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गौमांस पर प्रतिबन्ध को काफी राजनितिक रंग दिया गया है

हिन्दुस्तान के शहरों में शायद आज भी काफी लोग इस बात को ना ही समझते है और ना ही जानते है , लेकिन गावो में लोगो का गायो और बाकी पशुओ से असीम प्रेम रहा है जब किसी के घर में किसी भी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है गाये वहाँ न होकर भी कुछ भावनाओ से उसकी आखो से भी आंसू बहनें लगते है तो जब गाये में हमारे प्रति या परिवार के प्रति इतनी गहरी भावनाये है तो उसे मार कर खाना एक इंसान को मार कर खाने जैसा है यह हत्या है जो लोग ऐसा कर के इस बात को धर्म से जोड़ते है या विश्वास या श्रद्धा की बात करते है वो मुर्ख है मुझे लगता है की यह एक बुनियादी समझ का हिस्सा है की आप गाये को अपनी माँ कहते हो उसका दूध पीते हो और उसे ही मार कर खाते हो फिर उस हिसाब से देखा जाये तो आज के समय में कोई भी जन्म देनी वाली माँ सुरक्षित नहीं है ऐसे में तो जब किसी को भी भूख लगती है तो वो अपनी माँ को मार कर खा ले इसमें कोई बुराई नहीं जब गौ मांस खाना बुरा नहीं कुछ जाती विशेष के लोग इसे अच्छा समझते है पर मेरी नज़र में वो पाप के भागीदार है


कोई व्यक्ति अगर हिन्दू परिवार में जन्म लेता है और सवाल करता है की वो जन्म से हिन्दू है उसने उसे चुना नहीं है और उसे हिन्दू धर्म क्या है या हिंदुत्व किस तरह से खतरे में है पूछता है तब

आप इस देश का इतिहास देखे आप जानेगे की एक समय ऐसा था जब हिन्दुस्तान सौ या दो सौ पचास राष्ट्रों का समूह था और बहार के लोग इसे हिन्दुस्तान कहते थे यह धरती हिमालय और हिन्दू सागर के बीच में है जिसे हम आज हिन्द महासागर कहते है बाहरी लोगो ने इसे हिन्दुस्तान कहा तो हमारे पास जमीन से जुडी पहचान थी लेकिन कोई राजनीतिक पहचान हमें नहीं मिली थी हमारी कोई भाषा नहीं थी , कोई धार्मिक पहचान नहीं थी ये बहुत महत्वपूर्ण है क्यूकी बहार के लोग (मुस्लिम और अन्य जाती के लोग ) उन दिनों भी ये समझ नहीं पाए थे की हम लोग कौन थे। हिन्दुस्तान हमेशा से खोज की धरा रही है कभी भी विश्वास की धरा नहीं रही जब आप ईमानदारी से अपने अंदर ये कहते है की मैं नहीं जानता , तो जानने की इच्छा या लालसा और जानने की संभावना आपके जीवन का सच बन जाता है वरना लगभग हर वो चीज जिसे आप नहीं जानते आप उस पर विश्वास करते है और यही बात आपको आत्मविश्वास देती है। यहाँ भगवान शब्द का ईस्तमाल सबसे ऊंची हस्ती के रूप में कभी नहीं हुआ , यहाँ पर हमेशा उन लोगो की बात होती है जिनमे इंसानी क्षमता से परे कुछ अविश्वसनीय काम किये है जिनको देव कहते है इसलिए हमारे तेतीस करोड़ देवी देवता है तो हम कह सकते है की हिन्दू हिन्दुस्तान में से शुरू हुआ सबसे प्राचीन धर्म है

रामायण में प्रभु श्रीराम की बात करे तो उन्होंने माता सीता की अग्निपरीक्षा क्यों ली और आज लगभग हर पुरुष महिलाओ के साथ वैसा ही व्यवहार क्यों करना चाहते है ?

आप उत्तर प्रदेश में आज से करीब पांच हजार से भी जयादा वर्ष पहले रहती थी और एक आदमी ने श्रीलंका से आकर आपका अपहरण कर लिया क्या आप एक ऐसे शक़्स को पसंद करेंगी जो आपको खोज्नते खोजते श्रीलंका जायेगा या उत्तर प्रदेश में रहे कर वही किसी अन्य से विवाह कर लेगा क्यूंकि वो राजा है , वो श्री लंका गए, लड़ाई लड़ी, पूरा शहर जला दिया अपनी पत्नी वो वापस ले आये ये कोई आम बात नहीं है और जो लोग ये बोलते है की उन्होंने सीता जी की अग्नि परीक्षा ली तो वो इसका गलत अर्थ निकाल रहे है इसका अर्थ ये है की कोई परीक्षा जरूरी थी आज ले लोगो की यही बहुत बड़ी समस्या है इसे ध्रतराष्ट्र सिंड्रोम कहते है तब से लेकर अभी तक अपवाद तो आज भी है श्री राम जी की बात करे तो वो उन दिनों एक मिसाल कायम कर रहे थे उनको पता था की माता सीता गर्भ से है लेकिन फिर भी उन्होंने वो उनको जंगल भेज देते है जबकि किसी राजा के लिए उनकी संतान महत्वपूर्ण है क्यूंकि वो उनका आने वाला साम्राज्य है राष्ट्र हित के लिए ये जरूरी था नहीं तो परेशानिया होती कुछ लोग इसे गलत मानते है लेकिन ये एक सही निर्णय था मेरी समझ से देश में ऐसे प्रधानमंत्री होने चाहिए जो राष्ट्र हित के लिए त्याग की भावना रखते हो

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