकित ने बिंदु की पीड़ा और रश्मि जब होश में आएगी उस समय उसकी पीड़ा कैसी होगी का अनुभव किया और निर्णय लिया कि जो बिंदु चाहती है वही होगा क्योंकि इसी में पूरे परिवार का हित है..
कल्याणी देवी को जब पता चला कि सकुशल पोता हुआ है तो उन्होंने घर मे बाजा गाजा बजवाना शुरू कर दिया और दान दक्षिणा करने लगी और संकल्प लिया कि कुछ दिन बाद अखंड रामायण का पाठ होगा।
बच्चे और रश्मि को लेकर अंकित घर चले आये । कल्याणी देवी ने खुश होकर पूछा कि अरे बिंदु कहाँ गयी..?
मेरी गलतियों पर मुझे कोस लेती तो मुझे सुकून मिल जाता। भगवान ने उसकी सुन ली…! मेरी बिटिया की भगवान ने सुन ली..!
ऐसा कहकर कल्याणी देवी खुशी में रो पड़ी ..!
अंकित अपनी पीड़ा से निकल रहे अश्रुओं को छिपाते हुए बोला ; मम्मी बिंदु मन्दिर गई है , शाम तक में आएगी।
बिंदु सीने से लगाये हुए अपने कुल के उस दीपक को लेकर गंगा में प्रवेश कर रही थी जो बुझ गया था, बिंदु की आंखों से निरंतर निकलते हुए अश्रु गंगा की धारा में ऐसे मिलते जा रहे थे जैसे मेघों के अश्रु बारिश की बूंदों के रूप धरकर नदी में मिल जाते हैं।
बिंदु ने बच्चे की तरफ देखा औऱ उसका माथा चूमते हुए बोली ; मेरे कलेजे के टुकड़े , इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि तुझे अपनी गोदी में खिलाना था मगर आज तुझे गंगा मैया की गोदी में सौंप रही हूँ..!!!!
बिंदु मन्दिर के दिशा की ओर मुड़कर बोली ; हे सोमेश्वर नाथ , जब लेना ही था तो दिया क्यों ..!!! लो मैं तुम्हारा वरदान तुम्हें वापस कर रही हूँ।
अश्रुओं से भीगते हुई नम आंखों से अपने लाल को चूमने के उपरांत कुलदीपक जो बुझ गया था उसे गंगा मैया को सौंप देती हैं। आज ऐसा लग रहा था जैसे राधा अपने मृत पुत्र को गंगा मैया को सौंप रही हो और कुंतीपुत्र कर्ण उसे मन्दिर में भगवान के प्रसाद के रूप में मिला हो…!
रश्मि इस बात से बेखबर थी कि उसका पुत्र मर गया है । वो तो खुशी खुशी बच्चे को अपनी सारी ममता लुटाते हुए दुग्धपान करा रही थी।
बिंदु को सामने देखकर रश्मि मुस्कराती है तो बिंदु बिना कुछ बोले रश्मि का माथा चूम लेती है फिर अपने कुल के दीपक को गोद में लेकर दुलारने लगती है

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