सरकार बिहार में बदली है। पर दहशत में गोरखपुर है। गोरखपुर में तमाम डाक्टर दहशत में हैं। व्यवसाई दहशत में हैं। अपहरण हो जाने के भय की आग में धधक रहे हैं यह लोग। बस एक तेजस्वी यादव और उन की राजद के सत्ता में आने का असर है यह। नीतीश कुमार पहले भी मुख्यमंत्री थे , अभी भी हैं। पर यह लोग जानते हैं कि अब नीतीश की कितनी चलेगी। जानते हैं कि बिहार का अपहरण उद्योग अब कितना फूलेगा , फलेगा। राजद के शासनकाल के समय बिहार के अपहरण उद्योग के सब से ज़्यादा शिकार गोरखपुर के डाक्टर और व्यवसाई ही थे। करोड़ो रुपए की फिरौती देना यह लोग भूले नहीं हैं। जान भी गई कई लोगों की। अपहरण के बाद लोगों को बोरों में भर कर , कार की डिग्गियों में भर कर ले जाया जाता था।
एक आस योगी और उन का बुलडोजर है। लेकिन योगी का बुलडोजर उत्तर प्रदेश तक ही सीमित है। बिहार या नेपाल में तो योगी का बुलडोजर जाएगा नहीं। गोरखपुर से लगे छपरा , गोपालगंज में तो योगी का बुलडोजर जाएगा नहीं। न योगी की पुलिस। जाएगी तो करोड़ो रुपए की फिरौती ही जाएगी। बिहार में राजद शासन की रवायत रही है कि कोई रिटायर भी होता है तो उस के घर राजद के लोग अपना प्रतिशत लेने पहले पहुंच जाते हैं। भले वह बाबू या चपरासी ही क्यों न हो। अफ़सर वगैरह हैं तो पूछना ही क्या। सेना या पुलिस के लोग भी राजद की इस वसूली से नहीं छूटते। ऊपर से नीचे तक का सिलसिला है। तो यह लोग भी भाग कर गोरखपुर आ जाने के रवायती रहे हैं। गोरखपुर बिहार के लोग दो कारणों से आते हैं। एक तो दो-तीन घंटे का सफ़र। दूसरे सारी सहूलियत। बिजली से क़ानून व्यवस्था तक दुरुस्त।
बनारस भी बिहार के लोग जाते हैं। दिल्ली और लखनऊ आदि शहरों में भी। लेकिन पढ़ने और नौकरी के लिए। जान बचाने के लिए नहीं। पर अब तो गोरखपुर के लोग ही बिहार से अपनी जान बचाने की जुगत में हैं। कुछ डाक्टरों और व्यवसाइयों से मेरी बात हुई है। कोई इस बारे में बात करने को भी तैयार नहीं है। अपना नाम नहीं आने देना चाहते यह लोग। अपहरण के भय से लोग धधक रहे हैं।