एक बार बुखार और फोड़ा कहीं रास्ते में मिल गये। दोनों ने एक-दूसरे का हाल-चाल पूछा तो पता चला कि दोनों परम दुःखी! बुखार ने फोड़े से पूछा – पहले तू बता कि आखिर बात क्या है? क्यों दुःखी है…
त्रिलोचन नाथ तिवारी

त्रिलोचन नाथ तिवारी
मैं भी एक खुशरंग अरमानों की चादर था मगर, मुझको मेरी ज़िंदगी ने ओढ़ कर मैला किया... प्रारब्ध मेरी सूचनाएं संगृहीत कर ही नहीं रहा...! तो फिर यहीं सही... स्कूल : ज़िंदगी की पाठशाला में पढ़े कुछ पाठ हमने, पर मुसीबत है कि अब तक सीख मैं कुछ भी न पाया....!! शहर : ठिकाना एक बंजारे का क्यूं हैं पूछते साहिब? जिस शहर में रात गुजरे, बस वही है शहर मेरा...!!
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एक राजा ने एक चलती सड़क पर सड़क कटवा कर बीच में एक पुल बनवा दिया। पुल के नीचे से न कोई नाला, न नहर, न नदी, लेकिन राजा का आदेश था सो पुल बन गया। राजा ने पुल के…
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लेखकों की चुटकीऐतिहासिकत्रिलोचन नाथ तिवारीभारत निर्माणमुद्दालेखक के विचार
हे गन्धी! मतिअन्ध तू! अतर दिखावत काहि?
by त्रिलोचन नाथ तिवारी 133 viewsहे गन्धी! मतिअन्ध तू! अतर दिखावत काहि? हम किसी को भी बे-जगह और बे-वजह नहीं पेलते। तो आप भी उस पूर्वाग्रह एवं हठधर्मिता के मानसिक विचलन से बाहर आइये अन्यथा इलेक्ट्रिक शॉक लेना पड़ सकता है आपको। वो गाँधी, जिसका…
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त्रिलोचन नाथ तिवारीकहानियाजाति धर्म
दिति तथा दनु पुत्रों के साथ अदिति पुत्रों के द्वादश देवासुर संग्राम
by त्रिलोचन नाथ तिवारी 550 viewsदिति तथा दनु पुत्रों के साथ अदिति पुत्रों के द्वादश देवासुर संग्राम हुए। भृगु की एक पत्नी दैत्यपति हिरण्यकशिपु की पुत्री दिव्या थी। दिव्या से उत्पन्न भृगु पुत्र शुक्र मातुल कुल के प्रति अधिक नेह रखने के कारण दैत्यों एवं…
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ईश्वर भक्तिकहानियात्रिलोचन नाथ तिवारी
अक्षय तृतीया इन्दु महोत्सव और परशुराम का प्राकट्य दिवस | प्रारब्ध
by त्रिलोचन नाथ तिवारी 277 viewsअक्षय तृतीया इन्दु महोत्सव और परशुराम का प्राकट्य दिवस तीनो एक दिन ही होते है किन्तु इन सबकी बातें क्या करना? और क्यों करना? इस पटल की समस्त दृश्य-अदृश्य चप्पा-चप्पा भूमि पर आज इन्ही तीन के ज्ञात, अल्पज्ञात अथवा अज्ञात…
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जाति धर्मत्रिलोचन नाथ तिवारीसामाजिक
मैं किसी बन्धन को नहीं जानता | प्रारब्ध
by त्रिलोचन नाथ तिवारी 330 viewsन मे बन्धो न मे मुक्तिर्न मे शास्त्रं न मे गुरुः। मायामात्रविकासत्वान्मायातीतोऽहमद्वयः।। न मैं किसी बन्धन को जानता हूँ, न ही मुझे किसी मुक्ति का लोभ है, न ही मुझे कोई शास्त्र ज्ञात हैं और न ही मेरा कोई गुरु…
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कहानियात्रिलोचन नाथ तिवारीलेखक के विचारसाहित्य लेख
आनन्द एक व्यक्तिगत विषय | प्रारब्ध | त्रिलोचन नाथ तिवारी
by त्रिलोचन नाथ तिवारी 343 viewsकृपया मातायें, बहनें, और मेरे नकारात्मक छवि के पश्चात भी मुझे हृदय से प्रेम एवं सम्मान देने वाली महिला मित्र, प्रथम तो इसे पढ़ें मत, और पढ़ें भी तो प्रतिक्रिया न व्यक्त करें। कभी कभी सत्य लज्जाजनक होता है और…
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त्रिलोचन नाथ तिवारीचलचित्र
आपने रेडियो सीलोन की बिनाका गीतमाला सुनी है?
by त्रिलोचन नाथ तिवारी 331 viewsआपने रेडियो सीलोन की बिनाका गीतमाला सुनी है? बिनाका जब सिबाका हुई तो कार्यक्रम का नाम भी सिबाका गीतमाला हो गया लेकिन मजा जस का तस रहा क्योंकि इस कार्यक्रम में तात्कालिक सर्व-प्रसिद्ध गीतों को उनकी लोकप्रियता के आधार पर…
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परम्पराएत्रिलोचन नाथ तिवारीसाहित्य लेख
आयीं हे सुरुज देव, लीहीं न अरघिया हमार
by त्रिलोचन नाथ तिवारी 682 viewsपूर्वाञ्चल के नदियों एवं जलाशयों के तट पर श्रद्धा का महापूर उमड़ा है । भारती प्रजा अपने प्रत्यक्ष देव को अपना समस्त अनुग्रहीत भाव समर्पित करने हेतु व्रत-विनत भाव से एकत्र हुई है। मगध के अञ्चलों से निकल कर समस्त…
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तन्त्र के अनुसार अग्नि तीन हैं कामाग्नि, जठराग्नि और भूताग्नि! भूताग्नि ही धूताग्नि भी है, अवधूताग्नि भी है। किन्तु प्राणि-मात्र में अग्नि की सकल मात्रा निश्चित और निर्धारित है। कामाग्नि, जठराग्नि और भूताग्नि में कोई एक ही प्रबल हो सकती…