Home विषयमुद्दा राजनीतिक पार्टीयो ने बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर के नाम का किया दुरूपयोग

राजनीतिक पार्टीयो ने बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर के नाम का किया दुरूपयोग

Ashish Kumar Anshu

by Ashish Kumar Anshu
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बाबा साहब के नाम पर कैसे कांग्रेस ने चर्च की मदद से एक गिरोह खड़ा किया। इसे बड़ी आसानी से उन मुद्दों पर समझा जा सकता है, जिसे लेकर कांग्रेस असहज हो सकती थी। उस समूह को बाबा साहब की प्रतिज्ञाओं में से सिर्फ हिन्दू देवी देवताओं के नाम से जुड़ी प्रतिज्ञाएं ही बार बार दुहराते हुए देखा। कई अम्बेडकरवादी जमकर शराब पीते हैं और कोई दूसरा चर्च वाला अम्बेडकरवादी उसे नहीं समझाता कि शराब ना पीना 22 प्रतिज्ञाओं का हिस्सा है।

प्रीवी पर्स की व्यवस्था जो भारत का हिस्सा बने, बाबा साहब ने ऐसे राजा रजवाड़ों के लिए की थी। फिर कांग्रेस ने उसे क्यों खत्म किया? कभी किसी अम्बेडकरवादी को सवाल पूछते देखा? मुझे कई सेल्फ क्लेम्ड मुसलमान अम्बेडकरवादी मिले। जब उन्हें बताया कि मुसलमानों के लिए बाबा साहब की कोई अच्छी राय नहीं थी। और उनसे आग्रह किया कि दूसरों को हिन्दू देवी देवताओं की पूजा ना करने के लिए उकसाने का काम मुसलमान होकर अच्छा कर रहे हो। बौद्ध क्यों नहीं हो जाते। इससे अम्बेडकरवाद में भी ऊंचा स्थान मिलेेगा।

मैने देखा है कि ऐसे अम्बेडकरवादी मुसलमानों की हिन्दूओं के कास्ट डिवाइड में तो रूचि होती है लेकिन वे बौद्ध धर्म को लेकर ना जाने इतने अधिक उदासीन क्यों होते हैं? अपना रोजा नमाज टाइम पर रखके हिन्दूओं को जाति का ज्ञान देने वाले अम्बेडकरवादी मुसलमानों पर तो संदेह होना बनता है ना!

दिलीप सी मंडल एक पादरी को पकड़ कर ले आए। उसके पैसे पर ओबीसी/ Dalit विमर्श खड़ा करना चाहते थे। पादरी की रूचि तो कनवर्जन में होगी। अब खबर मिल रही है कि वह पादरी भारत छोड़कर भाग गया। उसने दिलीप मंडल पर भी इन्वेस्ट किया था। भगोड़े पादरी पर दिलीप सी मंडल कुछ बोलते ही नहीं? कोई उनसे पूछे कि कहां है उनका पादरी संपादक मित्र Ivan Kostka? और यह भी पूछे कि हिन्दूओं को हमेशा नीच और पथभ्रष्ट बताने वाली, दलित ओबीसी केन्द्रित पत्रिका किसी पादरी को निकालनी चाहिए या नहीं? बाबा साहब आज होते तो ऐसे पादरियों के लिए उनका क्या संदेश होता?

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