Home नए लेखकओम लवानिया इजराइल का संविधान बिग्रेडियर रुद्र प्रताप सिंह की नीति पर चलता है

इजराइल का संविधान बिग्रेडियर रुद्र प्रताप सिंह की नीति पर चलता है

ओम लवानिया

by ओम लवानिया
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इजराइल का संविधान बिग्रेडियर रुद्र प्रताप सिंह की नीति पर चलता है और वे इसे अच्छी तरह अमल में लेते है। कोई किंतु-परंतु नहीं रखते है।
ये गुरिल्ला युद्ध बहुत ख़तरनाक है।
लेकिन उनकी थ्योरी या कहे डीएनए में यही प्रथम व अंतिम कदम है।
भारत भी इसी से पीड़ित था और है। तभी तो भारत ने इजराइल के दर्द को समझा और तुरंत प्रभाव से साथ खड़े रहने की घोषणा की। जी-20 सम्मेलन में भी भारत ने आतंकवाद के साथ जीरो टॉलरेंस नीति का प्रस्ताव रखा और सभी ने सहमति दर्ज की।
लेकिन…लेकिन! कलयुगी परिवेश में सहमति जैसी कोई पत्थर की लकीर न होती है जो जतलाने के बाद परिवर्तन न हो। वैश्विक पटल पर डिफेंस और हेल्थ ऐसे सेक्टर है जिनका मार्केट कभी मंदी न लेगा। दूसरे विश्व युद्ध में अमेरिका ने जापान पर परमाणु हमला किया था, उसके बाद दुनिया कितनी बदली….यूएन के 5 वीटो देश दोहरे मापदंड वाले है, शांति और युद्ध दोनों की वकालत साथ में करते है।
जब शांति ही है तो हथियार क्यों बेच रहे हो…आतंकियों के पास अपडेटेड वेपन कैसे आते है। आतंकवाद की असल जड़ में सोवियत और अमेरिका है। इन्होंने ने ही ऐसे संगठनों को समर्थन दिया और अशान्ति फैलाने को प्रेरित किया।
अस्सी के दशक में अमेरिकन चार्ली विल्सन ने अफगान में सोवियत को उखाड़ने के लिए गुरिल्ला वॉर के लिए ता-लीबान खड़ा किया था। उन्हें हथियार मुहैया करवाए गए थे। इसपर ‘चार्ली विल्सन वॉर’ फ़िल्म भी बनी है।
पड़ोसी पाक को ख़ूब हथियार भेजे है, ऐसे चिंगारी भड़की रहेगी तो शांति तो दूर दूर तक न आएगी। सबकुछ अपने स्वार्थ के इर्दगिर्द चलता है बाक़ी सभी बातें मिथ्या है। इजराइल 1947 में ही फ्रांस से स्वतंत्र हुआ था…तब से आतंकी टेंशन में जी रहा है और कमोबेश यही सिचुएशन भारत की है। सबसे बढ़िया आर्थिक बैन रहेगा, तभी आम सहमति का वजूद है वरना ऐसी ढपली बजती रहेंगी। वामियों और कामियों के स्टैंड को खोजेंगे तो सिर्फ़ यही निकलेगा कि अरे कोई फण्ड रेज करो तो पेलेस्थान को विक्टिम दिखलाकर रुदाली करें। ख़ैर।
और हां स्टैंड विथ इजराइल।

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